Himachal Pradesh Polyandry Tradition: क्या है हिमाचल प्रदेश की जोड़ीदार प्रथा

Himachal Pradesh Polyandry Tradition

Himachal Pradesh Polyandry Tradition: हिमाचल प्रदेश की सिरमौर जिले के शिलाई गांव में हट्टी जनजाति की सदियों पुरानी प्रथा जोड़ीदारा (himachal pradesh polyandry tradition) को फिर से जीवित किया गया। 12 जुलाई से 3 दिन तक चली इस शादी में दो भाइयों प्रदीप और कपिल ने एक महिला सुनीता चौहान से विवाह रचा। यह विवाह हिमाचल प्रदेश कि इस विशेष जनजाति की सदियों पुरानी प्रथा है। हालांकि इस विवाह के होते ही इंटरनेट पर सबविवाह के खिलाफ और विवाह के समर्थन में बोलने वाले लोगों की बाढ़ सी आ गई है।

Himachal Pradesh Polyandry Tradition
Himachal Pradesh Polyandry Tradition

जैसा की हमने बताया हाल ही में हिमाचल प्रदेश में सुनीता चौहान ने शिलाई के दो भाइयों प्रदीप और कपिल से 12 से 14 जुलाई को जोड़ीदारा प्रथा के अंतर्गत विवाह किया। यह निर्णय सभी ने मिलकर लिया और समाज ने भी इस निर्णय को खुले दिल से अपनाया । बता दे यह विवाह कानूनी रूप से लीगल नहीं है परंतु हिमाचल की व्यवस्था में जोड़ीदारा कानून को लीगल स्थान प्राप्त है और अब तक हिमाचल में 2001 से 2024 के बीच 5 इस प्रकार की शादियां हो चुकी है जिसमें एक पत्नी दो भाइयों से शादी कर सकती है।

क्या है हिमाचल प्रदेश की यह विलुप्त होती अनोखी परंपरा (himachal pradesh traditional marriage)

जोड़ीदार यह एक ऐसी विवाह परंपरा है जिसमें एक महिला एक से अधिक पुरुषों से विवाह करती है। अक्सर यह पुरुष भाई होते हैं। इस प्रकार का उद्देश्य जमीन संसाधन और पारिवारिक श्रम को बढ़ाने से रोकना और संयुक्त परिवार में एक जुट बनाए रखना है। हाल ही में आंकड़ों के माध्यम से पता चला है कि हिमाचल प्रदेश में ऐसे पांच विवाह हो चुके हैं। आमतौर पर ऐसे ही विवाह हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, किन्नौर, लाहौल स्पीति और तिब्बती सीमा से लगे क्षेत्रों में प्रचलित है और सिरमौर की हट्टी जनजाति (himachal pradesh hatti tribe traditional marriage) इस जोड़ीदारा प्रथा के नाम से जानती है।

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क्या है इस प्रथा की प्राचीन जड़ें (himachal pradesh jodidara traditions roots)

इस प्रथा को पांडव की कथा से जोड़ा जाता है, जहां द्रौपदी ने पांच पांडवों से विवाह किया था। तिब्बती संस्कृति और पांडवों की कथा से जुड़े जाने की वजह से हिमाचल की हट्टी जनजाति भी इस प्रकार के विवाह को मान्यता देती है। जैसे द्रौपदी ने पांच भाइयों के साथ विवाह कर पांचों भाइयों के भाईचारे को बरकरार रखा था और पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे को रोक दिया था इसी ही मंशा से हिमाचल प्रदेश की हट्टी जनजाति ने इस प्रकार की विवाह की शुरुआत की होगी। हालांकि यह परंपरा बौद्ध प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी पाई जाती है जहां एक महिला कई भाइयों से विवाह करती हैं।

इस विवाह की कानूनी मान्यता

जैसा कि हमने बताया इस प्रकार के विवाह को हिंदू विवाह अधिनियम में अवैध माना जाता है। परंतु हिमाचल के कुछ क्षेत्रों में राजस्व रिकॉर्ड में जोड़ीदारा की संस्कृति को मान्यता दी गई है। ऐसे में यह विवाह पूरी तरह से लीगल माना जाता है हालांकि इसमें पति-पत्नी की सहमति होनी जरूरी है।

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