Republic Day History In Hindi | गणतंत्र दिवस समारोह और उसके मुख्य अतिथि –

Republic Day History In Hindi | प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। जैसा कि हम जानते हैं, इसी दिन हमारा संविधान लागू हुआ था और हम रिपब्लिक बने थे, हर साल इस उपलक्ष्य में गणतंत्र दिवस का समारोह लगभग तीन दिन तक चलता है गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति देश को संबोधित करते हैं और अगले दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराते सेना और सशस्त्र बलों के परेड की सलामी भी लेते हैं। यह कार्यक्रम लगभग 3 दिन चलता है और बहुत सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। हम देखते हैं 26 जनवरी रिपब्लिक डे के दिन सेना और सशस्त्र बलों की परेड निकलती है, इसके अलावा कई मंत्रालयों और राज्यों की की झांकियों का भी प्रदर्शन होता है और अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। सेना और सशस्त्र बलों की परेड निकालने के पीछे का उद्देश्य अपने प्रतिद्वंदियों को अपनी शक्ति का प्रदर्शन करवाना था। हालांकि प्रारंभ में केवल सैन्य परेड बस होती थी, झांकियां नहीं निकलती थीं लेकिन 1953 में पहली बार कुछ सैन्य बलों की झांकियाँ निकली थीं, उसके बाद राज्यों की झांकियों को भी परेड में स्थान दिया जाने लगे। 1950 में पहली बार परेड इर्विन स्टेडियम में हुई थी, जिसे अब मेजर ध्यानचंद स्टेडियम कहा जाता है। 1954 तक परेड राजपथ पर नहीं होती थी, 1955 में पहली बार परेड राजपथ पर हुई थी।

1950 से अब तक हर साल गणतंत्र दिवस के समारोह में किसी दूसरे देश के प्रमुख या राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होते हैं। हालांकि 2021 और 2022 में कोरोना महामारी के कारण किसी राष्‍ट्राध्‍यक्ष को नहीं बुलाया गया था, इसके अलावा भी 1952, 1953, 1956, 1957, 1959, 1962, 1964, 1966, 1967 और 1970 में कुल 10 बार किसी भी विदेशी मेहमान को गणतंत्र दिवस पर बतौर चीफ गेस्‍ट आमंत्रित नहीं किया गया था। 1950 को पहली बार के आयोजन के मुख्यअतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे। आइये जानते हैं अब तक के गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम के मुख्यातिथि किस-किस देश के प्रमुख रहे हैं।

1950 से अब तक हुए गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्यातिथि के लिए सर्वाधिक 6 बार फ्रांस को आमंत्रित किया गया, जबकि उसके बाद ब्रिटेन जिसे 5 बार मुख्यअतिथि बनने का मौका मिला। भूटान और सोवियत यूनियन आज के हिसाब से कहें तो रूस को चार बार मौका मिला। ब्राजील, मॉरीशस और इंडोनेशिया को तीन-तीन बार मौका मिला इस परेड का चीफ गेस्ट बनने के लिए। हालांकि 2025 के कार्यक्रम को भी जोड़ लिया जाए तो इंडोनेशिया को यह चौथा आमंत्रण होगा। जबकि कंबोडिया, जापान, नेपाल, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम को दो बार गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनने का मौका मिला। एक बार गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनने वाले देशों में चीन, अफगानिस्तान, साउथकोरिया, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, बुल्गारिया, तंज़ानिया, जायरे, पोलैंड, आयरलैंड, मेक्सिको, स्पेन, अर्जेंटीना, ग्रीस, पेरू, मालदीव, पुर्तगाल, त्रिनिदाद और टोबैगो, अल्जीरिया, ईरान, सऊदी अरब, कज़ाकस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, इजिप्ट और संयुक्त अरब अमीरात हैं।

ब्रूनेई, लाओस, मलेशिया, म्यांमार और फिलीपीन के राष्ट्राध्यक्ष भी एक बार गणतंत्र दिवस में शामिल हुए थे, लेकिन उन्हें समारोह में अकेले नहीं बुलाया गया था, बल्कि 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में सरकार ने आसियान देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया था, चूंकि आसियान के दस सदस्य देशों में ये पांचों देश भी शामिल हैं, इसीलिए यह उस वर्ष के समारोह में शामिल हुए थे। जबकि आसियान के अन्य पांच देश सिंगापुर, थाईलैंड, इंडोनेशिया, कंबोडिया और वियतनाम पहले भी गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्यातिथि के तौर पर शामिल हो चुके थे। 2018 के अलावा भी तीन बार ऐसे मौके आए थे, जब एकसाथ दो देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया जा चुका है। 1956 में पहली बार दो देशों यूनाइटेड किंगडम और जापान को एकसाथ आमंत्रित किया गया था, 1968 में सोवियत यूनियन और युगोस्लाविया को एकसाथ आमंत्रित किया गया था। 1974 में युगोस्लाविया और श्रीलंका के प्रमुखों को एक साथ आमंत्रित किया गया था।

इस बार 76वें गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतों होंगे, उनका यह पहला भारत दौरा होगा। उनके साथ इंडोनेशिया का 352 सदस्यीय मार्चिंग दस्ता व बैंड दल भी गणतंत्र दिवस के परेड में हिस्सा लेगा, इंडोनेशिया के राजनैतिक इतिहास में यह पहली बार होगा जब उनका मार्चिंग दल, किसी दूसरे देश के राष्ट्रीय दिवस परेड में शामिल होंगे।

गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट का चुनाव की प्रक्रिया लगभग 6 महीने पहले प्रारंभ हो जाती है, यह केवल एक औपचारिकता नहीं होती, बल्कि भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का स्पष्ट प्रतिबिंब भी होता है। किसी विदेशी नेता को इस मौके पर आमंत्रित करना उस देश के साथ भारत की मित्रता और सहयोग को दर्शाता है। यह केवल सम्मान का प्रतीक नहीं, बल्कि कूटनीतिक संदेश भी होता है। 2015 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर अमेरिकन प्रेसिडेंट बराक ओबामा को दिए गए निमंत्रण से इसको समझा जा सकता है, यह तत्कालीन मोदी सरकार की विदेश नीति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जब भारत ने वैश्विक परिदृश्य में कोल्डवार के दौर से बाहर निकलने की कोशिश की थी और गणतंत्र दिवस के इतिहास में प्रथम बार अमेरिका को आमंत्रित किया गया था।

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