MP: हर जिले में बनेंगे हेल्दी-हाइजेनिक फूड स्ट्रीट: डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल

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MP News: उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि स्ट्रीट फूड विक्रेता और खाद्य कारोबारियों को प्रशिक्षित कर उन्हें स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा के बेहतर तरीकों के बारे में जागरूक किया जाएगा। जनप्रतिनिधियों को भी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि वे अपने क्षेत्र में जन-जागरूकता अभियान का प्रसार कर सकें। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि प्रत्येक जिले में हेल्दी और हाइजेनिक फूड स्ट्रीट प्रमाणन के प्रयास किए जाएं।

MP News News in Hindi: युवाओं में बढ़ती फास्ट फूड की लत और इससे बढ़ रही बीमारियों का मामला सामने आने के बाद सरकार एक्टिव मोड में आ गई है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कहा गया कि अब हर जिले में हेल्दी और हाइजेनिक फूड स्ट्रीट की व्यवस्था पर फोकस किया जाएगा। डिप्टी सीएम और लोक स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने अधिकारियों को प्रदेश में एक महीने का विशेष जन जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान सभी जिलों में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और स्वच्छता की जांच की जाएगी। गौरतलब है कि 24 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान डॉ. अभिलाष पांडेय द्वारा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान फास्ट फूड का मामला उठाया गया था। जिस पर संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने गाइडलाइन बनाने की बात कही थी।

उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि स्ट्रीट फूड विक्रेता और खाद्य कारोबारियों को प्रशिक्षित कर उन्हें स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा के बेहतर तरीकों के बारे में जागरूक किया जाएगा। जनप्रतिनिधियों को भी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि वे अपने क्षेत्र में जन-जागरूकता अभियान का प्रसार कर सकें। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि प्रत्येक जिले में हेल्दी और हाइजेनिक फूड स्ट्रीट प्रमाणन के प्रयास किए जाएं। एक माह बाद खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में सुधार की समीक्षा कर कार्य योजना निर्धारित की जाएगी।

खाद्य गुणवत्ता को लेकर समीक्षा

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने पिछले दिनों खाद्य गुणवत्ता और स्वच्छता बनाए रखने के लिए की जा रही कार्यवाही की समीक्षा की है। इस दौरान प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन दिनेश कुमार मौर्य मौजूद रहे। तब मंत्री शुक्ल ने स्ट्रीट फूड विक्रेताओं और खाद्य संस्थानों को सही खाद्य पदार्थों का उपयोग करने और स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए थे।

संभागीय खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं का निर्माण

खाद्य पदार्थों की जांच में तेजी लाने के लिए इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में 3 नई संभागीय खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाएं निर्मित कराई जाएंगी। इंदौर और जबलपुर में मशीनें स्थापित कर मानव संसाधन उपलब्ध कराकर परीक्षण कार्य शुरू कर दिया गया है। ग्वालियर में 60% सिविल वर्क पूरा हो चुका है। भोपाल में हाइटेक माइक्रो बॉयोलॉजी लैब का निर्माण कार्य 80% पूर्ण हो चुका है।

आजीवन कारावास का प्रावधान

  • संयुक्त नियंत्रक माया अवस्थी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
  • अवमानक खाद्य वह होता है जो निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करता। लेकिन इससे मानव स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं होता। मिथ्या छाप खाद्य वह पदार्थ है जिसके संबंध में आवश्यक जानकारी या गुण-दोष लेवल पर सही तरीके से अंकित नहीं किए गए हों।
  • असुरक्षित खाद्य वे हैं जिनकी प्रकृति, गुणवत्ता या सामग्री मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।
  • आपराधिक प्रकरण (धारा 59, 60, 62, 64, 65) में असुरक्षित खाद्य या बिना लाइसेंस व्यापार के मामले प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत होते हैं, जिनमें अधिकतम आजीवन कारावास तक का प्रावधान है।
  • अधिनियम के तहत दो प्रकार के प्रकरण अभियोजित किए जाते हैं। सिविल प्रकरण (धारा 51 से 58 एवं 61, 63) में अवमानक या मिथ्या छाप से संबंधित अपराध या नियमों का उल्लंघन होने पर मामले न्याय निर्णायक अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं।

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