Hast Mudra Benefits: जैसा कि सब जानते हैं कि हमारा शरीर केवल हड्डीयों और मांसपेशियों का ढांचा नहीं है बल्कि यह पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से निर्मित एक ऊर्जा प्रणाली है(prana energy of body)। इन्हीं सभी के संतुलन से हमारा शरीर स्वस्थ रह पाता है। परंतु यदि इनमें से किसी भी घटक का संतुलन बिगड़ता है तो शरीर और मन दोनों ही अस्वस्थ हो जाते हैं। परंतु क्या आप जानते हैं की हस्त मुद्राओं के माध्यम से आप न केवल इन तत्वों को नियंत्रित कर सकते हैं बल्कि अपना स्वास्थ्य भी सुधार सकते हैं।

हस्त मुद्राओं को करने से क्या होता है?(hasta mudra ke kya labh hota hai)
आज के इस लेख में हम आपको इन्हीं हस्त मुद्राओं की विस्तारित जानकारी उपलब्ध कराएंगे। जी हां यह हस्त मुद्राएं बड़ी आसानी से की जा सकती है जिन्हें रोजाना जीवन शैली में अपना कर आप मानसिक और शारीरिक बीमारियों से खुद का बचाव भी कर सकते हैं और अपनी ऊर्जा को संतुलित भी कर सकते हैं। आईए जानते हैं इन्हीं हस्त मुद्राओं के कुछ प्रकार और उनके लाभ (hast mudra se health theek kare)
ज्ञान मुद्रा: ज्ञान मुद्रा में तर्जनी उंगली के सिरे को अंगूठे के सिरे से मिलाना पड़ता है और अन्य तीन उंगलियां सीधी रखनी पड़ती है। इस मुद्रा को करने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है,एकाग्रता और स्मरण शक्ति में सुधार होता है।
वायु मुद्रा: वायु मुद्रा में तर्जनी उंगली को मोड़कर अंगूठे के आधार पर स्पर्श करना होता है और अंगूठे पर तर्जनी का दबाव बढ़ाना पड़ता है इस मुद्रा को करने से गठिया, पार्किंनसन, गैस और जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
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सूर्य मुद्रा: अनामिका अंगुली को मोड़कर अंगूठे के आधार से स्पर्श करने से सूर्य मुद्रा पूर्ण हो जाती है फिर धीरे-धीरे अंगूठा अनामिका पर दबाव डालता है। इस मुद्रा को करने से वजन कंट्रोल में आता है थायराइड संतुलन होता है और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
प्राण मुद्रा: अनामिका और कनिष्का उंगलियों के सिरे को अंगूठे के सिरे से मिलाएं और अन्य दो उंगलियों को सीधा रखें। इससे रोग प्रतिरक्षण प्रणाली मजबूत होती है और आंखों की रोशनी बेहतर होती है।
शून्य मुद्रा: मध्यमा अंगुली को मोड़कर अंगूठे के आधार पर स्पर्श कराएं,अब अंगूठे से माध्यमा पर धीरे-धीरे दबाव डालें। इससे कान के रोग दूर होते हैं और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
हस्त मुद्राओं का अभ्यास किस समय करना चाहिए
- आमतौर पर हस्त मुद्रा का अभ्यास प्रातः काल या संध्या कॉल करना चाहिए।
- खास तौर पर ऐसे समय जब आपका पेट खाली हो या लंबे समय से आपने कुछ खाया ना हो।
- इसके साथ ही इन मुद्राओं का अभ्यास हमेशा शांत और स्वच्छ स्थान पर करना चाहिए।
- प्रत्येक मुद्रा का अभ्यास करीबन 15 से 30 मिनट तक करना अनिवार्य है।