Holika Dahan Time : बड़े काम की है होलिका दहन की राख, चुपचाप यहां लाकर रख दें

Holika Dahan Time : हिंदू धर्म में दो दिवसीय होली का पर्व ए से शुरू हो चुका है। आज पूर्णिमा की रात्रि में होलिका दहन किया जाएगा। आज 13 मार्च को पूर्णिमा पर भद्रा लगने के कारण होलिका दहन करने का शुभ मुहूर्त 11:30 बजे से लेकर 12:30 बजे तक है। अगले दिन 14 मार्च को रंगों के साथ होली खेली जाएगी। होलिका दहन के दिन पूजा करने का भी विधान है। होलिका दहन में पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। मगर बहुत से लोग इस भ्रम में रहते हैं कि होलिका दहन की राख को घर में लाना चाहिए या नहीं? आज इस लेख में हम आपको यह जानकारी देंगे की होलिका दहन की रात को घर में कब और कैसे लाया जाता है। साथी यह भी बताएंगे कि होलिका दहन की राख हमारे जीवन में कितनी उपयोगी होती है।

होलिका दहन कब है | Holika Dahan 2025 Time

हिंदू धर्म में होलिका दहन का पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय के प्रतीक रूप में मनाया जाता है। होलिका दहन की पूजा करने से घर में बुराइयों का नाश होता सकारात्मक ऊर्जा आती है। होलिका दहन आज 13 मार्च को गुरुवार के दिन ही होगा। पंडित और ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल होलिका दहन के दिन भद्रा का साया लगा हुआ है इसलिए भद्राकाल में होलिका दहन नहीं किया जा सकता है। आज सुबह 10 बजे फाल्गुन पूर्णिमा आरंभ हो चुकी है? इसी के साथ भद्रा का साया भी शुरू हो गया है, जो रात लगभग 11 बजकर 26 बजे तक रहेग। इसलिए होलिका दहन के लिए रात 11.30 बजे से लेकर रात 12 बजकर 23 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा।  

होलिका दहन की पूजा कैसे करें?

होलिका दहन की पूजा करने से पूर्व ही होलिका का निर्माण कर ले। होलिका का निर्माण होलाष्टक लगने से पूर्व ही कर लिया जाता है। होलिका दहन के दिन इसकी पूजा की जाती है। इसमें होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाकर भगवान नरसिंह की पूजा होती है। होलिका दहन होने के बाद होलिका की अग्नि में अक्षत, पुष्प, रोली, गेहूं, चने, गेहूं की बालियां और गोबर से बने उपले डाले। इसके बाद होलिका की तीन बार परिक्रमा करें और अपनी मनोकामनाओं को कहें। इसके बाद होलिका की आग में गुलाल और जल छिड़क दें। जब होलिका की आंख शांत हो जाए और रात में बदल जाए तो उसे रात को घर ले आना चाहिए। 

होलिका की राख को घर लाएं या नहीं? | Holika Dahan 2025

कहते हैं कि होलिका एक स्त्री थी और अपने ही भतीजे प्रहलाद को जलाने के लिए वह अग्नि की शैया पर पहले को गोद में लेकर बैठ गई थी। प्रहलाद को तो कुछ नहीं हुआ लेकिन होलिका जलकर भस्म हो गई थी। अभी से होली का पर्व होलिका दहन करके मनाया जाता है। ऐसे में होलिका दहन की राख चीता की भस्म कहलाती है। इसलिए कुछ लोगों का मानना है कि होलिका की रात को घर नहीं लाना चाहिए। लेकिन वास्तु शास्त्र की माने तो होलिका की राख बहुत ही उपयोगी होती है।

होलिका की रात का क्या करें? | Holi 2025 Puja

होलिका की राख को चुपचाप घर की चौखट के पास रख देना चाहिए। सुबह उठकर इस रात को चुटकी भर लेकर घर में छिड़कना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों से प्रभावित है या मानसिक रूप से बीमार रहता है तो ऐसे व्यक्ति को होलिका की राख लगा देनी चाहिए। इससे उसकी शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है। 

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