एक वक़्त था, जब चीन, तिब्बत, वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया जैसे देशों में सनातन धर्म को मानाने वाले लोग हुआ करते थे. जापान में आज भी वहां के मूल निवासी इस बात को मानते हैं और हिंदू देवी-देवताओं को पूजते हैं.
Hindu Deities Worshiped In Japan: क्या आपको मालूम है जिस तरह भारत में सनातन धर्म के देवी-देवताओं की पूजा होती है ठीक वैसे भी जापान में भी भगवान शिव, गणेश, मां सरस्वती जैसे देवी-देवताओं के प्रति लोगों में श्रद्धा थी. वैसे जापान में 0.1% आबादी भारतीय और नेपाली हिन्दुओं की है जो अपने देवी-देवताओं को पूजते हैं लेकिन हम बात कर रहे हैं प्राचीन जापान की, तब यहां के मूल निवासी भी सनातनी देवी-देवताओं पर आस्था रखते थे.
हिंदू धर्म जापान कैसे पहुंचा?
जापान के कल्चर में सनातन धर्म की झलक देखने को आज भी मिलती है. क्योंकी जापान, बौद्ध बहुल देश है और बौद्ध धर्म सनातन का एक ही एक अंग है इसी लिए जापान की संस्कृति अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं हिंदुत्व से प्रभावित रही है। यहां बौद्ध धर्म के प्रचार के पहले या साथ ही लोगों में सनातन के प्रति आस्था जागृत हो गई थी.
जापान के लोग भी हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्ति पूजा अपने तरीके से करते थे. यहां आज भी प्राचीन देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं जो जापान के प्राचीन संस्कृति को भारत की संस्कृति से जोड़े हुए है.
जापान में पूजे जाने वाले हिन्दू देवी-देवता
Which Hindu Deities Worshiped In Japan: जापान में भाग्य के 7 देवताओं को पूजा जाता है जिन्हे ‘Seven Gods Of Fortune’ कहा जाता है. जिनमे से 4 देवता, हिन्दू धर्म में भी पूजे जाते हैं.
Benzaiten Sama
जापान में ज्ञान और संगीत की देवी मां सरस्वती को ‘’बेंजैटेंसामा’’ (Benzaiten Sama) कहा जाता है. ‘’बेंजैटेंसामा’’ जापान में ज्ञान और संगीत की देवी हैं, जिनकी प्रतिमा में उनके हाथ में वीणा है, वह कमल के फूल में विराजमान हैं. 6वीं शताब्दी से जापान में मां सरस्वती की पूजा होनी शुरू हुई थी.
जापान के लोगों ने मां सरस्वती के बारे में हिन्दू ग्रंथ ‘सुवर्णप्रभास सूत्र’ के चाइनीज ट्रांसलेशन ‘Golden Light Sutra’ से जाना था. यानी की जापान में आने से पहले हिन्दू धर्म चाइना में फॉलो किया जाने लगा था.
Vaiśravaṇa
जापान के Seven Luck Deities में से एक धन के देवता कुबेर की भी पूजा होती थी जिन्हे जापान में ‘Bishamonten’ और ‘Vaiśravaṇa’ कहा जाता है. जापान में कुबेर को यक्षों (Yakshas) का लीडर माना जाता है. इन्हे एक समुराई वारियर भी कहा जाता है जो लोगों की रक्षा करते हैं. साथ ही इन्हे धन, अच्छे भाग्य का भी देवता माना जाता है.
Daikokuten
जापान में भगवान शंकर और शिवलिंग की भी पूजा होती थी. यहां महाकाल को ‘Daikokuten’ के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि जापानियों ने शिव के बुद्धिस्ट वर्जन को मानना शुरू किया था. चाइनीज बुद्धिस्ट लेखों में भी महाकाल का जिक्र मिलता है. यहां भी इन्हे काल का देवता माना जाता है. और अच्छे भाग्य के लिए शिवलिंग की पूजा होती है. जापान में मां पार्वती को भी माना जाता है जिन्हे यहां ‘Daikoku’ कहा जाता है. जिन्हे हम मां काली या महाकाली के रूप में जानते हैं उन्हें जापान में ‘Daikokuten Yo ’ कहा जाता है.
Kichijoten
जैसे भारत में धन-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होती है वैसे ही जापान में भी खुशहाली, उपज और खूबसूरती के लिए ‘Kichijoten’ की पूजा होती थी.
Kangiten
जैसे भारत में भगवान गणेश को बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है वैसे जापान में भी ‘Kangiten’ को पूजा जाता है. जो ऐसे देवता हैं जिनका सिर हाथी का और धड़ इंसान का है।
चीन के प्राचीन ग्रन्थ ‘Sutra Of Golden Light’ के अलावा जापान के ‘Lotus Sutra’ में भी इन देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है. जापान का ‘लोटस सूत्र’ बौद्ध ग्रन्थ ‘लोकपलास’ (Lokapalas) का ट्रांसलेशन है जिसे इंग्लिश में Four Heavenly Kings भी कहा जाता है.
जापान में भले ही इन देवताओं की पूजा सिर्फ प्रवासी हिन्दू तक ही सिमित है लेकिन जापान के मूल नागरिक अभी भी इन देवी-देवताओं के इतिहास से खुद को जोड़े हुए हैं. जापान की स्कूलों में इन देवताओं के बारे में पढ़ाया जाता है, कई जापानी लेखकों ने किताबें प्रकाशित की हैं और आज भी जापान हिंदू देवी-देवताओं के बारे में गहन अध्यनन करता है.
सनातनी देवता ना सिर्फ जापान बल्कि चीन, थाईलैंड, वियतनाम, मंगोल, कजाकिस्तान, यहां तक कि पूरे मध्य एशिया में पूजे जाते थे. इन देशों में इनका प्रचार खुद बौद्ध भिक्षुओं ने किया था. वो बात अलग है कि आज भारत के कन्वर्टेड बौद्ध, इन देवी-देवताओं को नहीं मानते, जबकि बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा कई बार शिवलिंग का अभिषेक करते देखे गए हैं.
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