Sheopur Murder Case; 6 मई 2024, रात नौ बजे। श्योपुर कोतवाली में 25 साल का एक युवक अपने मामा और फूफा के साथ पहुंचा। उसने 65 साल की बुजुर्ग मां के लापता होने की शिकायत की। पुलिस मामला दर्ज कर महिला की तलाश शुरू कर दी। तीन दिन बाद 9 मई को महिला की लाश उसी के घर के बाथरूम में मिली। शव को सीमेंट के चबूतरे के निचे दफना दिया गया था। पुलिस ने जब तफ्तीश की तो पता चला कि हत्यारा कोई और नहीं, बल्कि बेटा ही है।मां की प्रॉपर्टी हथियाने के लिए बेटे ने बेरहमी से उसकी हत्या की। खास बात ये है कि 23 साल पहले मां इस बेटे को अनाथालय से लेकर आई थी।
Madhya Pradesh Crime News: श्योपुर शहर में रेलवे कॉलोनी में रहने वाले दम्पति भुवनेंद्र पचौरी और उनकी पत्नी ऊषा की कोई औलाद नहीं थी। मूल रूप से मुरैना जिले के सबलगढ़ के रहने वाले भुवनेंद्र वन विभाग में थे। पांच भाइयों में दूसरे नंबर के भुवनेंद्र अपने किसी रिश्तेदार या भाई के बच्चे को गोद लेना चाहते थे।उनकी पत्नी ऊषा ने प्रस्ताव दिया कि किसी अनाथ को नाम देते हैं। पति भुवनेंद्र ने पत्नी की बात मान ली और ग्वालियर के अनाथालय पहुंचे। वहां से 2 साल के मासूम को गोद लिया। घर बच्चे की हसी से गूंज उठा पति-पत्नी, बेऔलाद होने का सारा दुख भूल गए। बड़े लाड़-प्यार से इस बच्चे को पाला-पोसा। नाम रखा दीपक। नाम रखने के पीछे वजह थी बच्चा उनके कुल का दीपक था। दीपक पढ़ाई में तेज था। 10वीं में उसने 94 प्रतिशत अंक हासिल किए। 12वीं में उसके 89 प्रतिशत अंक आए। दीपक श्योपुर से ग्रेजुएशन करने के बाद यूपीएससी की तैयारी करने इंदौर चला गया। 2016 में भुवनेंद्र पचौरी वन विभाग से रिटायर हुए। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 2021 में भुवनेंद्र की हार्टअटैक से मौत हो गई, तब दीपक की उम्र 17 साल थी।
Madhya Pradesh Crime: भुवनेंद्र पचौरी ने दीपक को ही अपने बैंक अकाउंट और प्रॉपर्टी का नॉमिनी बनाया था। उन्होंने 16.85 लाख की एफडी कराई थी। उनके निधन के बाद उनकी सम्पति दीपक को मिल गई. दीपक एफडी तुड़वाकर 14 लाख शेयर मार्किट में लगा दिया। वहां पैसे दुब गए। 2.85 लाख रुपए उसने खर्च कर दिए। और यहीं से दीपक नशे की गिरफ्त में जकड़ता चल गया। इंदौर में UPSC की तैयारी की बजाय उसने ड्रग्स और अय्याशी में पैसे उड़ा दिए।
भुवनेंद्र ने पत्नी उषा के नाम पर 32 लाख रुपए की एफडी कराई थी। उसमें भी दीपक ही नॉमिनी था। श्योपुर वाला घर भी ऊषा के ही नाम था। इसकी कीमत करीब 70 लाख रुपए है। दीपक मां पर एफडी तुड़वाने का दबाव डालने लगा था। जिसे लेकर अक्सर उनके बीच विवाद होता था. ऊषा के परिवार के लोग श्योपुर शहर में वकील कॉलोनी में रहते हैं। यहां ऊषा के भतीजे संतोष शर्मा का परिवार रहता है। संतोष कई बार दीपक और मां ऊषा के बीच समझौता करा चुके थे। ऊषा रोज-रोज के विवाद से परेशान हो गई थी। वह श्योपुर वाला मकान बेचकर सबलगढ़ में शिफ्ट होना चाह रही थीं। चाचा दिनेश कुमार शर्मा के अनुसार दीपक अपनी मां ऊषा के साथ अक्सर मारपीट करता था। ऐसा भाभी उषा ने संतोष के घर एक विवाह कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान बताई थी. दिनेश कुमार शर्मा बताते हैं कि शादी के तुरंत बाद मैं संभलगढ़ आ गया. सोचा था श्योपुर आने के बाद दीपक को समझाऊंगा।
ऊषा का 1200 वर्ग फीट पर बना दो मंजिल मकान है। इस घर में मां-बेटे के अलावा कुछ किराएदार भी रहते हैं। इनमें कुछ छात्र हैं तो एक दुकानदार। सभी किराएदार सुबह निकल जाते हैं। दीपक के घर के सामने ही उसके रिश्ते में फूफा रामबाबू पाराशर रहते हैं। 6 मई को वे भी घर पर नहीं थे। टीआई कोतवाली योगेंद्र जादौन के मुताबिक दीपक ने 6 मई को सुबह 10.30 बजे के लगभग अपनी मां ऊषा पचौरी की हत्या को अंजाम दिया। दरअसल, उस समय ऊषा छत पर लगे तुलसी के पौधे में पानी देने जा रही थीं। तभी बीच सीढ़ियों से दीपक ने धक्का दे दिया। वह सिर के नीचे गिर गईं।इसके बाद उसने रॉड से उनके सिर पर ताबड़तोड़ नौ से 10 वार किए। फिर उनकी ही साड़ी से चेहरे और गले पर लपेटकर कस दिया। मेडिकल रिपोर्ट में मौत की वजह सिर में रॉड से हमला बताई जा रही है। सिर में गंभीर चोट मिली है।
कोतवाली टीआई योगेंद्र सिंह जादौन अनुसार दीपक ने ऊषा की हत्या के बाद शव को साड़ी से लपेट दिया। इसके बाद बाथरूम में गड्ढा खोदकर दफना दिया। ऊपर से ईंट बिछाकर उसने सीमेंट से प्लास्टर कर दिया। वह लगातार पानी डाल रहा था, जिससे सीमेंट अच्छी पकड़ बना ले।इसके बाद उसने मां की गुमशुदगी की कहानी रची। शाम 5 बजे वह घर से निकला और सामने रहने वाले फूफा रामबाबू पराशर को बताया कि मां का पता नहीं चल रहा है। वह सुबह 11 बजे अस्पताल गई थीं। रामबाबू ने ऊषा के भतीजे संतोष को फोन किया और उनके बारे में पूछा।अक्सर दीपक से विवाद के बाद ऊषा अपने भतीजे संतोष के यहां चली जाया करती थीं। संतोष ने जब इनकार किया तब रामबाबू उसे लेकर श्योपुर कोतवाली पहुंचे और गुमशुदगी की सूचना दी।
कोतवाली टीआई योगेंद्र सिंह जादौन के मुताबिक दीपक ने बताया था कि मां सुबह 11.30 बजे अस्पताल गई थी, लेकिन उनके लौटने का इंतजार न कर उसने 7 मई को ही मां के बॉक्स का ताला तोड़ने की कोशिश की। उसे ऐसा करने से फूफा रामबाबू और किराएदारों ने मना किया। ये भी कहा कि पहले मां को लौटने दो। इसके बाद भी उसने ताला तोड़ा। इसी बीच दीपक के परिवार के लोगों ने ही पुलिस को बताया कि उन्हें दीपक पर शक है। एक बार उससे भी पूछताछ करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि मां-बेटे में अक्सर झगड़े होते थे। पुलिस ने दीपक से कहा कि वह अस्पताल के पास लगे सीसीटीवी फुटेज चेक कर रही है, उसमें वह मां की पहचान करें। ये सुनकर वह घबरा गया और संदेह के दायरे में आ गया।
दीपक छह माह पहले भी मां ऊषा की हत्या का प्रयास कर चुका है, तब उसने मां को खाने में चूहा मार दवा खिलाई थी। उलटी होने पर उनकी जान बच गई, तभी से वह दीपक पर संदेह करने लगी थीं। पुलिस को इस बारे में भी परिवारवालों से जानकारी दी ।पुलिस ने 8 मई को दीपक को हिरासत में लिया। सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने मां की हत्या कर शव को चबूतरे के नीचे दफनाने की बात स्वीकार की।