गोलकुंडा की खानों से ही पूरी दुनिया में पहुंचा था हीरा, भारत में हुई थी हीरे की खोज

History Of Diamond Mining: हीरा, जिसे रत्नों का राजा कहा जाता है, न केवल अपनी चमक और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके पीछे एक समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानी भी है। विश्व में हीरे की खोज की शुरुआत भारत से हुई, और यह देश सदियों तक हीरे के व्यापार का केंद्र रहा।

भारत में हुई थी पहली बार हीरे की खोज

विश्व में हीरे की खोज सबसे पहले भारत में हुई, जिसका इतिहास कम से कम 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जाता है। प्राचीन भारत में गोलकुंडा क्षेत्र, विशेष रूप से कृष्णा नदी बेसिन, हीरे का प्रमुख स्रोत था। उस समय, नदियों की रेत और बजरी में हीरे खोजे जाते थे, जिन्हें स्थानीय लोग “वज्र” के नाम से जानते थे, जो उनकी कठोरता और चमक को दर्शाता था।

विश्व प्रसिद्ध थीं गोलकुंडा खानें

गोलकुंडा की खानें विश्व प्रसिद्ध थीं, और यहाँ से निकले हीरे जैसे कोहिनूर, होप डायमंड, दरिया-ए-नूर, और रेगेंट डायमंड ने विश्व भर में भारत की ख्याति बढ़ाई। प्राचीन ग्रंथों, जैसे कौटिल्य के अर्थशास्त्र में, हीरे के खनन और व्यापार का उल्लेख मिलता है, जो इसकी प्राचीनता को दर्शाता है। उस समय भारत ही विश्व का एकमात्र हीरा उत्पादक देश था, और इसके हीरे रोमन साम्राज्य, मध्य पूर्व, और यूरोप तक निर्यात किए जाते थे।

भारत से यूरोप तक हीरे का सफर

हीरे का व्यापारप्राचीन और मध्यकाल में भारत के हीरे “रेशम मार्ग” के माध्यम से विश्व के विभिन्न हिस्सों में पहुँचे। गोलकुंडा का बाजार एक अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक केंद्र था, जहाँ फारसी, अरब, और यूरोपीय व्यापारी हीरे खरीदने आते थे। 17वीं शताब्दी में फ्रांसीसी यात्री जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर ने गोलकुंडा की खानों का वर्णन किया और वहाँ से कई प्रसिद्ध हीरे यूरोप ले गए।

18 वीं शताब्दी में दक्षिण अफ्रीका में भी हीरे की खोज

हालाँकि 1866 में दक्षिण अफ्रीका में हीरे की खोज हुई, जिसके बाद भारत का एकाधिकार टूटा। इसके बाद ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, और रूस जैसे देशों में भी हीरे के भंडार मिले। दक्षिण अफ्रीका का स्थान हीरे के उत्पादन में सर्वश्रेष्ठ है। फिर भी, भारत की ऐतिहासिक भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। जहाँ भारत में पहली बार हीरे मिले थे, और बहुत समय तक दुनियाभर में केवल भारत में ही मिलते रहे।

विश्वभर के 80% हीरे भारत में प्रसंस्कृत किए जाते हैं।

आज भारत में हीरा खनन सीमित है और केवल मध्य प्रदेश का पन्ना ही एकमात्र बड़ा खनन क्षेत्र है। नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NMDC) और कुछ निजी कंपनियाँ यहाँ खनन करती हैं। हालाँकि भारत अब हीरे का प्रमुख उत्पादक नहीं है, लेकिन हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग में अभी भी विश्वभर में अग्रणी है। गुजरात का सूरत शहर विश्व का सबसे बड़ा हीरा कटिंग और पॉलिशिंग केंद्र है, जहाँ विश्व के 80% से अधिक हीरे संसाधित किए जाते हैं।

भारत में हीरे के प्रमुख क्षेत्र

  • गोलकुंडा (तेलंगाना): यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण रहा। कोल्लूर, वज्रकारूर, और पारताला जैसे क्षेत्रों में नदी घाटियों से हीरे प्राप्त किए जाते थे। गोलकुंडा के हीरे अपनी शुद्धता और गुणवत्ता के लिए विश्वविख्यात थे।
  • पन्ना (मध्य प्रदेश): वर्तमान में यह भारत का सबसे बड़ा सक्रिय हीरा खनन क्षेत्र है। मझगवां और हिनोता खदानें किम्बरलाइट चट्टानों से हीरे निकालती हैं, जो उच्च गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं।
  • छत्तीसगढ़: रायपुर और बस्तर के देओभोग और मैनपुर क्षेत्रों में छोटे पैमाने पर हीरे मिलते हैं।
  • कर्नाटक और ओडिशा: वज्रकारूर (कर्नाटक) और नुआपाड़ा (ओडिशा) जैसे क्षेत्रों में भी हीरे की खोज हुई, लेकिन इनका खनन सीमित रहा।

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