काल कोठरी की घटना: जिसमें 146 अंग्रेजों को एक छोटी सी कोठरी में ठूंस दिया गया था

Black Hole Incident Hindi Mein: काल कोठरी की घटना, भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। जिसमें नवाब सिराजुद्दौला के आदेश पर 146 अंग्रेजों को एक छोटी सी कोठरी में ठूंस दिया गया था। 20 जून 1756 के दिन या यूँ कहें कि रात में भारतीय इतिहास में हुई यह एक महत्वपूर्ण घटना थी। भारत में ब्रिटिशर्स के अग्रेसिवली आगे बढ़ने का एक कारण ब्रिटिश औपनिवेश के साम्राज्यवादी इतिहासकारों द्वारा बताया जाता है। यह ब्लैक होल या काल कोठरी की घटना कही जाती है। हालांकि कुछ भारतीय इतिहासकारों को इस पर संदेह है।

सिराजुद्दौला बने बंगाल के नए नवाब

बंगाल के नवाब अलीवर्दी खान के निधन के बाद उनके नवासे 23 वर्षीय सिराजुद्दौला बंगाल के नवाब बने। वैसे वास्तविकता में बंगाल के नवाब स्वतंत्र ही थे लेकिन सैद्धांतिक रूप में वह अभी भी मुगलों के सूबेदार वा नाजिम के रूप में शासन कर रहे थे। कहने को तो उस समय बंगाल की नवाबी के अंतर्गत आज का बिहार, ओड़िसा, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश आते थे, लेकिन मराठो ने अलीवर्दी खान के जमाने में ही ओड़िशा का बड़ा क्षेत्र हड़प लिया था।

जगत सेठ घराने का प्रभाव

नए बने नवाब शाहजहाँ की तरह ही नए-नए स्थापत्य के नमूने बनवाने के शौक़ीन और शाहखर्च थे। जिससे पैसे पानी की तरह खर्च होते थे, और उस पर बार बार मराठो के आक्रमण और चौथ देने के कारण नवाबो पर कर्ज बहुत थे जिसके कारण एक मारवाड़ी व्यापारी घराना जिन्हें जगत सेठ कहा जाता था उनका दखल बंगाल की राजनीति में बहुत ज्यादा बढ़ गया था। ये अंग्रेजों को भी कर्ज दिया करते थे और खुद की निजी सेना भी रखते थे।

ब्रिटिश और फ्रेंच संघर्ष

खैर ब्रिटिशर्स और फ्रेंच भारत में अपने प्रभाव बढ़ाने के लिए आपस में ही लड़ रह थे, वह पूर्व में तीन युद्ध कर चुके थे, जिन्हें कर्नाटिक युद्ध भी कहा जाता था। उनके बीच टकराव का दूसरा कारण यूरोप की राजनीति भी थी। फ्रांसीसीयों से संभावित टकराव को देखते हुए ईस्ट इंडिया कंपनी ने नवाब की अनुमति के बिना ही अपने व्यापारिक केंद्र फ़ोर्ट विलियम (कोलकाता) की किलेबंदी शुरू कर दी थी।

नवाब ने कलकत्ता पर की चढ़ाई

नवाब वैसे भी अंग्रेजों पर आक्रमण का कोई बहाना ढूंढ रहे थे क्योंकि ईस्ट इंडिया कम्पनी ने नवाब के कई विरोधियों को शरण दी थी। नवाब ने जवाब तलब किया संतुष्ट ना होने पर उन्होंने 16 जून 1756 को फ़ोर्ट विलियम और कलकत्ता पर चढ़ाई कर दी।कंपनी के तब के गवर्नर जॉन ड्रेक काउंसिल के अन्य महत्वपूर्ण सदस्यों और स्त्रियों और बच्चों को साथ लेकर हुगली नदी में पोत पर सवार हो कर मद्रास भाग गए और फ़ोर्ट विलियम की जिम्मेदारी हॉलवेल नाम के जूनियर ब्रिटिश ऑफिसर को सौंप दी। नवाब ने 20 जून को फ़ोर्ट विलियम को जीत लिया और कलकत्ता का नाम अलीपुर रख दिया, राजा मानिकचंद को किलेदार बनाया और खुद वहाँ पर अपना दरबार लगाया, बचे हुए ब्रिटिश सिपाहियों ने आत्मसमर्पण कर दिया।

कालकोठरी घटना की भूमिका

हॉलवेल को नवाब के सामने हाथ बाँध कर लाया गया, नवाब ने उसके हाथ खुलवा कर उससे वादा किया कि उसके साथ बदसलूकी नहीं की जाएगी, लेकिन शाम होते होते एक ऐसी घटना घटी जो आधुनिक भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना बन गई। दरसल शराब के नशे में एक अंग्रेज सिपाही ने गोली मारकर नवाब के एक सैनिक की हत्या कर दी, नवाब को जब यह बात पता चली तो उन्होंने अंग्रेज सिपाहियों को दंड देने के लिए 18×14 की एक छोटी सी कालकोठरी में ठूँसवा दिया। सिपाहियों की संख्या ब्रिटिश रिकॉर्ड के अनुसार 146 थी।

हॉलवेल के लिखे अनुसार घटना का विवरण

हॉलवेल के लिखे अनुसार स्त्रियों और बच्चों को भी नहीं बक्शा गया था, यह कोठरी केवल चार कैदियों को रखने के लिए बनाई गई थी और उसमें भी केवल छोटी छोटी दो खिड़कियाँ और दुर्भाग्यवश जून की गर्मी और उमस, लगभग 7 बजे शाम को उनको बंद किया गया, भूख-प्यास और गर्मी से बेहाल होकर दमघुटने के कारण 123 लोगों की मौत हो गई, जब नवाब के आदेश से अगले दिन सुबह 6 बजे उन्हें मुक्ति मिली तो केवल 23 लोग ही जीवित थे वह भी मरणासन्न हालत में।
हॉलवेल लिखता है कि उसने एक बूढ़े गॉर्ड को पैसे का लालच दे कर कुछ लोगों को दूसरे कमरे में शिफ्ट करने का आग्रह किया और उसने प्रयास भी किया लेकिन नवाब की अनुमति के बिना यह संभव नहीं था, रात का वक्त था नवाब सो रहे थे उन्हें जगाने की हिम्मत किसी में नहीं थी। और नवाब के अनुमति के बिना यह संभव नहीं था। हालांकि उन्हें सुबह मुक्त किया गया।

इतिहासकारों को इस घटना पर संदेह

यह घटना ब्रिटेन के इतिहास में पढ़ाई जाती है। लेकिन ब्रिटिश इतिहासकार डॉडवेल के अनुसार इसमें कई बातें मनगढ़ंत हैं, ज्यादातर सिपाही नवाब की सेनाओं से लड़ते हुए मारे गए थे। विंसेट स्मिथ के अनुसार इस घटना के लिए नवाब नहीं बल्कि उनके करिंदे जिम्मेदार थे। लेकिन नवाब ने कोई भी अफ़सोस नहीं जताया था। 2019 में आई सुप्रसिद्ध स्कॉटिश इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल की किताब ‘The Anarchy’ के अनुसार कोठरी में 64 लोगों को रखा गया था, जिसमें से 21 लोगों की जान बच गई थी।

भारतीय इतिहासकार भी घटना के विवरण से सहमत नहीं

सर जदुनाथ सरकार के अनुसार हॉलवेल ने इस घटना को बहुत बढ़ा चढ़ा के बताया है, अधिकतर सिपाही फ़ोर्ट विलियम के आक्रमण के समय ही मारे जा चुके थे, इसीलिए इतने लोगों का नवाब के क़ैद में होना संभव ही नहीं। कुछ भारतीय इतिहासकार तो 18वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध मुग़ल इतिहासकार गुलाम हुसैन खान के लेखन के अनुसार तो इस घटना पर ही संदेह करते हैं, वास्तविकता में यह हुई भी थी नहीं। गुलाम हुसैन खान मूलतः दिल्ली के निवासी थे 1739 में नादिरशाह के आक्रमण के बाद वह अज़ीमाबाद (पटना) चले गए थे। बंगाल के नवाबों से उनके बड़े घनिष्ठ सम्बंध थे उन्होंने अपने समकालीन हर घटना का विवरण अपनी फ़ारसी भाषा में लिखी गई किताब में किया है। लेकिन काल कोठरी की घटना का नहीं।

ब्रिटिश साम्राज्यवाद का नरेटिव

ब्लैक होल की घटना एक ऐतिहासिक तथ्य थी या औपनिवेशिक कल्पना, यह पूर्णतः निश्चित नहीं है। लेकिन यह तय है कि इस घटना को एक औपनिवेशिक नैरेटिव गढ़ने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इस घटना के एक साल बाद ही 1757 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने रॉबर्ट् क्लाइव के नेतृत्व में प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला को हराकर भारत के सबसे धनी प्रांत बंगाल को जीत लिया। जो भी हो लेकिन इस घटना के द्वारा ब्रिटिश इतिहासकारों ने अंग्रेजी शासन उनके द्वारा भारतीयों के साथ किये गए दुर्व्यवहार और ब्रिटिश साम्राज्यवाद को न्यायोचित ठहराने का प्रयास जरूर किया।

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