lakshdweep history: हाल ही में भारतीय केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप चर्चा में आ गया है. तो आज हम हमारे इस वीडियो के जरिये लक्षद्वीप के बारे में,उसकी जियोग्राफी,कैसे इसका फार्मेशन हुआ ,और साथ ही में जानेंगे कि कैसे मालदीव्स के एक पॉलिटिशियन के लक्षद्वीप पर एक स्टेटमेंट के कारण भारत के साथ उसके रिश्ते प्रभावित हुए हैं.
सबसे पहले जान लेना जरुरी है कि लक्षद्वीप चर्चा में क्यों है.दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा की वजह से ये टापू चर्चा में आ गया है .उन्होंने सोशल मीडिया पर स्नॉर्कलिंग[snorkling] करते हुए फोटो भी शेयर की और टापू पर अपने अनुभव साझा किये।इसके साथ ही उन्होंने लक्षद्वीप में 1150 करोड़ के प्रोजेक्ट्स की फाउंडेशन भी रखी.
लक्षद्वीप अरेबियन सी में छोटे छोटे टापुओं का एक समूह है.अपनी प्राकृतिक सम्पदा,खूबसूरत बीचेस, ग्रीन लैंडस्केप के लिए प्रसिद्ध लक्षद्वीप 35 छोटे छोटे द्वीपों के समूह से बना है.पहले इन द्वीपों की संख्या 36 थी जिनमे से 1 के डूब जाने से 35 बचे.लक्षद्वीप का पूरा एरिया 32 स्कॉयर किलोमीटर है.लक्षद्वीप की कैपिटल केवरट्टी है.लक्षद्वीप भारत के दक्षिणी राज्य केरल के कोच्चि से 391 किलोमीटर की दूरी पर है.
लक्षद्वीप नाम संस्कृत के शब्द लखदीप से लिया गया है जिसका अर्थ है 1 लाख द्वीप हालाँकि लक्षद्वीप 35 द्वीपों का समूह है जिनमे से 10 पर ही बस्ती है.इन दस द्वीपों में सबसे बड़ा द्वीप एंड्रोथ है जिसका एरिया 4.84 स्क्वायर किलोमीटर है वहीँ सबसे छोटा बित्रा द्वीप है जिसका एरिया है 0.1 स्क्वायर किलोमीटर।
लक्षद्वीप का ओरिजिन VOLCANO ERUPTION से हुआ माना जाता है. जो आज से लगभग 66 मिलियन साल पहले हुआ था.VOLCANO ERUPTION का मतलब है ज्वालामुखी विस्फोट।ये तब होता है जब धरती के भीतरी हिस्से से गैस और लावा वोल्केनो के रूप में बाहर आ जाता है.कभी कभी ये काफी एक्सप्लोसिव होता है.बहरहाल,जिस जगह पर आज लक्षद्वीप है वो वोल्केनो प्रोन जगह हुआ करती थी। यानि यहाँ लावा फटने की घटनाएं होती रहती थी.इस विस्फोट की लोकेशन पूर्वी अफ्रीका और भारत के बीच की थी जिसे रीयूनियन हॉटस्पॉट बोला जाता था।
इस विस्फोट ने भारत और अफ्रीका को अलग कर दिया और कई CLUSTERED यानि बिखरे हुए ISLANDS को जन्म दिया जिसका नाम पड़ा चागोस लक्काडोवे आर्किपेलागो।लक्षद्वीप उसी का एक हिस्सा है.
ग्रंथों की बात करें तो इसका जिक्र ग्रीक टेक्स्ट PERIPLUS OF ERETHREAN SEA में मिलता है.कहा जाता है कि अगर आज़ादी के वक्त भारत को लक्षद्वीप पहुंचने में आधे घंटे की देरी होती तो लक्षद्वीप आज पाकिस्तान का होता।दरअसल किस्सा ऐसा है की आज़ादी के वक्त लक्षद्वीप का भारत के हिस्से आने पर कोई सवाल ही नहीं खड़ा होता था क्योंकि उस वक्त ये बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था लेकिन मोहम्मद अली जिन्नाह की निगाह उस वक्त लक्षद्वीप पर थी कारण सिर्फ जमीन का एक हिस्सा नहीं था बल्कि इसका सबसे बड़ा कारण इसकी लोकेशन थी .दरअसल मध्यकाल से ही हिन्द महासागर ट्रेड रूट का मुख्य पड़ाव था यहाँ से हिन्द महासागर और अरब सागर पर नज़र रखी जा सकती थी और साथ ही में लक्षद्वीप में मुस्लिम माजोइरिटी ज्यादा है इसलिए मोहम्मद अली जिन्नाह को उसपर पाकिस्तान का अधिकार लग रहा था.अब हुआ यूं कि इस पर कब्ज़ा करने के लिए जब पाकिस्तान आर्मी वहां पहुंची उससे पहले ही भारत वहां पहुँच चुका था और भारत का झंडा वहां लहरा रहा था.इस पूरे वाकये में पाकिस्तान को लक्षद्वीप पहुंचने में मात्र आधे घंटे की देरी हुई थी.
लक्षद्वीप मुस्लिम बहुल है.इनका प्रतिशत है 97 फ़ीसदी.इसके आलावा यहाँ हिन्दू 3 फ़ीसदी ,क्रिस्चियन 0.49 फ़ीसदी और सिख की 0. 01 जनसँख्या रहती है. यहाँ बौद्ध धर्म का भी इतिहास है.माना जाता है कि बौद्ध भिक्षु संगमित्र यहाँ आये थे.
लक्षद्वीप की इकॉनमी एग्रीकल्चर बेस्ड है इसके आलावा फिशिंग भी यहाँ की अर्थव्यवस्था का मुख्या हिस्सा है.
अब बात कर लेते हैं भारत और मालदीव्स के बीच आये खटास की जिसमे लक्षद्वीप का एंगल सामने आता है.
लक्षद्वीप के टूर की प्रधान मंत्री द्वारा सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट के बाद मालदीव्स के एक पॉलिटिशियन ज़ाहिद रमीज़ ने ट्वीट कर के कहा ये बढिया है लेकिन हमारे साथ कंपीट करना एक भ्रम है.आप कुछ भी कर सकते हैं पर हमारी बराबरी नहीं कर सकते। बाद में अपने एक पोस्ट पर ज़ाहिद रमीज ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को श्रीलंका जैसी छोटी अर्थव्यवस्था को कॉपी करने का भी इलज़ाम लगाया है.इस कदम के बाद मालदीव्स को काफी बैकलैश का सामना करना पड़ रहा है.लोग यहाँ तक अपने मालदीव्स के टिकट भी कैंसिल करवा रहे हैं.