I Love Mohammad Vs I love Mahadev : मध्य प्रदेश में खेड़ा धार्मिक द्वंध, कहीं आई लव मोहम्मद तो कहीं आई लव महादेव

I Love Mohammad Vs I love Mahadev : कानपुर से शुरू हुआ “आई लव मोहम्मद” बैनर अभियान मध्य प्रदेश पहुँच गया है। उज्जैन के चमनगंज थाना क्षेत्र में “आई लव मोहम्मद” नारे वाले बैनर लगाए गए, और सीहोर ज़िले की श्यामपुर तहसील में भी इसी तरह के होर्डिंग दिखाई दिए। “आई लव मोहम्मद” अभियान का असर इंदौर में भी देखने को मिला, जहाँ चंदन नगर इलाके में बैनर देखे गए। भोपाल के नूर महल इलाके में लाल मस्जिद के सामने भी इसी तरह के होर्डिंग देखे गए। मुसलमान कह रहे हैं कि जो लोग अपने ईश्वर में विश्वास रखते हैं, वे उनसे बहुत प्यार करते हैं। उन्हें ये होर्डिंग लगाने चाहिए। हम अपने मोहम्मद में विश्वास रखते हैं, इसलिए हमने ये होर्डिंग लगाए हैं। इससे किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

हिंदू संगठनों ने लगाए “आई लव महाकाल” के पोस्टर

जैसे ही “आई लव मोहम्मद” के बैनर मध्य प्रदेश के ज़िलों में पहुँचे, हर जगह हिंदू संगठन सक्रिय हो गए। उज्जैन में नए नवरंग डांडिया गरबा महोत्सव में “आई लव महाकाल” के पोस्टर दिखाई देने लगे। लोग “आई लव यू महाकाल, जय जय महाकाल” के नारे लगाने लगे। उज्जैन से शुरू हुआ “आई लव महाकाल” अभियान राजधानी भोपाल तक भी पहुँच गया, जहाँ हिंदू संगठनों ने मुख्यमंत्री आवास के पास शीतलदास के बगीचे में “आई लव महाकाल” के पोस्टर लगा दिए।

भाजपा और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया।

राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगे इन होर्डिंग्स को लेकर राजनीति छिड़ गई, जिसके बाद कांग्रेस आगे आई। कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने कहा कि भारत सबका देश है, जहाँ हर कोई अपने आराध्य को याद करता है। भाजपा और आरएसएस ऐसी बातें करते हैं जिससे देश के पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। इस बीच, भाजपा प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि महाकाल हमारी आस्था के केंद्र हैं। देश के लोगों की महाकाल में आस्था है। कांग्रेस अपनी तुष्टिकरण की राजनीति में ग़ज़वा-ए-हिंद और फ़िलिस्तीन के झंडे फहराने वालों का समर्थन करती है।

धार्मिक होर्डिंग्स की राजनीति | I Love Mohammad Vs I love Mahadev

“आई लव मोहम्मद” और “आई लव महाकाल” के पोस्टर अब सिर्फ़ बैनर नहीं, बल्कि राजनीतिक हथियार बन गए हैं। एक तरफ़ तो वो धर्म के नाम पर वोट बैंक जुटाने की कोशिश करते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ जनता के बीच टकराव का माहौल पैदा करते हैं। सवाल ये है कि जहाँ नवरात्रि के गरबा में रंगों, संगीत और उत्सव की गूंज होनी चाहिए, वहाँ अब धार्मिक होर्डिंग पोस्टरों की राजनीति क्यों हो रही है?

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