Hemant Soren Case In Hindi, Hemant Soren Ghotala In Hindi, Hemant Soren Jail News: राजनितिक दावपेंच के बीच बीती रात यानी 31 जनवरी के दिन झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आखिरकार गिरफ्तार हो चुके हैं. हेमंत की गिरफ्तारी के बाद चम्पई सोरेन को सूबे का नया मुख्यमंत्री चुना गया है. सोरेन गिरफ्तार होने से पहले ही राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंप चुकें थे.
दिल्ली आवास पर छापेमारी के बाद से ही उनकी गिरफ्तारी की ख़बरों ने तूल पकड़ लिया था. 8 घंटे की लगातार पूछताछ के बाद बुधवार देर रात ED ने सोरेन को गिरफ्तार कर लिया. अब 1 फरवरी को उन्हें कोर्ट के सामने पेश किया गया . ऐसे में सवाल यह बनता है की आखिर किस मामले में सोरेन आज ED के गिरफ्त में हैं?
Hemant Soren Arrested: क्यों गिरफ्तार हुए हेमंत सोरेन?
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो दो मामले सामने निकल कर आतें हैं जिनकी बदौलत आज हेमंत सोरेन ED के गिरफ्त में हैं. पहला साहेबगंज अवैध माइनिंग केस का मामला है और दूसरा जमीन घोटाले का है. मामला थोड़ा पेचीदा है. ऐसे में यह समझना थोड़ा कठिन हो जाता है कि इन घोटालों में हेमंत सोरेन का नाम कैसे सामने आया. आइए पूरे घटनाक्रम को एक-एक कर समझते हैं.
Hemant Soren Case 1 / साहेबगंज अवैध खाना मामला / Sahebganj illegal food case
झारखण्ड के साहेबगंज में अवैध रूप से हो रही माइनिंग पर साल 2022 में ED की नज़र पड़ती है. जब जांच शुरू होती है तो एक नाम सामने आता है. “पंकज मिश्रा।” उस वक़्त पंकज सीएम के विधान सभा सीट बरहेट से JMM का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं. ED की कार्यवाही आगे बढ़ती है और मार्च 2022 में जमीन कब्ज़ा करने और सम्पति को अपने नाम करने के आरोप में पंकज मिश्रा समेत अन्य लोगों पर केस दर्ज की जाती है.
फिर 7 जुलाई 2022 के दिन झारखण्ड के साहिबगंज, बरहेट, राजमहल समेत 21 ठिकानों पर ED की रेड पड़ती है. जहाँ से 5 करोड़ 34 लाख रूपए और कुछ दस्तावेज जब्त किए जाते हैं. साथ ही दाहू यादव नाम के एक शख्स जो कि पंकज मिश्रा का करीबी बताया जाता है उसके बैंक खाते से कुछ अवैध रूपए भी जब्त किए जाते हैं.
छापेमारी के बाद 15 जुलाई 2022 को ED का एक बयान सामने आता है. जिसमे बताया जाता है कि अवैध खनन मामले में कई बैंक खातों से 11.88 करोड़ रूपए जब्त किए जा चुके हैं. और अबतक जब्त हुए पूरे कैश का अमाउंट 36.58 करोड़ हो गया है.
दाहू यादव का नाम पंकज मिश्रा से जुड़ने के बाद 19 जुलाई 2022 को ED की एक टीम फिर से पंकज के घर छपा मरती है. और यही से इस मामले में एंट्री होती है हेमंत सोरेन की. छापेमारी में पंकज के घर से दो सील बंद लिफ़ाफ़े मिलते हैं.
जिसमे एक पासबुक और दो चेकबुक मिलता है और 004718 और 004719 संख्या वाले दो साइन किए हुए चेक के साथ 31 पन्नों का ब्लैंक चेकबुक भी मिलता है. और ये सभी दस्तावेज हेमंत सोरेन के बैंक ऑफ़ इंडिया के साहिबगंज के खाते से जुड़े रहते हैं.
मांमले में जब हेमंत सोरेन का नाम पहली बार आता है तो २ नवम्बर 2022 को ED सोरेन से पूछताछ के लिए पहला समन भेजती है. जवाब न दिए जाने पर ED द्वारा सोरेन को लगातार समन भेजा जाता है.
पर सोरेन जवाब नहीं देते हैं और शक की सुई लगातार सोरेन की तरफ मुड़ती जाती है. अब ये तो था साहेब गंज अवैध माइनिंग केस का पूरा मामला। अब जानते हैं कि दूसरा मामला क्या है यानी जो करोड़ों के जमीन घोटाले के आरोप लग रहे हैं, वो क्या है और इससे झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नाम कैसे जुड़ा है?
Hemant Soren Case 2 / अवैध जमीन घोटाला / Hemant Soren Jameen Ghotala
अवैध जमीन घोटाले का यह मामला आज से करीब डेढ़ साल पहले शुरू होता है. जिसमे आगे चल कर कई केस जुड़ते चले जाते हैं. झारखण्ड की राजधानी रांची में बरियातू नाम का एक जगह है. जून 2022 में बरियातू थाने में नगर निगम टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा द्वारा एक FIR दर्ज कराया जाता है. आरोपी के तौर पर प्रदीप बागची का नाम सामने आता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ FIR में यह आरोप दर्ज कराया जाता है कि बागची ने फ़र्ज़ी डाक्यूमेंट्स के सहारे सेना की 4.5 एकड़ जमीन को अपने कब्जे में ले लिया है. शिकायत दर्ज होने के बाद जांच की जिम्मेदारी ED को सौंपी जाती है. जांच में पता चलता है कि दखल हुई जमीन बी.एन. लक्ष्मण राव की थी जिन्होंने आजादी के बाद अपनी स्वेक्षा से इसे सेना के नाम कर दिया था.
मामले में अप्रैल 2023 में सबसे पहले प्रदीप बागची संग सात लोगों को गिरफ़्तार किया जाता है. साथ ही कई जगहों पर छापे मारी भी होती है. जिसमे IAS अधिकारी छवि रंजन के रांची और जमशेदपुर आवास पर भी छापा मारा जाता है. मामले में गिरफ्तार हुए दो लोग सरकारी पेशे से तालुक्कात रखते हैं. इनमें शामिल भानु प्रताप, बड़गाई इलाके में रेवेन्यू सब-इंस्पेक्टर थे और अली, सरकारी अस्पताल में काम कर रहे थे. बाकी के सभी, जमीन दलाली में अवैध रूप से संलिप्त थे.
अब कार्यवाही आगे बढ़ी तो मार्च 2023 में प्रवर्तन निदेशालय ने IAS छवि रंजन को गिरफ्तार कर लिया गया. आरोप लगा की रंजन जमीन की अवैध खरीद-बिक्री में अवैध रूप से संलिप्त थे. असल मियाउ जमीन के खरीद-फरोख्त के लिए फ़र्ज़ी कागजातों का सहारा लिया गया था, जिसमे ज़मीन को 1932 का बताया गया. और लिखा गया कि इस जमीन को प्रफुल्ल बागची यानी प्रदीप बागची के पिता ने सरकार से खरीदी थी. फिर 2021 में प्रदीप ने इस जमीन को कोलकाता की एक कंपनी जगतबंधु टी एस्टेट लिमिटेड को बेच दी थी. जिसके डायरेक्टर दिलीप घोष हैं.
लेकिन जब जांच हुआ तो पता चला कि जमीन असल में अमित अग्रवाल नाम के व्यक्ति को बेची गई थी. अमित को कथित रूप से हेमंत सोरेन का करीबी माना जा रहा है. पिछले साल जून में अमित और दिलीप को गिरफ्तार कर लिया गया. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट की माने तो, इस जमीन की सरकारी कीमत 20.75 करोड़ थी. लेकिन इसे मात्र 7 करोड़ में बेच दिया गया.
जो कि सरकारी रेट से काफी कम था. अधिकारी ने कहा, “इस सात करोड़ में प्रदीप बागची को सिर्फ 25 लाख रुपये दिए गए. बाकी के पैसे चेक के जरिये जगतबंधु टी स्टेट लिमिटेड को दिये गए. बाकी पेमेंट इस तरीके से इसलिए किये गए ताकि जमीन की खरीद-बिक्री सही लगे.”
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एक रिपोर्ट में बताया गया कि इस तरीके की और भी जमीनों की डील मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से की गई. पुराने डॉक्यूमेंट्स से असली मालिकों के नाम को मिटाने के लिए किसी केमिकल का इस्तेमाल किया जाता था. जांच में पता चला कि रजिस्ट्रार ऑफिस के सरकारी अधिकारी भी इसमें मदद करते थे.
ईडी के अधिकारियों ने आरोपियों के पास से फर्जी सरकारी मोहर, स्टाम्प पेपर, रजिस्ट्री डॉक्यूमेंट्स, फर्जी लैंड डीड भी बरामद किए. ED ने जब सिकंजा कसा तो रेवेन्यू सब-इंस्पेक्टर भानू प्रताप ने हेमंत सोरेन का नाम लिया। और जमीन खनन मामले के जैसे ही इस घोटाले में भी पूरा मामला हेमंत सोरेन के नाम के इर्द-गिर्द घूमने लगा.
अब घोटालों को लेकर हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हो चुकी है. पर इसी बेच एक वीडियो सामने आया है. जिसमे उनका कहना है कि इस साढ़े आठ एकड़ जमीन से उनका दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है. इस जमीन के मालिक वो हैं,इसका कोई सबूत नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि जाली कागज बनाकर और फर्जी शिकायत के जरिए उन्हें फंसाया जा रहा है, लेकिन समय के साथ सत्य की जीत होगी.
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