High Court Statement on Couple : हाई कोर्ट ने कहा- शादी किए बिना भी साथ रह सकते हैं व्यस्क

High Court Statement on Couple : समाज में अक्सर व्यस्क महिला और पुरुष को साथ रहने के लिए विवाह करना पड़ता है। लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान एक अजीब फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत कोई महिला और पुरुष अगर साथ रहना चाहते हैं तो रह सकते हैं, चाहे उन्होंने विवाह नहीं किया हो। कोर्ट ने आगे कहा कि महिला और पुरुष दंपति का बालिग होना जरूरी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी दो अलग-अलग धर्म के महिला-पुरुष दंपति की याचिका पर सुनवाई करने के दौरान की। 

‘लिव इन रिलेशनशिप’ पर HC का बयान 

शुक्रवार को लिव इन रिलेशनशिप को लेकर एक बार फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी की। हाई कोर्ट ने अविवाहित दंपति के परिवार को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना शादी के वयस्क महिला और पुरुष एक साथ रह सकते हैं। इससे समाज में किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि संविधान बालिग महिला और पुरुष को उनकी इच्छा से विवाह के बिना एक साथ रहने का अधिकार देता है। 

डेढ़ साल की बच्ची ने दायर की याचिका 

दरअसल, हाई कोर्ट ने जिस याचिका पर सुनवाई करते यह टिप्पणी की है वह परिवाद 1 साल 4 महीने की बच्ची की ओर से दायर की गई थी। इस बच्ची के माता और पिता ने एक-दूसरे से विवाह नहीं किया और साथ रहने के दौरान बच्ची का जन्म हो गया था। इस अविवाहित दंपति की पैदा हुई बच्चों की तरफ से दायर रिट याचिका पर हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की पीठ ने सुनवाई की। 

अलग-अलग धर्म के हैं बच्ची के मां-बाप 

हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की पीठ ने ने कहा, “इस बच्ची के मां-बाप अलग-अलग धर्मों से हैं और 2018 से साथ रह रहे हैं। यह बच्ची एक साल चार महीने की है। बच्ची की मां के पहले के सास-ससुर से, उसके (बच्ची के) मां-बाप को खतरे की आशंका है।”

बिना शादी के साथ रह सकते हैं महिला-पुरुष 

हाई कोर्ट ने इस मामले में 8 अप्रैल को कहा था, ” संविधान के तहत बच्ची के माँ और बाप अगर वयस्क है तो साथ रहने के हकदार हैं। फिर भले ही उन्होंने विवाह नहीं किया हो।” इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की पीठ ने संभाल के पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अगर बच्ची के मां-बाप थाना से संपर्क करें तो उनकी प्राथमिकी चंदौसी थाना में दर्ज की जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को इस मामले की गंभीरता को देखते हुए बच्ची और उसके मां-बाप को सुरक्षा उपलब्ध कराने की बात की कही। क्योंकि कोर्ट में यह बताया गया की बच्ची की मां को उसके पहले की संबंध के साथ ससुर से खतरा है। 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, जिस दंपति के मामले में यह विवाद है, उसे महिला के पति की मृत्यु हो गई थी। पति की मृत्यु के बाद वह अन्य व्यक्ति के साथ रहने लगी थी। अन्य व्यक्ति के साथ संबंध होने के चलते इस दंपति ने एक बच्ची को भी जन्म दिया। इसके बाद महिला के पहले सास ससुर को उसके नए संबंध से आपत्ति है। हाई कोर्ट में याचिका इसी 1 साल 4 महीने की बच्ची के माता-पिता की ओर से दायर की गई है। जबकि बच्ची के माता-पिता ने बिना शादी के संबंध बनाये जिससे बच्ची का जन्म हुआ। याचिका संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर की गई। इस बच्ची के मन और आप ने याचिका में आरोप लगाया है कि पुलिस उनकी प्राथमिक की दर्ज नहीं कर रही है जबकि दोनों को महिला के पहले के सास-ससुर से जान का खतरा है।

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