HDFC Bank CEO Sashidhar Jagdishan के खिलाफ Lilavati Trust ने दर्ज कराई FIR

HDFC Bank CEO Sashidhar Jagdishan FIR News In Hindi

HDFC Bank CEO Sashidhar Jagdishan FIR News In Hindi: HDFC Bank भारत का सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का बैंक इस वक्त ट्रेंड कर रहा है। इसका कारण बैंक के CEO Sashidhar Jagdishan हैं। हाल के दिनों में, उनके खिलाफ Lilavati Kirtilal Mehta Medical Trust (LKMMT) द्वारा लगाए गए फाइनेंसियल फ्रॉड के आरोप लगाए हैं।

सशिधर जगदीशन,1996 से HDFC बैंक के साथ जुड़े हुए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड, यूके से मास्टर्स इन इकोनॉमिक्स ऑफ मनी, बैंकिंग एंड फाइनेंस की डिग्री हासिल करने वाले जगदीशन ने अपने 31 साल के करियर में बैंकिंग क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे 2020 में आदित्य पुरी के उत्तराधिकारी के रूप में HDFC Bank के CEO बने, जो भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले बैंक सीईओ थे।

जगदीशन ने बैंक में वित्त, मानव संसाधन, कानूनी और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है। उन्होंने HDFC Bank को न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर एक मजबूत स्थिति दिलाई है। 2023 में उनकी आय 10.55 करोड़ रुपये से अधिक थी, जिसने उन्हें भारत का सबसे अधिक वेतन पाने वाला बैंक सीईओ बनाया।

लीलावती ट्रस्ट के आरोप

हाल ही में, सशिधर जगदीशन उस समय सुर्खियों में आए जब लीलावती कीर्तीलाल मेडिकल ट्रस्ट, जो मुंबई के लीलावती अस्पताल का संचालन करता है, ने उनके खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाए। ट्रस्ट ने 8 जून 2025 को जगदीशन और आठ अन्य व्यक्तियों, जिनमें बैंक के पूर्व कर्मचारी भी शामिल हैं, के खिलाफ एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की।

ट्रस्ट ने आरोप लगाया कि जगदीशन ने 2.05 करोड़ रुपये की नकद राशि प्राप्त की, 25 करोड़ रुपये के ट्रस्ट फंड को बिना अनुमति के एचडीएफसी बैंक में जमा करने में मदद की, और लीलावती अस्पताल में अपने और अपने परिवार के लिए विशेष चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त कीं।

लीलावती ट्रस्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), सेबी, और वित्त मंत्रालय से जगदीशन को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने और उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की है। ट्रस्ट का दावा है कि ये आरोप बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा संदिग्ध संपत्ति लेनदेन के जरिए धन के दुरुपयोग से संबंधित हैं।

एचडीएफसी बैंक का जवाब

एचडीएफसी बैंक ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए उन्हें बेबुनियाद करार दिया है। बैंक का कहना है कि लीलावती ट्रस्ट और मेहता परिवार पर 1995 से बकाया 65.22 करोड़ रुपये का ऋण है, जिसे चुकाने में वे विफल रहे हैं। 2004 में डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल द्वारा जारी रिकवरी सर्टिफिकेट के बावजूद, यह राशि अभी तक पूरी तरह से वसूल नहीं हो सकी है। बैंक ने दावा किया कि ये आरोप वसूली प्रक्रिया को बाधित करने और बैंक की साख को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए गए हैं।

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