अशोक स्तंभ का इतिहास: अशोक सम्राट का ऐतिहासिक अशोक स्तंभ (Ashoka Pillar), जो भारत का राष्ट्रीय चिन्ह (National Emblem Of India) है, एक बार फिर चर्चा में है। यह प्रतीक न केवल भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि सम्राट अशोक के अहिंसा और धर्म के सिद्धांतों को भी दर्शाता है।
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हाल ही में एक दुखद घटना ने इस प्रतीक को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है। खबरों के अनुसार, कट्टरपंथी समूहों ने श्रीनगर के एक सार्वजनिक स्थल पर लगी शिलापट्टिका पर बने अशोक स्तंभ को तोड़ दिया (Vandalism of Ashoka Emblem), जिससे देशभर में आक्रोश फैल गया है। इस घटना ने अशोक स्तंभ के महत्व और इसके राष्ट्रीय चिन्ह बनने की कहानी को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
अशोक स्तंभ क्या है?

What is the Ashoka Pillar: अशोक स्तंभ एक प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला (Ancient Indian Architecture) का प्रतीक है, जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक (Emperor Ashoka) द्वारा बनवाए गए थे। ये स्तंभ पत्थर से निर्मित विशाल संरचनाएं हैं, जिनके शीर्ष पर चार शेरों वाला एक सिंह-शीर्ष होता है। यह सिंह-शीर्ष आज भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है, जो सारनाथ (Sarnath) में स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। इसके आधार पर एक उल्टा कमल और धर्मचक्र होता है, जो बौद्ध धर्म और अहिंसा के सिद्धांतों का प्रतीक है।
अशोक स्तंभ का इतिहास (History of Ashoka Pillar)
Ashoka Stambh Ka Itihas: सम्राट अशोक (268-232 ईसा पूर्व) ने अपने शासनकाल में भारत को एकजुट करने और बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए कई स्तंभ स्थापित किए। ये स्तंभ उनके शिलालेखों (Ashokan Edicts) के लिए प्रसिद्ध हैं, जिनमें अहिंसा, धर्म, और सामाजिक सुधार के संदेश गए हैं।
सबसे प्रसिद्ध अशोक स्तंभ सारनाथ में है, जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। इस स्तंभ का सिंह-शीर्ष, जिसमें चार शेर पीठ जोड़कर खड़े हैं, मौर्य कला का उत्कृष्ट नमूना है। इसे 250 ईसा पूर्व में बनवाया गया था।
19वीं शताब्दी में ब्रिटिश पुरातत्वविदों ने अशोक स्तंभों की खोज की। सारनाथ का सिंह-शीर्ष 1905 में पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा उत्खनन के दौरान मिला। आज यह सारनाथ संग्रहालय में सुरक्षित है।
अशोक स्तंभ किसका प्रतीक है?
What Does the Ashoka Pillar Symbolize: अशोक स्तंभ भारत की एकता, शक्ति, और नैतिक मूल्यों का प्रतीक है:
- चार शेर: ये शक्ति, साहस, और शासन का प्रतीक हैं। चार दिशाओं में देखते शेर भारत की सर्वदिशात्मक निगरानी को दर्शाते हैं।
- धर्मचक्र: 24 तीलियों वाला यह चक्र बौद्ध धर्म के 24 सिद्धांतों और सत्य व धर्म के निरंतर प्रवाह को दर्शाता है।
- उल्टा कमल: यह शुद्धता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
- अहिंसा और शांति: सम्राट अशोक के युद्ध से शांति की ओर परिवर्तन को यह प्रतीक दर्शाता है, जो कलिंग युद्ध (Kalinga War) के बाद उनके बौद्ध धर्म अपनाने से जुड़ा है।
अशोक स्तंभ भारत का राष्ट्रीय चिन्ह क्यों और कब बनाया गया?

Why and When Was the Ashoka Pillar Made India’s National Emblem: 26 जनवरी 1950 को, जब भारत गणतंत्र बना, अशोक स्तंभ के सिंह-शीर्ष को भारत का राष्ट्रीय चिन्ह घोषित किया गया। यह निर्णय संविधान सभा ने लिया था। अशोक स्तंभ भारत की प्राचीन सभ्यता और मौर्य साम्राज्य की महानता का प्रतीक है। स्वतंत्र भारत ने अहिंसा और शांति को अपनी नीति का आधार बनाया, जो अशोक के सिद्धांतों से मेल खाता था। चार शेरों वाला यह प्रतीक भारत की एकता और विविधता में एकता को दर्शाता है। यह भारत की समृद्ध कला और संस्कृति को विश्व पटल पर प्रस्तुत करता है।
संविधान सभा के सदस्यों, विशेष रूप से डॉ. बी.आर. आंबेडकर (Dr. B.R. Ambedkar) और जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने इस प्रतीक को चुना। कला विशेषज्ञों और इतिहासकारों की एक समिति ने सुझाव दिया कि सारनाथ का सिंह-शीर्ष भारत की पहचान के लिए उपयुक्त है। दीनानाथ भर्गव (Dinanath Bhargava), एक युवा कलाकार, ने सिंह-शीर्ष को राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में अंतिम रूप देने में योगदान दिया। उन्होंने इसे संविधान सभा के लिए चित्रित किया। भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय चिन्ह अधिनियम (State Emblem of India Act) के तहत औपचारिक रूप से अपनाया। यह सभी सरकारी दस्तावेजों, मुद्रा, और इमारतों पर उपयोग होता है।
अशोक स्तंभ भारत का राष्ट्रीय चिन्ह (National Emblem) है, जो सम्राट अशोक के अहिंसा और धर्म के सिद्धांतों को दर्शाता है। 26 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसे डॉ. बी.आर. आंबेडकर और जवाहरलाल नेहरू की सिफारिश पर चुना, क्योंकि यह भारत की एकता, शक्ति, और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में अशोक स्तंभ की तोड़फोड़ की हालिया घटना ने राष्ट्रीय प्रतीकों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। यह घटना देशभर में आक्रोश का कारण बनी है और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग को तेज कर रही है। अशोक स्तंभ केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है, जिसकी रक्षा हर हाल में जरूरी है।