How did Kerala eliminate extreme poverty: केरल ने हाल ही में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने विधानसभा में घोषणा की कि राज्य में अत्यधिक गरीबी खत्म हो गई है। यह भारत का पहला राज्य है जो World Bank criteria के तहत इस मुकाम पर पहुंचा।
Kerala poverty eradication:अत्यधिक गरीबी की परिभाषा सरल है—जिन परिवारों की दैनिक आय 3 डॉलर (करीब ₹257) से कम है, वे अब न के बराबर रह गए हैं। 2011-12 में जहां केरल में यह दर 27.1% थी, वहीं 2022-23 तक यह घटकर महज 5.3% रह गई। ग्रामीण इलाकों में 18.4% से 2.8% और शहरी क्षेत्रों में 10.7% से 1.1% की गिरावट ने पूरे देश को प्रेरित किया।
केरल में अत्यधिक गरीबी कैसे खत्म हुई
2021 में केरल सरकार ने EPAP scheme (Extreme Poverty Abolition Project) लॉन्च किया, जो मानवीय गरिमा ढाँचा पर आधारित था। इसमें भोजन, आय, स्वास्थ्य और आवास जैसे बुनियादी जरूरतों को प्राथमिकता दी गई। 14 जिलों में 1300 सर्वेयरों की टीम उतारी गई, जिन्होंने वार्ड स्तर पर भागीदारी से 64,006 परिवारों की पहचान की। प्रक्रिया पारदर्शी थी उप-समितियां शॉर्टलिस्ट करतीं, मोबाइल ऐप से साक्षात्कार होता, और ग्राम सभाओं में अंतिम सत्यापन। कुल 1,03,099 लोग सामने आए, जिनमें 81% ग्रामीण थे, 68% अकेले रहने वाले, 24% स्वास्थ्य प्रभावित, 21% भोजन की कमी से जूझ रहे, और 15% बिना घर के।
सरकार ने ₹1,000 करोड़ से ज्यादा का निवेश किया, जिसमें 73,000 योजनाएं प्रमुख थीं। कोट्टायम जिले से शुरुआत हुई, जहां 978 प्लान बने। सामाजिक संगठनों की मदद से रोजाना राशन, स्वास्थ्य सुविधाएं, घर निर्माण, राशन कार्ड, आधार कार्ड, पेंशन और कौशल विकास प्रदान किए गए। सख्त निगरानी और सामाजिक ऑडिट ने सुनिश्चित किया कि कोई परिवार छूट न जाए।
क्या हैं प्रमुख सफलता के कारक?
केरल की ताकत हमेशा से पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम और स्वास्थ्य देखभाल पहुंच रही है, लेकिन EPAP ने इन्हें एकीकृत किया। विपक्ष ने घोषणा पर बहिष्कार किया, इसे फ्रॉड कहकर, लेकिन CM ने जवाब दिया, “हम वही कहते हैं जो लागू कर सकते हैं।” चार सालों में 64,006 परिवारों को गरीबी से बाहर निकाला गया, जो सतत विकास लक्ष्य (SDGs) का जीता-जागता उदाहरण है। 25 अक्टूबर को X पर CM की पोस्ट ने हलचल मचा दी, और 1 नवंबर को केरल पिरवी दिवस पर विधानसभा में औपचारिक ऐलान हुआ।
केरल का यह मॉडल अब राष्ट्रीय स्तर पर NITI आयोग के लिए चर्चा में है। हालांकि, विपक्षी दबाव के बीच सरकार का फोकस अब मध्यम गरीबी पर शिफ्ट हो सकता है। कुल मिलाकर, EPAP जैसी लक्षित हस्तक्षेप ने साबित किया कि मजबूत इच्छाशक्ति और डेटा-आधारित नीतियां चमत्कार कर सकती हैं। यदि अन्य राज्य इसे अपनाएं, तो भारत का Vision 2047 वाकई हकीकत बन सकता है।
