Treaty of Allahabad | इलाहाबाद की संधि जिसने भारत का इतिहास बदल दिया

Treaty Of Allahabad In Hindi: इलाहाबाद की संधि भारत के औपनिवेशिककाल की एक महत्वपूर्ण घटना थी। जिसके बाद मुग़ल सत्ता नाम मात्र की रह गई थी, उसकी जगह ईस्ट इंडिया कंपनी भारत की वास्तविक शक्ति बन गई। यह संधि मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय और ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतिनिधि रॉबर्ट क्लाइव के मध्य में हुई थी।

संधि की पृष्ठभूमि | Background of Allahabad Treaty

1757 में प्लासी युद्ध के बाद, अंग्रेजों ने मीरजाफर को बंगाल का कठपुतली नवाब बनाया, लेकिन मीर जफ़र अंग्रेजों से तंग आकर डच ईस्ट इंडिया कंपनी से संपर्क कर रहा था। जिसके बाद जफ़र के स्थान पर उसके दामाद मीर कासिम को बंगाल का नया नवाब बनाया गया। लेकिन अंग्रेजों की यह भूल थी, मीर कासिम कठपुतली नवाब नहीं बनना चाहता था।

मीर कासिम के कार्य | Why did the British remove Mir Qasim

उसने ब्रिटिश और भारतीय व्यापारियों में कोई अंतर ना करते हुए, ब्रिटिश व्यापारियों को कोई विशेष सुविधा नहीं दी, और उन पर टैक्स लगा दिया। वह अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर ले गया, उसने अपनी सेना को यूरोपियन ढंग से प्रशिक्षित किया। जिसके बाद अंग्रेजों के कान खड़े हो गए। जून के महीने में एलिस के नेतृत्व में आए अंग्रेजी सेना की टुकड़ी को मीर कासिम द्वारा हराकर बंदी बना लिया गया था। जिसके बाद उसे हटाकर मीर जफ़र को फिरसे बंगाल का नवाब बनाया गया।

बक्सर का युद्ध | Why did the battle of Buxar

इसके बाद मीर कासिम और अंग्रेजों के मध्य संघर्ष शुरू हो गया, जिसकी परिणति बक्सर के युद्ध के साथ हुआ। जब मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला और मुग़ल बादशाह शाहआलम की संयुक्त सेनाओं और अंग्रेजों की सेना जिसका नेतृत्व मेजर हेक्टर मुनरो कर रहा था, उनकी सेनाओं के मध्य बक्सर का युद्ध हुआ पर, इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय। फलस्वरूप मीर कासिम भाग गया और मुग़ल बादशाह, नवाब शुजाउद्दौला के साथ इलाहाबाद की तरफ चला आया।

इलाहाबाद की संधि क्यों हुई थी | Why was the Treaty of Allahabad signed

बक्सर के युद्ध के बाद अंग्रेजों का पूरे बंगाल में प्रत्यक्ष नियंत्रण हो गया। लेकिन बंगाल सूबे के जमींदार कम्पनी की दिक्कत थी, कारण वह मुग़ल सम्राट और बंगाल के नवाब के प्रति वफादार थे। इसीलिए अपने कार्य को वैधता देने के लिए अंग्रेजों को इस संधि की जरूरत हुई, जिसे इलाहाबाद की संधि कहते हैं।

किसके बीच हुई थी संधि | The Treaty of Allahabad was signed between

यह संधि मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय और कंपनी के प्रतिनिधि रॉबर्ट क्लाइव के मध्य 16 अगस्त 1765 को इलाहाबाद में हुई थी, जिसमें कंपनी को बादशाह की तरफ से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी का अधिकार प्राप्त हुआ था। इस संधि को एक मुग़ल राजनायिक इतिसाम-उद-दीन द्वारा मुद्रित किया गया था।

इलाहाबाद संधि की शर्तें | Terms of Allahabad Treaty

इस संधि के अनुसार अवध के नवाब से इलाहाबाद और कड़ा के जिलों को लेकर मुग़ल बादशाह को दे दिए गए, बादशाह को 26 लाख रुपये प्रतिवर्ष कर देने के एवज में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बिहार, बंगाल और उड़ीसा की दीवानी दे गई। अब मुग़ल बादशाह अंग्रेजों के संरक्षण में आ गया। इसके साथ ही निजामत के एवज में 53 लाख रुपये सालाना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को देने के लिए बाध्य होना पड़ा।

अवध के नवाब और कंपनी के बीच संधि | Treaty between the Nawab of Awadh and the Company

कंपनी ने एक दूसरी संधि अवध के नवाब से की, जिसके अनुसार शुजा को इलाहाबाद और कड़ा का क्षेत्र मुग़ल बादशाह को लौटाना पड़ा। बनारस और चुनार भी उसे कंपनी को देना पड़ा। इसके साथ ही युद्ध हर्जाने के रूप में उसे कंपनी को 50 लाख रुपए भी देने पड़े। इसके साथ ही बाहरी आक्रमण की सूरत में नवाब को अंग्रेजी सेना द्वारा मदद का भरोसा भी दिया गया, लेकिन नवाब को इसके बदले कंपनी को पे भी करना था।

इलाहाबाद संधि के परिणाम | Results of Allahabad Treaty

इलाहाबाद की संधि भारतीय इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसके बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल प्रांत में पहली बार वैध शासन की शुरुआत हुई। वह भारत की सबसे प्रमुख शक्ति बन गई। इस संधि ने मुग़ल बादशाह के प्रभाव और रुतबे को काफी कम कर दिया, अवध के नवाब के की शक्ति और प्रभाव में भी कमी हो गई। और सबसे महत्वपूर्ण इस संधि के बाद ही अंग्रेजों ने भारत में अपनी जड़ें काफी मजबूती हो गईं और आगे उसने सम्पूर्ण भारत पर अपना राज स्थापित कर लिया।

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