MP: हाईकोर्ट ने ‘नो हेलमेट, नो पेट्रोल’ आदेश को बरकरार रखा, सुरक्षा को बताया प्राथमिकता

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No Helmet No Petrol Order: बुधवार को जारी आदेश में इंदौर हाईकोर्ट ने कहा कि ‘नो हेलमेट, नो पेट्रोल’ का आदेश लागू रहेगा। कोर्ट ने इसे लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया। हालांकि, ट्रैफिक से जुड़े अन्य मुद्दों पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी, लेकिन इस आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।

No Helmet No Petrol Order: इंदौर में ‘नो हेलमेट, नो पेट्रोल’ का प्रशासनिक आदेश लागू रहेगा। एक अगस्त से कलेक्टर के आदेश पर लागू इस नियम के खिलाफ दो जनहित याचिकाएं इंदौर हाईकोर्ट में दायर की गई थीं। इन पर बहस के बाद सोमवार को हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को जारी आदेश में इंदौर हाईकोर्ट ने कहा कि ‘नो हेलमेट, नो पेट्रोल’ का आदेश लागू रहेगा। कोर्ट ने इसे लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया। हालांकि, ट्रैफिक से जुड़े अन्य मुद्दों पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी, लेकिन इस आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। बता दें, इंदौर के बाद भोपाल और जबलपुर में भी ‘नो हेलमेट, नो पेट्रोल’ के आदेश लागू हो चुके हैं।

बिना हेलमेट के पेट्रोल नहीं देने पर विवाद करने वाले पर कार्रवाई

इंदौर के चंदन नगर थाना क्षेत्र में धार रोड स्थित लकी सेंटर पेट्रोल पंप पर बिना हेलमेट के पेट्रोल नहीं दिए जाने के मुद्दे पर पेट्रोल पंप कर्मी के साथ मारपीट करने वाले आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। जिला आपूर्ति नियंत्रक एमएल मारू ने बताया कि इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसे गंभीरता से लेते हुए आरोपी प्रदीप के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं के तर्क और कोर्ट का जवाब

याचिकाकर्ताओं ने आदेश के खिलाफ कई तर्क पेश किए। याचिकाकर्ता ने कहा कि शहर के मध्य क्षेत्र में हेलमेट की आवश्यकता नहीं है। परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने जवाब में कहा कि हर नियम कानून में नहीं होता, लेकिन जान बचाने के लिए हेलमेट जरूरी है।कलेक्टर के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में प्रशासनिक जज जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बीके द्विवेदी की बेंच में याचिकाकर्ताओं ने तर्क रखे।

याचिकाकर्ता: बिना हेलमेट के पेट्रोल नहीं देना व्यावहारिक नहीं है। मोटर व्हीकल एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है। शहर में ट्रैफिक के कारण वाहन धीमी गति से चलते हैं, इसलिए हेलमेट की जरूरत नहीं है। बाइक पर कई लोग बिना हेलमेट के चलते हैं, और पुलिसकर्मी भी हेलमेट नहीं पहनते। पुलिस को पहले इनका चालान करना चाहिए।

कोर्ट: सरकारी विभागों में हेलमेट नियम का पालन शुरू हो गया है। यह अस्थायी आदेश है। जल्द ही हाईकोर्ट भी अपने कर्मचारियों के लिए हेलमेट नियम लागू करेगा, ताकि बिना हेलमेट के कोर्ट में प्रवेश न मिले।

याचिकाकर्ता: यह दो माह का अस्थायी आदेश है, लेकिन इस दौरान राखी, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि जैसे त्योहार हैं। लोग सामान संभालें या हेलमेट? पुलिस चालान बनाए, लेकिन बिना हेलमेट के पेट्रोल न देना नियम नहीं है। शहर में जितने वाहन हैं, उतने हेलमेट भी उपलब्ध नहीं हैं।

कोर्ट: लोग मोबाइल खरीदते हैं तो सबसे पहले स्क्रीन गार्ड क्यों लगाते हैं?

याचिकाकर्ता: इस आदेश से लोगों को दिक्कत हो रही है। जो लोग हेलमेट पहनना चाहते हैं, वे पहले से पहन रहे हैं। पुलिस को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। इंदौर स्वच्छता में जागरूकता के कारण ही अव्वल है। लोगों को हेलमेट की जरूरत समझानी चाहिए। अगर आदेश पर रोक नहीं लगी तो अराजकता फैल सकती है। यह ऐसा आदेश है, जो दंगे जैसे हालात में लागू होता है।

कोर्ट: अगर अराजकता या दंगे की स्थिति बनी तो रात 12 बजे भी यह आदेश वापस लिया जा सकता है। कलेक्टर को इस आदेश से कोई खुशी नहीं मिल रही।

याचिकाकर्ता: रात 10 बजे से 2 बजे तक चेकिंग के नाम पर शहर को छावनी बना दिया जाता है। पुलिस बल पर्याप्त है।
कोर्ट: पिछले छह माह में भारी चालान कटे, लेकिन लोगों पर फर्क नहीं पड़ रहा। अगर बिना हेलमेट के पेट्रोल नहीं मिल रहा तो लोग हेलमेट पहनेंगे।

याचिकाकर्ता: कई लोग 50 रुपये का पेट्रोल भरवाते हैं, उनके पास हेलमेट खरीदने के पैसे नहीं हैं। शहर में हेलमेट की ब्लैकमेलिंग शुरू हो गई है। इंटरविनर ने तर्क दिया कि दुर्घटना का कारण सिर्फ तेज गति नहीं, बल्कि खराब सड़कें और अन्य कारण भी हैं। तुरंत आदेश लागू करने से कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

याचिकाकर्ताओं के अन्य तर्क

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने बैठक में निर्देश दिए थे कि पुलिस और अन्य शासकीय कर्मचारियों के लिए वाहन चलाते समय हेलमेट अनिवार्य किया जाए। स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों के लिए भी हेलमेट जरूरी हो।

हाईकोर्ट ने कहा कि इसी आधार पर कलेक्टर ने आदेश जारी किया था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि कमेटी ने सड़कों के ब्लैक स्पॉट और गड्ढों पर भी ध्यान देने को कहा था, जिन पर सुधार जरूरी है।

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