नेपाल की सरकार के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ उठे Gen-Z Protest ने Nepal की राजनीति को पूरी तरह से हिला डाला। तानाशाह बनने की राह पर आकर खड़े हुए नेपाल के प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) को इस्तीफा देना पड़ा. अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए ओली ने सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया जिसके बाद बड़ा प्रदर्शन हुआ और पुलिस ने 19 लोगों को मार डाला। इन हत्याओं के बाद नेपाली जनता ने नेपाल की सरकार को उखाड़ फेंका। नेपाल में अब अंतरिम सरकार बनाने की तैयारी है इस बीच यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या नेपाल फिर से हिंदू राष्ट्र बन सकता है? (Can Nepal become a Hindu nation again?)
नेपाल से हिन्दू राष्ट्र को खत्म करने के पीछे कम्युनिस्ट ही थे और अब कम्युनिस्ट सरकार को गिरा दिया गया है. लोग पूछ रहे हैं कि या नेपाल में सरकार गिरने के बाद यह वापस हिंदू राष्ट्र बन जाएगा? यह जानने के लिए हमें पहले नेपाल का इतिहास जानना होगा।
नेपाल हिंदू राष्ट्र ने धर्मनिर्पेक्ष कैसे बना
How did Nepal become secular from a Hindu nation: 18वीं शताब्दी तक नेपाल छोटे-छोटे रियासतों का समूह था. हर प्रान्त का अपना अलग राजा, अलग कानून। जैसे भारत में समुद्र गुप्त ने सभी रियासतों को जीतकर अखंड भारत बनाने का काम किया था. उसी तरह गोरखा साम्राज्य के राजा पृथ्वी नारायण शाह ने नेपाल को एकजुट करने का काम किया था. शाह राजवंश ने लगभग 2 सदियों तक नेपाल में शासन किया। लेकिन 19वीं शताब्दी में राणा साम्राज्य का उदय हुआ. इस साम्राज्य का हुकूमत करने का तरीका शाह साम्राज्य से इतर था. राणा साम्राज्य में प्रधान मंत्री सबसे ताकतवर माना जाता था. इसी तंत्र को कुलीन तंत्र कहते हैं. 20वीं सदी तक नेपाल में कुलीन तंत्र चलता रहा. 1951 में एक बड़ा आंदोलन हुआ, राणा शासन ख़त्म हो गया और फिर से शाहों को सत्ता मिल गई. त्रिभुवन शाह नेपाल के राजा बन गए.
1955 में उत्तराधिकारी राजा महेंद्र शाह ने सत्ता संभाली, उन्होंने ही 1959 में एक संवैधानिक राजतंत्र यानी कॉन्स्टिट्यूशनल मोनार्की को स्थापित किया। जहां जनता को संवैधानिक अधिकार दिए गए, प्रशासनिक व्यवस्थाएं अमल में लाइ गईं लेकिन सभी का कंट्रोल राजा के पास ही था. लेकिन अंदर ही अंदर राजा को गद्दी से हटाकर नेपाल को कम्युनिस्ट बनाने की भी साजिश रची जा रही थी. चीन से लगा हुआ नेपाल भी माओवादी विचारधारा से ग्रसित हो गया था. और जाहिर है कि राजशाही में जनता गरीबी और असामनता तो झेल ही रही थी और कम्युनिस्ट विचारधारा सभी को बराबरी का अधिकार देने का सपना दिखा रही थी. माओवादी विचारधारा रखने वाली नेपाल कम्न्यूनिस्ट पार्टी ने राजशाही के खिलाफ मोर्चा ख़ोल दिया। इस पार्टी का एक मकसद था. नेपाल से राजशाही हटाना और हिंदू राष्ट्र से कम्युनिस्ट बना देना।
13 फरवरी 1966 को कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों ने पुलिस स्टेशंस और सरकारी इमारतों पर धावा बोल दिया, कम्युनिस्टों ने गोरिल्ला वॉर शुरू कर दिया। इस विद्रोह की कीमत नेपाल के हिन्दुओं ने चुकाई। माओवादियों ने करीब 4 हजार से ज्यादा हिन्दुओं को मार डाला, नेपाल की फोर्सेस ने तकरीबन 8200 लोगों को मार डाला। 1966 से लेकर 2005 तक माओवादी संघर्ष में 17 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई. लेकिन सन 2000 तक माओवादिओं की जंग का कोई असर राजतन्त्र पर नहीं पड़ा. लेकिन 1 जून 2001 में हुई एक घटना ने नेपाल को पूरी तरह से बदल दिया।
नेपाल शाही परिवार हत्या कांड

Nepal royal family murder case: 1 जून 2001 को नेपाल के शाही महल नारायणहिती महल में राजकुमार दीपेंद्र ने एक शाही कार्य्रकम का आयोजन किया था. राजकुमार अपनी पार्टी में देरी से पहुंचे, शराब पी और फिर गायब हो गए. कुछ देर बाद फिर वापस लौटे मगरसाथ में तीन बंदूकें लेकर लौटे . एक 9 MM की पिस्टल, एक MP5K सबमशीन गन और एक कोल्ट M राइफल। दीपेंद्र ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. राजकुमार दीपेंद्र ने अपने पिता यानी नेपाल के राजा बीरेंद्र बीर विक्रम शाह, अपनी मां और रानी ऐश्वर्या शाह सहित परिवार के 8 लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया। उसने अपने छोटे भाई निरंजन और बहन श्रुति को भी मार डाला। अपने पूरे परिवार को खत्म करने के बाद दीपेंद्र ने खुद को भी गोली मार दी और 2 मिनट के अंदर 18वीं शताब्दी से चला आ रहा राजवंश खत्म हो गया. दीपेंद्र खुद को गोली मारने के बाद भी तीन दिन तक ज़िंदा था और उसी दौरान राजा बिक्रम के छोटे भाई ज्ञानेंद्र को नेपाल नरेश बना दिया गया. दीपेंद्र भी मर गया लेकिन आज तक किसी को पता नहीं चल सका कि उसने ऐसा क्यों किया? किसी ने कहा उसे पिता द्वारा चुनी दुल्हन पंसद नहीं थी तो किसी ने कहा परिवार में विवाद था लेकिन कुछ का ये भी मानना है कि दीपेंद्र खुद माओवादी विचारधारा से बुरी तरह प्रभावित हो चुका था. नेपाल देश राजवंश के खत्म होने का शोक मना रहा था और इधर दोबारा से जनांदोलन शुरू हो गया. 2006 में नेपाल में पीपल्स मूवमेंट हुआ और राजा ज्ञानेंद्र शाह को सत्ता त्यागनी पड़ी. संसदी शुरू हुई लेकिन माओवादिओं ने भी अपना विद्रोह जारी रखा.
नेपाल धर्म निरपेक्ष कब बना
When did Nepal become secular: राजशाही खत्म होने के 14 महीने बाद 2008 में नेपाल एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया. संविधान सभा ने हिंदू राष्ट्र नेपाल को पंथ निरपेक्ष यानी सेक्युलर घोषित कर दिया। तभी से नेपाल में जनता को अपनी सरकार चुनने का हक़ मिला लेकिन एक बहुत बड़ी आबादी इस लोकतंत्र के पक्ष में नहीं थी. क्योंकि इस लोकतंत्र के बदले दुनिया के एक मात्र हिंदू राष्ट्र को खत्म किया गया था. नेपाल से राजतंत्र खत्म कर इसे सेक्युलर बनाने में भारत की मनमोहन सरकार की भी भूमिका थी. क्योंकि भारत हमेशा लोकतंत्र के पक्ष में था.हिन्दू राष्ट्र की पैरवी करने वालों का मानना है कि जन आंदोलन करने वाली पार्टी ने राजतंत्र को ख़त्म करने के फैसले में जल्दबाज़ी की कोई चर्चा नहीं हुई किसी की सलाह नहीं ली गई.
नेपाल के लोग राजतंत्र और राष्ट्रवाद को एक मानते हैं. राजशाही का समर्थन करने वालों को डेमोक्रेसी विदेशी अवधारणा लगती है. हिंदू राष्ट्र की मांग कर रही राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी का मानना है कि नेपाल की सरकारें भ्रष्टाचार करती हैं. अगर राजशाही नेपाल की आर्थिक प्रगति को रोकता था तो यहां डेमोक्रेटिक सरकार बनने से कौन सी समृद्धि आ गई है. इसी लिए नेपाल को एक संवैधानिक राजतंत्र की जरूरत है और नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाने की जरूरत है.
क्या नेपाल हिंदू राष्ट्र बनेगा
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि नेपाल में सरकार इस लिए नहीं गिरी है क्योंकी हिन्दू राष्ट्र की मांग की जा रही थी. यहां प्रदर्शनकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे और कुछ हद तक यह विदेशी साजिश भी हो सकती है जैसे बांग्लादेश और श्रीलंका में हुआ था। नेपाल में हुए तख्तापलट से हिन्दू राष्ट्र का कोई सीधा लेना देना नहीं है लेकिन हिन्दू राष्ट्र की वकालत करने वालों के लिए यह सही समय है.