Health Insurance Cashless Treatment and Claim Settlement Timing: आपको बता दें सरकार ने बेहद ही जरूरी मुद्दे में अपना ध्यान आकर्षित किया है, जी हां अक्सर स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से ग्राहक परेशान रहते हैं उनके कैशलेस मंजूरी में देरी के कारण तो वहीं Discharge Settlement Claim भी जल्दी नहीं होता है ऐसे में पेसेंट पूरा दिन भर discharge के लिए लगे रहते हैं तब जाके कहीं सेटलमेंट हो पाता है कई बार तो अगले दिन तक बात पहुँच जाती है. ऐसे में मरीजों के परिजनों को जल्द इससे राहत मिल सकती है.
सरकार की योजना
केंद्र सरकार Health Insurance companies के लिए कैशलेस मंजूरी अनुरोध को एक घंटे के अंदर और अंतिम क्लेम सेटलमेंट को तीन घंटे के भीतर अनिवार्य करने की योजना बना रही है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इंश्योरेंस सेक्टर के लिए भारतीय मानक ब्यूरो जैसे मानकों को लागू करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि बीमा उद्योग के संचालन को सुव्यवस्थित किया जा सके. सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक नागरिकों को सुलभ और किफायती Health Insurance कवर प्रदान किया जाए. किफायती बीमा की घोषणा भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) ने नवंबर 2022 में की थी.
मामूली कमियों से 100 प्रतिशत Claim Settlement नहीं करती कंपनी
गौरतलब है कि, IRDA ने 2024 में Claim Settlement में गति देने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन इनकी बढ़ती संख्या के कारण Insurance Companies इन नियमों का पालन करने में असफल रही हैं. अधिकारी ने कहा कि कई मामलों में बीमा कंपनियों ने 100% कैशलेस क्लेम को खारिज या रिजेक्ट किया है. अगर नियमों को सख्ती से लागू किया जाए और सेटलमेंट प्रोसेस को मानकीकृत किया जाए तो उपभोक्ताओं का भरोसा वापस आएगा.
हॉस्पिटल से जुड़े ये नियम
आपको यह भी बताते चलें कि, Insurance Claim और Application Forms को सरल और समझने योग्य बनाने के लिए एक पेशेवर एजेंसी की मदद से मानकीकृत प्रारूप तैयार करने की भी योजना है. इससे यह होगा की बीमाकर्ता समय पर और पूरी राशि का भुगतान कर सकेंगे.
सरकार की तैयारी
सरकार National Health Claims Exchange (सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य दावा एक्सचेंज) के जरिए इंश्योरेंस क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में काम कर रही है. जी हां इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) और IRDA दोनों मिलकर नए निर्देश तैयार कर रहे हैं. यह एक डिजिटल मंच है, जो स्वास्थ्य बीमा दावों की प्रक्रिया को मानकीकृत करता है. जुलाई 2024 तक, 34 Health Insurance companies और TPA इस मंच पर सक्रिय थे. 300 अस्पताल इसमें शामिल होने की प्रक्रिया में हैं.
जानकारों के सुझाव
बीमा और इससे संबंधित जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों ने जमीनी हक़ीकत की ओर ध्यान दिलाया है. Insurance Brokers association of India (IBAI) के महासचिव R. Balasubramaniam ने कहा, नियम बनाने और उसे लागू करने में अंतर है, इसके साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सर्जरी की दरें और डिस्चार्ज दस्तावेज अगर पूरे देश में एक जैसे हों, तो दावा प्रक्रिया और तेज हो सकती है और विवाद भी घट जायेंगे.
High Premium Prices
गौरतलब है कि, भारत में 26 General Insurance companies हैं, 2 Special Insurance Provider और 7 Independent Companies हैं, जबकि अस्पतालों की संख्या लगभग 2 लाख है. हेल्थ इंश्योरेंस इंडेक्स 2024 के अनुसार, 2023 में स्वास्थ्य बीमा दावों का औसत आकार 11.35 फीसदी बढ़ा, जो चिकित्सा लागतों और मेडिकल महंगाई में वृद्धि को दर्शाता है. रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में चिकित्सा लागत में प्रतिवर्ष 14 फीसदी तक की वृद्धि हो रही है.