Baby Care Tips In Hindi: आपके घर में न्यू बोर्न बेबी यानी नवजात शिशु हैं तो यह लेख आपके बहुत काम आने वाला है क्योंकि नवजात शिशुओं की देखभाल वैसे भी सामान्य रूप से बहुत गंभीरता से करनी होती है जबकि बदलते मौसम में नवजात शिशुओं की देखभाल और विशेष हो जाती है।
अब वो समय दूर नहीं जब मौसम करवट लेगा खासकर गर्मियों से बरसात की ओर इसलिए अब नवजात शिशुओं की देखभाल और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी। क्योंकि यह समय संक्रमण काल होता है जब बच्चों को सर्दी-जुकाम, स्किन इंफेक्शन, एलर्जी और डायरिया जैसी समस्याओं की चपेट में ले सकता है।
ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि माता-पिता सचेत रहें और कुछ विशेष उपाय अपनाएं जिसके लिए ये उपयुक्त समय है कि बच्चों को कैसे स्वस्थ रखें।
प्रॉपर वेंटीलेशन और हाईजीनिंग
गर्मी के बाद बरसात का मौसम उमस और सीलन लेकर आता है। यह वातावरण बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण के लिए उपयुक्त बन जाता है।
नवजात को ऐसे कमरे में बिल्कुल न रखें बल्कि ऐसी जगह पर रखें जहां तेज रोशनी और हवा का पर्याप्त आदान-प्रदान हो। फर्श और कोनों की नियमित सफाई करें और कीटाणुनाशक का हल्का प्रयोग करें।
बच्चे के कपड़ों का चयन सोच-समझकर करें
बच्चों के कपड़े हमेशा बड़ी सूझ-बूझ से करें जिसमें गर्मियों में हल्के सूती कपड़े सही रहते हैं लेकिन बरसात में नमी से बचाने वाले कपड़े पहनाना जरूरी है।
ऐसे कपड़े चुनें जो शरीर से चिपकें नहीं, पसीना सोख सकें और जल्दी सूख जाएं। याद रहे कि बच्चे को दिन में दो तीन बार या बार-बार कपड़े बदलकर साफ और सूखे कपड़े पहनाना न भूलें।
स्किन केयर के लिए नमी से बचाव जरूरी
- बारिश के मौसम में बच्चे की त्वचा पर लाल चकत्ते, घमौरियां या फंगल इंफेक्शन हो सकते हैं।
- ऐसे में नैचुरल मॉइस्चराइज़र जैसे नारियल तेल को हल्की मालिश कर लगाते रहें ।
- डायपर बदलते समय अच्छे से त्वचा को सुखाएं और बेबी पाउडर का सीमित प्रयोग करने के बाद कुछ देर खुला छोड़ फिर डायपर पहनाएं।
- सप्ताह में कम से कम दो से तीन बार गुनगुने पानी से नहाएं और इसके अलावा स्पंजिग कर सुखाएं फिर कपड़े पहनाएं।
इंफेक्शन से सेफ्टी सबसे ज़रूरी
मौसम बदलते समय शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है ऐसे में कुछ एहतियात बरतने से बच्चों को किसी भी वायरल से सुरक्षित रखा जा सकता है इसके लिए कुछ प्वाइंट हैं जिन्हें फॉलो करना जरूरी हो जाता है।
- हमेशा हाथ धोकर ही बच्चे को छुएं।
- घर में मेहमानों को भी बगैर हेण्ड वॉश किए बच्चों को न छूने दें।।
- बच्चों को ज्यादा भीड़-भाड़ या सार्वजनिक स्थानों पर न ले जाएं।
फीडिंग और हाइड्रेशन का रखें विशेष ध्यान
नवजात यदि मां का दूध पी रहा है, तो मां को भी अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखें। इसके लिए मां को अधिक पानी पीना चाहिए ताकि वो हाइड्रेटेड रहे और पौष्टिक आहार ले ताकि दूध की गुणवत्ता बनी रहे। बारिश में पानी दूषित हो सकता है, इसलिए उबालकर ही पानी प्रयोग करें।
मच्छरों से सुरक्षा के लिए हमेशा यूज करें मॉसकीटो नेट
बरसात में डेंगू, मलेरिया का खतरा बढ़ जाता है। नवजात को मच्छरों से बचाने के लिए हमेशा मच्छरदानी का प्रयोग करें।
बच्चों के कमरे में मच्छर भगाने वाले रासायनिक धुएं से दूरी रखें ये उनके नाजुक त्वचा और स्वांस नलिकाओं के लिए नुकसानदायक है। घर में कहीं भी पानी इकट्ठा न होने दें, कूलर, गमले आदि की सफाई करते रहें।
किसी भी समस्या पर पीडिआट्रीशियन से संपर्क करें
मौसम बदलने पर अगर बच्चे को बार-बार छींक, खांसी, दस्त, बुखार या रैशेज हो रहे हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कभी भी घरेलू नुस्खों पर पूरी तरह निर्भर न रहें।
विशेष :- गर्मी से बरसात की ओर बढ़ता मौसम नवजात शिशुओं के लिए संवेदनशील समय होता है। थोड़ी सी सावधानी और साफ-सुथरे वातावरण से उन्हें कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। हर माता-पिता का फर्ज है कि वे अपने शिशु की सुरक्षा में कोई भी कोताही न बरतें और मौसम की बदलती चाल के अनुसार सजग रहें।