ईरान समर्थित हिजबुल्ला ने इसराइल पर जबरजस्त हमला किया है। हिजबुल्ला ने 200 से अधिक रॉकेट और ड्रोन से इजराइल पर हमला किया यह हमला इतना जबरजस्त था कि चारो तरफ तेज धुएं का गुबार देखा गया. है, हमले के बाद चारों तरफ हाहाकार मच गया है. हमलें के बाद इजराइल ने अपने नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है.
गौरतलब है कि इजरायल हिजबुल्ला के हमले से तमतमा गया. उसने भी ढेर सारा गोला बारूद दुश्मन पर बरसा दिया और हिजब्बुला के कई प्रोजेक्टाइल को तबाह करने का दावा किया. इजरायल ने कहा कि उसने साउथ लेबनान में दुश्मन पर हमले करके मुंहतोड़ जवाब दे दिया है. इजरायली ने सेना ने लेबनान के दक्षिणी हिस्से में दुश्मन के कई लॉन्च पेड्स को उड़ाने का भी दावा किया. इससे पहले भी हिजबुल्ला इजराइल पर कई हमले कर चुका है लेकिन यह हमला जबरजस्त है.
हिजबुल्ला नें यह हमला अपने सीनियर कमांडर मुहम्मद नीमा नासिर की मौत का बदला लेने के लिए किया। नीमा नासिर की मौत 3 जुलाई को एक हवाई हमले में हुई थी.
आपको बता दे कि मुहम्मद नीमा नासिर ‘अबू नीमा’ के अंतिम संस्कार में सैकड़ों लोग शामिल हुए. वो हिजबुल्ला की अजीज यूनिट (Aziz Unit) का कमांडर था, उसने इस यूनिट की कमान 2016 में संभाली थी. अजीज यूनिट साउथ लेबनान में हिजबुल्ला की 3 रीजनल डिवीजनों में से एक है, जो लेबनान के साउथ-वेस्ट, तट से लेकर बिंट जेबिल इलाके में एक्टिव है. इस यूनिट ने युद्ध के दौरान नॉर्थ इजरायल के ऊपरी और पश्चिमी गैलिली के खिलाफ सैकड़ों हमले किए हैं. हिजबुल्ला 7 अक्टूबर से इजरायल के खिलाफ जंग में शामिल है. वो इजरायल के नॉर्दर्न बॉर्डर से लगातार इजरायल की ओर हमले कर रहा है.
कौन है हिजबुल्ला?
यह लेबनान स्थति एक सिया राजनीतिक संगठन है. इसकी खुद की आर्मी है. इसकी स्थापना 1979 में स्लामिक क्रान्ति के दौरान हुई थी. हिजबुल्ला दशकों से इसराइल के साथ संघर्ष में लगा हुआ है. इसे ईरान से समर्थन प्राप्त है. ईरान इस संगठन को ट्रेनिंग देता है और हथियार उपलब्ध कराता हैं.
इजरायल के आयरन डोम क्यों खा जाता है चकमा
बीते साल 7 ऑक्टूबर को जब हमास ने इजरायल पर हमला किया तब भी इजरायल का आयरन डोम चकमा खा गया था। इस बार भी आयरन डोम हिजबुल्ला के बड़े हमले में अपनी सक्रिय भूमिका नहीं निभा पाया। दरसल आयरन डोम एक एयर डिफेंस सिस्टम है. जिसे इजरायल ने अमेरिका के साथ मिलकर विकसित किया था. यह विश्व के सबसे बेहतर एयर डिफेन्स सिस्टम में से एक है.
लेकिन कई विशेषज्ञ ऐसा मानते है कि जब एक साथ सैकड़ो की संख्या में मिसाइल आती है तब कई दफा यह आयरन डोम उतना बेहतर कार्य नहीं कर पाता है जितनी उम्मीद की जाती है.