Haryana Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव पूरी तरह से बीजेपी बनाम कांग्रेस का है. पीएम मोदी से लेकर अमित शाह जैसे बड़े नेताओं ने शुरू में प्रचार करके सियासी फिजा को अपने पक्ष में बनाने का दांव चला, लेकिन आखिरी दौर में कांग्रेस के प्रचार से पिछड़ती दिखी. राहुल गांधी चुनाव प्रचार के आखिरी दिन नूंह और महेंद्रगढ़ में जनसभा को संबोधित कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करते नजर आए.
हरियाणा विधानसभा का चुनावी परिदृश्य क्या बदल रहा है? बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. बीजेपी ने शुरुआत में हरियाणा में जबरदस्त बैटिंग कर माहौल बनाने की कोशिश की तो कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी ने प्रचार के आखिरी दौर में आक्रमक रुख अपनाया और तबड़तोड़ रैलियां कर सियासी फिजा को बदलने का दांव चला. राहुल ने तीन दिनों तक विजय संकल्प यात्रा करके चुनावी माहौल बनाने की स्ट्रैटजी अपनाई है. आखिरी दिन दक्षिण हरियाणा में जनसभाएं कर सियासी दांव चला है, लेकिन बीजेपी की तरफ से कोई बड़ा नेता आखिरी दौर में नहीं दिखा.
आपको बता दे कि बीजेपी हरियाणा विधानसभा चुनाव अपनी साख बचाने की जंग लड़ रही है. 2014 और 2019 में सरकार बनाने के बाद बीजेपी 2024 में सत्ता की हैट्रिक लगाने की कवायद में है. इसके लिए पीएम मोदी से लेकर अमित शाह सहित बीजेपी के तमाम दिग्गज नेताओं ने जोर लगाया, लेकिन चुनाव प्रचार के आखिरी दौर सुस्त नजर आई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अक्टूबर को हरियाणा के पलवल में अपनी आखिरी जनसभा को संबोधित किया है. अमित शाह ने हरियाणा में अपनी आखिरी रैली 29 सितंबर को की थी.
मोदी ने कुरुक्षेत्र से प्रचार अभियान का आगाज किया
हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार का गुरुवार को आखिरी दिन है. राहुल गांधी आखिरी दिन नूंह और महेंद्रगढ़ में जनसभा को संबोधित कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करते नजर आए हैं, लेकिन बीजेपी की तरफ हरियाणा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन न ही पीएम मोदी की रैली थी और न ही अमित शाह की. बीजेपी की तरफ से अनुराग ठाकुर से लेकर नायब सैनी और मनोहर लाल खट्टर की रैली जरूर रखी गई थी.
हरियाणा चुनाव प्रचार आगाज के साथ जिस तरह बीजेपी ने माहौल बनानने की कोशिश की, उसे आखिरी तक बनाए नहीं रख सकी. पीएम मोदी ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव ऐलान के बाद कुल चार जनसभाएं संबोधित कीं. पीएम मोदी ने हरियाणा की चारों बेल्ट में एक-एक रैली की है. मोदी ने 14 सितंबर को कुरुक्षेत्र से हरियाणा में बीजेपी के चुनाव प्रचार अभियान का आगाज किया था. इसके बाद 25 सितंबर को सोनीपत के गोहाना और 28 सितंबर को हिसार में रैली संबोधित की थी. हरियाणा में उनकी आखिरी रैली पलवल में हुई थी.
अंबाला से शुरू की थी विजय संकल्प यात्रा
राहुल पहली बार चुपचाप सुबह-सुबह करनाल के परिवार से मिलने पहुंचे थे, लेकिन चुनावी अभियान का आगाज 26 सितंबर करनाल से असंध की रैली से किया. राहुल ने 30 सितंबर को अंबाला से अपनी विजय संकल्प यात्रा शुरू की थी, जहां प्रियंका गांधी उनके साथ थीं. इसके बाद राहुल ने तीन दिन तक यात्रा करके सियासी माहौल बनाया. उन्होंने बीजेपी के गढ़ जीटी रोड बेल्ट में 84 किलोमीटर का सफर तय किया तो जाट लैंड वाले इलाके में 81 किलोमीटर का रोड शो किया.
इसके बाद नूंह और महेंद्रगढ़ में जनसभा की. हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए सभाओं के बजाय राहुल गांधी ने विजय संकल्प यात्रा का आयोजन कर डाला. राहुल ने मतदाताओं तक पहुंचने और उनसे जुड़ने के लिए रैली, रोड शो से लेकर सड़क चलते लोगों से मुलाकात, समाज के अलग-अलग तबकों से संपर्क और संवाद जैसे तमाम मसालों का इस्तेमाल किया.
कांग्रेस को एकजुट करने की कोशिश
हरियाणा में कांग्रेस दस साल से सत्ता का वनवास झेल रही है, जिसे राहुल गांधी ने खत्म करने का दांव चला. राहुल ने अपनी यात्रा के जरिए कांग्रेस की भीतर की तमाम कमियों को दूर करने की कोशिश करते नजर आए. गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस को एकजुट करने की कोशिश. कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का हाथ पकड़कर पार्टी के एकजुट होने का संदेश दिया. कांग्रेस ने हरियाणा में सत्ता का वनवास खत्म करने की हरसंभव कोशिश की है.
इसकी वजह यह है कि हरियाणा ही एक ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस ने अपने दम पर सरकार बनाने की उम्मीद पाल रखी है. जम्मू-कश्मीर में वोटिंग हो चुकी है, जहां पर कांग्रेस ने नेशनल कॉफ्रेंस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. इसी तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस का गठबंधन उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी (एस) के साथ गठबंधन है. ऐसे में इन तीनों ही राज्यों में सरकार बनती तो कांग्रेस की नहीं बल्कि गठबंधन की सरकार होगी, लेकिन हरियाणा में उसकी अपनी सरकार होगी. इसीलिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है ताकि सियासी फिजा को अपनी तरफ मोड़ सके.
वर्ष 2019 में कांग्रेस इन इलाकों में पिछड़ गई थी
आपको बताते चले कि हरियाणा की सत्ता पर दस साल से काबिज बीजेपी के लिए इस बार कई चुनौतियां है. मगर, पीएम मोदी से लेकर अमित शाह जैसे बड़े नेताओं ने शुरू में प्रचार करके सियासी फिजा को अपने पक्ष में बनाने का दांव चला, लेकिन आखिरी दौर में कांग्रेस के प्रचार से पिछड़ती दिखी. कांग्रेस को सबसे बड़ी उम्मीद जीटी रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा के इलाके से है. 2019 के चुनाव में कांग्रेस इन दोनों ही इलाकों में बीजेपी से पिछड़ गई थी. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी देखा गया है कि बीजेपी यह इलाका अपना बचाए रखने में सफल रही. इसीलिए कांग्रेस को सत्ता में वापसी करनी है तो बीजेपी के मजबूत दुर्ग माने जाने वाले जीटी रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा में बीजेपी को मात देना होगी.
बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले जीटी रोड इलाके की सियासी अहमियत समझते हुए राहुल और प्रियंका ने रोड शो करते हुए यहां की 12 सीटों को कवर किया. पूरे रास्ते भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा को साथ रखा. इसके अलावा जाटलैंड और पश्चिमी हरियाणा कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जा रहा है. राहुल ने इन दोनों इलाकों में अपने साथ दीपेंद्र हुड्डा को साथ रखा. इसके अलावा प्रियंका ने दीपेंद्र हुड्डा के साथ इसी इलाके में प्रचार करके सियासी माहौल बनाने की कोशिश की. बीजेपी का भी दारोमदार जीटी-रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा के इलाके पर टिका हुआ है. ऐसे में देखना है कि हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच शह-मात के खेल में कौन किस पर भारी पड़ता है?
यह भी देखें :https://youtu.be/bmsvm0QH25M?si=7a0SrzkrZib9VnJQ