‘Hunterwali’ भारतीय सिनेमा की सुपरहीरो वाली पहली फिल्म

About Film Hunterwali In Hindi: कृष, शक्तिमान आज के बच्चे शायद इन्हें ही बतौर सुपरहीरो जानते हैं, लेकिन इन सबसे बहुत पहले 1935 में आई फिल्म हंटरवाली इंडियन सिनेमा की पहली सुपरहीरो फिल्म है हंटरवाली। लेकिन इस फिल्म की सुपरहीरो का किरदार निभाया था एक महिला ने। तो आइए जानते हैं फिल्म हंटरवाली के बारे में।

आलम आरा से हंटर वाली तक | From Alam Ara to Hunter Wali

आलम आरा से शुरू हुआ बोलती फिल्मों का दौर साल दर साल चलता गया और सफलता के नए आयाम तय करता गया जिनमें फिल्में आईं घर की लक्ष्मी, अयोध्या, लाल-ए-यमन, बंबई की मोहिनी, चार दरवेश, डाकू की लड़की, मिस 1933, नई दुनिया और साल 1935 में फिल्में आईं आदमी और पड़ोसी, औरत, दुनियां न माने, एक ही रास्ता, सैरांध्री, वतन और हंटर वाली।

जिनमें हंटर वाली फिल्म का ज़िक्र आज भी होता है, क्यों ? | Why is Hunterwali remembered even today?

तो आज हम आपको बताते हैं कि ये पहली एक्शन फिल्म थी, जिसमें किसी दबंग महिला को दिखाया गया था, वो भी अभिनेत्री ने बिना किसी बॉडी डबल की सहायता के खुद ही ये स्टंट किए थे। ये अभिनेत्री थीं फीयरलेस नाडिया के नाम से मशहूर हुईं, मेरी इवांस जो ऑस्ट्रेलिया से थीं और 1934 में भारतीय सिनेमा में क़दम रखा था। और पहले दो फिल्मों, देश दीपक और नूर-ए-यमन में अभिनय कर चुकी थीं। पर फिल्म हंटरवाली में चाबुक वाली लड़की की मुख्य भूमिका में उन्हें खूब पसंद किया गया और इसके बाद उन्हें कई एक्शन फिल्में मिली। बावजूद इसके कि वो हिंदी में संवादों को ठीक से नहीं बोल पाती थीं।


क्या थी कहानी | Story of Hunterwali

हंटरवाली 1935 में बॉम्बे यानी मुंबई की वाडिया मूवीटोन कंपनी द्वारा बनाई गई जिसके नाम को लेकर भी बहस हुई कि ये आधा हिंदी और आधा इंग्लिश है, ये एक एक्शन फिल्म है, जिसमें एक राजकुमारी नकाबपोश हंटरवाली के रूप में अन्याय से लड़ती है। इसकी कहानी शुरू होती है एक तूफ़ानी रात से, जहां कृष्णावती और उसके छोटे से बच्चे को वज़ीर, रणमल घर से बेदखल कर रहा है इससे पहले, रणमल ने उसके भाई की भी हत्या करवा दी थी। फिर फिल्म 20 साल बाद की कहानी पर आती है, जब कृष्णावती का बेटा जसवंत जवान हो कर सड़क से जा रहा है और शाही कार से टकरा जाता है। जिससे उसे चोट लग जाती है जिस पर गाड़ी में सवार राजकुमारी माधुरी जसवंत को सोने के रूप में मुआवज़ा देने की पेशकश करती है पर जसवंत बहादुरी से उपहार को अस्वीकार कर देता है, और राजकुमारी उसकी ओर आकर्षित हो जाती है।

इस बीच खलनायक रणमल की भी नज़र राजकुमारी पर पड़ती है और वो उसका दीवाना हो जाता है, उससे शादी भी करना चाहता है पर जब ये बात राजकुमारी के पिता, यानी महाराज के पास पहुंचती है तो वो रणमल के खिलाफ हो जाते हैं, जिससे रणमल उन्हें कैद कर देता है पर माधुरी ये गुत्थी नहीं सुलझा पाती और तब राजकुमारी माधुरी “हंटरवाली” के रूप में महल से निकलती है, और राज्य में अपनी प्रजा पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए भी कई लड़ाइयां लड़ती है, इस रास्ते में उसे जसवंत के बेशकीमती “पंजाब” नाम के घोड़े को चुराना पड़ता है हालांकि वो उसे जल्द ही वापस भी दे देती है।

लेकिन जसवंत नाराज़ होकर उसका अपहरण कर लेता है और उसे रणमल को उपहार में दे देता है, पर माधुरी वहां से भाग निकलती है और जसवंत से मिलकर सारी बात बताती है आखिर में, माधुरी और जसवंत का प्रेम परवान चढ़ता है और दोनों मिलकर रणमल से लड़ते हैं और उसे हरा देते हैं। इस तरह एक सुखद एहसास के साथ फिल्म समाप्त होती है।
हंटरवाली 164 मिनट की एक ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म है जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखते हुए ब्लॉक बस्टर फिल्मों में गिनी गई ।

इस फिल्म में और किरदार निभाए | Hunterwali movie characters

बोमन श्रॉफ, जयदेव, शरीफा, मास्टर मोहम्मद, जॉन कैवास, गुलशन, सयानी और आतिश ने नायिका की भूमिका के लिए मेरी इवांस का चुनाव इसलिए किया गया था। क्योंकि उन्होंने घुड़सवारी सीखी थी अच्छी नर्तकी थी, फिटनेस फ्रीक थीं और बतौर सर्कस आर्टिस्ट वो 1920 और 1930 के दशक के दौरान एक थिएटर से जुड़ी थीं और बेहद गोरी, सुडौल, सुनहरे बालों और नीली आंखों के साथ हंटरवाली के किरदार में चार चांद लगाती थी।

फिल्म का निर्देशन किया और पटकथा भी लिखी थी होमी वाडिया ने जो खुद नदिया की कशिश के कायल थे और उन्होंने बाद में मेरी इवांस से शादी करके ये साबित भी कर दिया। फिल्म के संवाद लिखे थे जोसेफ डेविड ने ,हंटरवाली की अवधारणा डगलस फेयरबैंक्स अभिनीत रॉबिन हुड जैसी हॉलीवुड फिल्मों से प्रेरित थी।

फिल्म का संगीत | Hunterwali movie music
फिल्म गोविंद गोपाल के कई भजनों से सजी है लेकिन एक गीत काफी लोकप्रिय हुए जिसके बोल थे “हंटरवाली है भली दुनिया की लेठ” फिल्म में राजा की भूमिका निभाने वाले मास्टर मोहम्मद, ही फिल्म के संगीतकार थे।

उस दौर की महंगी फिल्म थी हंटरवाली | Hunterwali was the most expensive film

वाडिया ने न केवल फिल्म बनाने में बल्कि इसके प्रचार में भी बहुत पैसा खर्च किया था। इसका प्रीमियर बॉम्बे में ग्रांट रोड पर सुपर सिनेमा में हुआ था।80,000 रुपये के बजट में इसे बनाने में छह महीने लगे, जो उस वक्त बहुत बड़ी रकम थी।
हंटरवाली 25 सप्ताह तक चली और उस साल के लिए रिकॉर्ड कमाई की।
डायलॉग और एक्शन सीन्स ने जीता दिल | Hunterwali dialogue and action scenes won hearts

हंटरवाली फिल्म में इवांस के एक डायलॉग “आज से मैं हंटरवाली हूं” बोलते ही सिनेमा घरों में उनके नाम की जयकार होने लगती थी और जब वो किसी आदमी को अपने सिर के ऊपर उठाती या किसी के चारों ओर साइडकिक्स घूमती, जिमनास्टिक करती तो लोग टकटकी लगाए उन्हें देखते ही रहते जिसकी वजह से बरसों तक हंटर वाली का ज़िक्र सिनेमा प्रेमियों की जुबां पर रहा इस तरह उन्होंने बड़ा स्टारडम हासिल किया और अगले दो दशकों तक भारतीय फिल्म उद्योग में सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री बन गईं।
हंटरवाली नाम से बाइक कई समान | Hunterwali Bike

हंटरवाली की कमियाबी के बारे में हम इससे ज़्यादा और क्या कहें कि कई ब्रांड ने अपने नाम के साथ “हंटरवाली” नाम लगाकर अपने उत्पादों की बिक्री को बढ़ाया जैसे :- चाबुक- बेल्ट, ताश के पत्ते, चप्पल , बैग, चूड़ियां, माचिस, जूते, शर्ट आदि।
हालांकि कहते हैं वाडिया को बाद में इस बात का अफसोस हुआ कि उन्होंने “हंटरवाली” शब्द का पेटेंट नहीं कराया, क्योंकि उन्हें रॉयल्टी के रूप में काफी पैसा मिल सकता था।

इससे मिलते जुलते नामों को मन गया सफलता का मंत्र | Movie similar to Hunterwali

इसके बाद हंटर वाली नाम से मिलते जुलते नामों वाली फिल्में बनाने की फिल्म निर्माताओं के बीच एक होड़ सी मच गई और कई स्टंट फिल्मों का नाम रखा गया साइकिलवाली, चाबुकवाली और मोटरवाली। वाडिया ने खुद भी 1943 में नादिया के साथ इसका सीक्वल, (“हंटरवाली की बेटी”) रिलीज़ करके हंटरवाली आइकन का भरपूर फायदा उठाया।

हंटरवाली और नाडिया का प्रभाव | Impact of Hunterwali and Nadia
नादिया के पोते रियाद विंसी वाडिया ने 1993 में उनके के जीवन पर फियरलेस: द हंटरवाली स्टोरी नाम की 62 मिनट की डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। अप्रैल 2013 में, दिल्ली में भारतीय सिनेमा के शताब्दी समारोह के दौरान , बनाए गए “टेंट सिनेमा” में इसे दिखाया गया था और एक बात हम आपको बता दें कि विशाल भारद्वाज की २०१७ की हिंदी फिल्म रंगून कथित तौर पर उनके जीवन को दर्शाती है जिसमें कंगना रनौत ने नादिया की भूमिका निभाई थी।

सीक्वल बनने वाली पहली फिल्म
हंटर वाली ,सीक्वल बनाने वाली पहली भारतीय फिल्म है और इस फिल्म से मेरी इवांस भारतीय सिनेमा की”सबसे शुरुआती और सबसे लोकप्रिय स्टंट अभिनेत्री” बन गईं। इसलिए हम कम कह सकते हैं कि इस फिल्म ने कई कीर्तिमान रचे और भारतीय फिल्म जगत की अमूल्य धरोहर है ।

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