हिंडनबर्ग रिपोर्ट (HINDENBURG RESEARCH) के बाद नैस्डैक पर लिस्टेड इस कंपनी के शेयरों में प्री-मार्केट ट्रेड में करीब 8 फीसदी की गिरावट आई,,,,
अडानी ग्रुप के बाद अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (HINDENBURG RESEARCH) ने एक और नई रिपोर्ट जारी की है। लेकिन ये अडानी या सेबी नहीं बल्कि हिंडनबर्ग ने एक आईटी फर्म को निशाना बनाया है। यह कंपनी सिलिकॉन वैली स्थित सुपर माइक्रो कंप्यूटर इंक है। हिंडनबर्ग ने इस कंपनी पर अकाउंटिंग में कथित हेरफेर का आरोप लगाया है।
HINDENBURG RESEARCH से मचा बवाल
हिंडनबर्ग रिपोर्ट (HINDENBURG RESEARCH) के बाद नैस्डैक पर लिस्टेड इस कंपनी के शेयरों में प्री-मार्केट ट्रेड में करीब 8 फीसदी की गिरावट आई है। हिंडेनबर्ग का दावा है कि उनकी रिपोर्ट तीन महीने की जांच पर आधारित है। रिपोर्ट लेखांकन हेरफेर, अघोषित लेनदेन, प्रतिबंधों और निर्यात नियंत्रणों में विफलताओं और ग्राहकों के दुरुपयोग के साक्ष्य पर प्रकाश डालती है।
लेखांकन अनियमितताओं का आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट (HINDENBURG RESEARCH) में कहा है कि 2018 में वित्तीय विवरण दाखिल करने में विफल रहने के कारण कंपनी को नैस्डैक से अस्थायी रूप से हटा दिया गया था। बाद में एसईसी ने कंपनी पर बड़े पैमाने पर लेखांकन अनियमितताओं का आरोप लगाया। मुकदमेबाजी के रिकॉर्ड और पूर्व कर्मचारियों के साथ साक्षात्कार का हवाला दिया है। हिंडनबर्ग (HINDENBURG RESEARCH) के शोध नोट से पता चलता है कि कंपनी ने 17.5 मिलियन डॉलर के एसईसी समझौते के ठीक तीन महीने बाद लेखांकन घोटाले में सीधे तौर पर शामिल अधिकारियों को फिर से काम पर रखा है।
HINDENBURG RESEARCH में बेहिसाब लेनदेन
हिंडनबर्ग ने सुपर माइक्रो के पूर्व सीएफओ हॉवर्ड हिदेशिमा पर धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया है और कहा है कि उन्हें सुपर माइक्रो से संबंधित कंपनी में दोबारा नौकरी पर रखा गया था। हिंडनबर्ग रिपोर्ट (HINDENBURG RESEARCH) में बेहिसाब लेनदेन, अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए अपनाई गई रणनीति, रूस को उच्च तकनीक वाले घटकों को बेचने का उल्लेख है। यह अमेरिका के निर्यात प्रतिबंधों का खुला उल्लंघन है।
हिंडनबर्ग (HINDENBURG RESEARCH) के अनुसार, एनवीडिया सुपर माइक्रो का एक प्रमुख भागीदार और चिप आपूर्तिकर्ता है। टेस्ला भी 2023 में अपने सर्वर विशेष रूप से सुपर माइक्रो से सोर्स कर रहा था। नोट में कहा गया है कि लेखांकन और गुणवत्ता संबंधी चिंताओं के कारण प्रमुख कंपनियों ने सुपर माइक्रो के साथ कारोबार या तो कम कर दिया है या पूरी तरह खत्म कर दिया है।