होकाटो सेमा (Hokato Sema) जो एक लैंडमाइन विस्फोट से बचे थे, जिन्होंने पेरिस में जारी पैरालंपिक 2024 (Paralympics 2024) में इतिहास रच दिया है। उन्होंने बीते शुक्रवार को पुरुषों की F57 श्रेणी के फाइनल में भारत के लिए कांस्य पदक जीता। नागालैंड के दीमापुर के रहने वाले सेमा भारतीय सेना में कार्यरत थे। इससे पहले वह टोक्यो में हुए पैरालंपिक में भी कांस्य पदक जीता चुके हैं।
भारतीय पैरालंपियन रच रहे कीर्तिमान
कहते हैं, जहां चाह होती है, वहां राह होती है। अगर आप ठान लें तो दुनिया में कुछ भी नामुकिन नहीं है, जो आप न कर सकें। अगर आपको किसी भी प्रेरणा लेनी है, इस दौर में तो आप आराम से घर पर बैठकर टीवी पर पेरिस में जारी पैरालंपिक 2024 के इवेंट्स देखें। अपनी मजबूरियां और अपनी दिक्कतें अपने आप कम लगने लगेंगी।
पैरालंपिक में भारतीय एथलीटों का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा है। उसी क्रम में भारतीय सेना में हवलदार रहे Hokato Sema होकाटो सेमा का नाम भी जुड़ गया है। उन्होंने शॉट पुट में न सिर्फ कांस्य पदक जीता है, लेकिन करोड़ों भारतीय के लिए मिसाल कायम की है।
शुक्रवार को, उन्होंने अपने दूसरे थ्रो के साथ 14 मीटर के निशान को छुआ, और फिर इसे 14.40 मीटर के थ्रो के साथ बेहतर बनाया।
वह भारतीय सेना में हवलदार थे, और 2002 में नियंत्रण रेखा पर एक ऑपरेशन के दौरान उन्हें लैंडमाइन विस्फोट के कारण अपना पैर गंवाना पड़ा था। इस दुर्घटना के बाद, उन्होंने तय किया कि वह शॉट पुट खेलेंगे और आज उन्होंने इसी खेल में विश्व स्तर पर भारत का मान बढ़ाया है।
सेमा को पुणे स्थित कृत्रिम अंग केंद्र में कार्यरत एक वरिष्ठ सेना अधिकारी ने शॉट पुट खेलने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने 32 साल की उम्र में 2016 में इस खेल को खेलना शुरू किया और उसी वर्ष जयपुर में राष्ट्रीय पैरा चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा शुरू की।
पेरिस में चल रहे पैरालंपिक में भारत ने 27 पदक अबतक जीते हैं, जिसमें 12 कांस्य, नौ रजत और छह स्वर्ण पदक शामिल हैं। शुक्रवार को सेमा के प्रयास ने भी अज़रबैजान के ओलोखान मुसायेव द्वारा स्थापित 13.49 मीटर के पिछले पैरालंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया। इस बीच, ईरान के यासिन खोस्रावी ने 15.96 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता, और ब्राजील के थियागो दोस सांतोस ने 15.06 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता।
उन्होंने 2022 में मोरक्को ग्रां प्री में रजत पदक भी जीता है, और इस साल विश्व चैंपियनशिप में चौथे स्थान पर रहे। पैरालंपिक में F57 इवेंट में हिस्सा लेने वाले बैठे हुए एथलीटों के लिए है। F57 श्रेणी उन फील्ड एथलीटों के लिए है जिनके एक पैर की गति प्रभावित होती है, दोनों पैरों में मध्यम रूप से या अंगों की अनुपस्थिति होती है। तब इन एथलीटों को पैरों से ताकत में महत्वपूर्ण विषमता की भरपाई करनी होती है, लेकिन उनके ऊपरी शरीर की पूरी ताकत होती है।
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