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Ajmer Dargah के तहखाने में क्या है?

History Of Ajmer Shareef : ये बात किसी से छिपी नहीं है कि मुग़लिया आक्रांताओं ने हजारों मंदिरों को तोड़कर उनपर अपनी मजहबी मीनारें बनवाईं। और समय के साथ इनके खुलासे भी होते रहे, प्रमाण भी मिलते रहे और कोर्ट केस भी. इस समय संभल की जामा मस्जिद चर्चा और विवादों में है जिसके कभी हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया है, इसी बात पर संभल में खूब हिंसा हुई, संभल शाही मस्जिद का विवाद थमा नहीं की इस बीच एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया, हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर सिविल कोर्ट में अजमेर शरीफ के कभी शिव मंदिर(Ajmer Shareef Hindu Temple) होने का दावा किया और याचिका लगाई जिसे कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया। कोर्ट ने अजमेर शरीफ ((Ajmer Shareef) के कभी हिन्दू होने के दावे को सुनने योग्य माना और तत्काल अल्पसंख्यक मंत्रालय , दरगाह कमेटी और ASI को नोटिस भेज दिया।

अजमेर शरीफ दरगाह विवाद

Ajmer Sharif Dargah controversy: राजस्थान के अजमेर में मौजूद ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू मंदिर होने का मामला कोर्ट पहुंचा तो बवाल मच गया. अजमेर दरगाह के प्रमुख उत्तराधिकारी और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज नसरुद्दीन चिश्ती ने इस बात का विरोध किया, उन्होंने कहा कि आए दिन मस्जिदों के मंदिर होने का दावा किया जा रहा है, ये बात सही नहीं है, उन्होंने कहा कि 800 साल पुराने इतिहास को नाकारा नहीं जा सकता है. यहां हिन्दू राजाओं ने अकीदत की है, यहां मौजूद चांदी का कटहरा जयपुर के महाराज ने चढ़ाया था, दरगाह के एक एक कोने की जांच Ajmer Dargah ASI Survey) पहले ही हो चुकी है और 1950 में जस्टिस गुलाम हसन की बेंच ने दरगाह कमेटी को क्लीन चिट दी है, वहीं अजमेर अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि मस्जिद में शिवलिंग की तलाश न करें, ऐसा करना देश की एकता और सहिष्णुता पर खतरा पैदा करेगा। दरगाह कमेटी के प्रमुख ने हिन्दू पक्ष के द्वारा किए गए सभी दावों को झूठा और निराधार बताया है लेकिन हिन्दू पक्ष ने जो सबूत और आधार पेश किए हैं उन्ही को देखने -पढ़ने के बाद ही कोर्ट ने याचिका को सुनने के योग्य माना है.

अजमेर शरीफ के हिन्दू मंदिर होने के सबूत

Evidence of Ajmer Sharif being a Hindu temple: हिन्दू पक्ष ने याचिका में रिटायर्ड जज हरविलास शारदा (Har Bilas Sarda) की लिखी किताब हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव (Historical and descriptive) को आधार बनाया है. ये किताब 1911 में लिखी गई थी जो भारत में सूफीवाद और अजमेर दरगाह के इतिहास के बारे में जानकारी देती है. इस किताब में लिखा है कि जहां अजमेर दरगाह है वहां एक ब्राह्मण दंपत्ति रहता था और यहीं स्थापित संकट मोचन महादेव मंदिर था जिनकी वह ब्राह्मण दंपत्ति पूजा – अर्चना किया करते थे.

हिंदू मंदिर थी अजमेर दरगाह ?

Ajmer Shareef Was Hindu Temple : याचिकर्ता ने दावा किया है कि दरगाह में मौजूद बुलंद दरवाजे की बनावट हिन्दू मंदिर की तरह दिखाई पड़ती है ,इसमें की गई नक्काशी भी हिन्दू मंदिर की तरह लगती है. दावा किया गया है कि दरगाह के ऊपरी हिस्से में भी हिंदू चिन्हों के अवशेष मिलते है, गुम्बदों को देखकर समझ आता है कि हिंदू मंदिर तोड़कर यहां दरगाह का निर्माण किया गया है. दावा किया गया है कि अजमेर दरगाह के नीचे एक तहखाना है, जहां वो शिव मंदिर मौजूद है.

कौन थे जज हरविलास शारदा

Who Was Har Bilas Sarda: हिन्दू पक्ष ने जिस किताब , हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव को आधार बनाया है उसे लिखने वाले रिटायर्ड जज कोई मामूली व्यक्ति नहीं थे. 1 जनवरी 1867 में जन्में हरबिलास सारदा, 1892 में अजमेर न्यायिक विभाग में बतौर सब जज के रूप में काम करते थे, इसके बाद वे अजमेर नगर पालिका के आयुक्त बने और, 1902 में अजमेर – मेरवाड़ा के सत्र न्यायधीश बने , 1925 में जोधपुर में सीनियर जज रहे. भारत में बाल विवाह को रोकने के लिए इन्होने ने ही असेम्ब्ली में बिल पेश किया था, 1929 में यही बिल सारदा बिल के नाम से पास हुआ और पूरे देश में 1930 में लागू हुआ. अजमेर में इनके नाम पर एक मार्ग भी है. इन्ही की किताब को कोर्ट में अजमेर दरगाह के कभी संकट मोचक महादेव मंदिर होने का दावा किया गया है.

अजमेर विवाद पर क्या बोले ओवैसी

Owaisi On Ajmer Sharif Dargah controversy: अजमेर शरीफ के हिन्दू मंदिर होने की याचिका स्वीकार की गई तो AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने भी इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि ये अफ़सोस की बात है कि हिंदुत्व तंजीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं और नरेंद्र मोदी चुपचाप देख रहे हैं. ओवैसी ने ये भी कहा कि अदालतों का फर्ज है कि वे प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट को अमल में लाएं।

खैर कोर्ट ने इस मामले की की सुनवाई शुरू करने के लिए अगली तरीक 20 दिसंबर तय है की, ऐसा माना जा रहा है कि कोर्ट अजमेर दरगाह के ASI सर्वे के निर्देश दे सकता है. इधर याचिका लगाने वाले हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता को जान से मारने की धमकियाँ भी मिलने लगी हैं, उनपर केस वापस लेने का दवाब बनाया जा रहा है उन्होंने क्रिश्चियन गंज थाने में शिकायत भी दर्ज करवाई है.

अजमेर दरगाह काफी प्रसिद्द स्थल है, यह सूफी संत कहे जाने वाले मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है जहां न सिर्फ मुस्लिम बल्कि हिन्दू भी जाते हैं. वैसे हिन्दू पक्ष द्वारा किए गए दावे को लेकर आपका क्या कहना है हमें कमेंट में जरूर बताएं और ऐसी ही खबरों के लिए शब्द साँची के साथ बने रहें

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