हम जानते हैं की समय दुनिया से हर जगह के हिसाब से अलग-अलग होता है, पृथ्वी सूरज का चक्कर लगाती है इसके चलते दुनिया के किसी हिस्से में कभी दिन होता है तो कभी रात। टाइम जोन बदलता रहता है। दुनिया में कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जहाँ एक ही देश में अलग अलग समय रहता है। भारत के पूरे क्षेत्र में एक ही टाइम जोन को फॉलो किया जाता है। हम अक्सर देखते हैं कि पश्चिम की तरफ के देशो का समय भारत से पीछे चलता है और पूर्व तरफ का समय आगे चलता है। पर ये टाइम जोन सेट कैसे होता है? आखिर इसका मानक क्या होता है?
देशों का टाइम जोन अलग क्यों होते हैं?
पृथ्वी सौरमंडल में चक्कर लगाती है जिसकी वजह से कहीं दिन और कहीं रात होती है। टाइम को दुनिया में सही तरीके से मैनेज करने में जोग्रॉफिकल मैप में एक वर्टिकल यानी सीधी खड़ी लाइन बनाया गया, जिसे क्षैतिज रेखा या देशांतर रेखा भी कहते हैं इससे ही दुनिया का टाइम जोन निर्धारित होता है। देशांतर रेखाओं में सबसे बीच वाली रेखा को जीरो डिग्री रेखा भी कहते हैं। यह समय की एक मानक रेखा होती है इससे हो दुनिया भर के टाइम ज़ोन का निर्धारण होता है। दुनिया भर में 24 टाइम जोन बनाये गए हैं।
क्या होती है ग्रीनविच रेखा?
देशांतर रेखाओं की सबसे बीच वाली रेखा को ही ग्रीनविच रेखा कहते हैं। इससे ही दुनिया का टाइम जोन अलग-अलग बनता है। ग्रीनविच रेखा के दायीं तरफ और बायीं तरफ कई सारी रेखाएं होती हैं, इनको डिग्री से मापते है, हर 1 लाइन के अंदर 15 डिग्री होती है। ग्रीन विच लाइन में यूनाइटेड किंगडम को रखा गया है। पहली देशांतर रेखा और दूसरी देशांतर रेखा के बीच 1 घंटे का फर्क होता है। ग्रीनविच लाइन के पूर्व में टाइम ज़ोन आगे चलता है और पश्चिम में वही पीछे चलता है। UK के पूर्वी देशों का समय आगे चलता है और पश्चिमी के देशो का समय UK से पीछे होता है, जैसे की भारत UK के पूर्व में है तो इसी लिए भारत उससे 5 देशांतर रेखा आगे है, जिससे यहाँ का समय UK से 5 घंटे आगे होता है। जैसे भारत में सुबह के 5 बजे होंगे तो UK में रात के 12 बजे होंगे। इसी तरह अमेरिका UK से 5 देशांतर रेखा पीछे है तो अगर अमेरिका में सुबह के 7 बजे होंगे तो UK में दोपहर के 12 बज रहे होंगे।
टाइम जोन की शुरुआत कैसे हुई?
ब्रिटेन के रेलवे इंजीनियर स्टैनफोर्ड फ्लेमिंग ने साल 1884 में किया था। दरअसल पहले के समय में समय का कोई निर्धारण नहीं था, टाइम फिक्स नहीं होने के कारण स्टैनफोर्ड की कई बार ट्रैन छूट जाया करती थी जिसके बाद उन्होंने दुनिया को 24 टाइम ज़ोन में बाँट दिया हर टाइम ज़ोन के अंदर 15 डिग्री होती है और हर टाइम ज़ोन में एक घंटे का फ़र्क़ होता है। इंग्लैंड को ग्रीनविच लाइन चुना गया यानी की प्राइम मेरिडियन चुना गया। उससे ही दुनिया की दूसर जगहों का समय निर्धारित होता है।
एक ही देश में अलग-अलग टाइम जोन ;
दुनिया में कई ऐसे देश भी हैं जहाँ अलग अलग टाइम जोन चलते है जैसे रूस एक इतना बड़ा देश है जहाँ लगभग 11 टाइम जोन फॉलो किया जाता हैं। पश्चिमी रूस और पूर्वो रूस के समय में 9 घंटे का फर्क हो जाता है। रूस के मास्को में अगर दिन के 12 बजे होंगे तो पूर्वी रूस में शाम हो चुकी होगी। रूस के साथ ही दुनिया में और भी काफी बड़े देश हैं जिसमें अलग अलग टाइम जोन फॉलो किया जाता है जैसे अमेरिका, कनाडा आदि देशों में भी कई टाइम ज़ोन होते हैं।
भारत में फॉलो करते हैं एक ही टाइम ज़ोन ;
सन 1988 में जब टाइम ज़ोन बनाया गया उसके बाद और आज़ादी से पहले भारत में 3 टाइम जोन फॉलो किया जाता था, जिसमें बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास के समय अलग-अलग थे और अगर तकनीकी रूप से भी देखा जाये तो भारत का क्षेत्रफल 2 टाइम जोन में बना हुआ है, पर इंडियन स्टैंडर्ड टाइम के हिसाब से दुनिया का सातवे सबसे बड़े देश होने के बाद भी पूरे देश में एक ही टाइम जोन को फॉलो किया जाता है। इससे लोगों के बीच कोई भी कन्फूज़न नहीं बनती है। भारत के पूर्वी और पश्चिमी भू-भाग के बीच काफी बड़ा हिस्सा आता है इसके बाद भी भारत में यदि किसी हिस्से में 12 बजे होंगे तो पुरे भारत में भी होंगे।