Hartalika Teej 2025 : हरतालिका तीज मंगलवार को होगा। इससे बाजारों में खासी रौनक दिख रही है। महिलाएं सोलह सिंगार कर बिना खाए-पिए भगवान भोलेनाथ की पूजा और कथा सुनेंगी। माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए सबसे पहले यह व्रत किया था। भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं व्रत करेंगी। पति की लंबी उम्र और खुशहाल शादी के लिए यह व्रत बिना खाए-पीए रखा जाता है। शुभ समय सुबह 5:56 से 8:31 बजे तक रहेगा, और व्रत का अंत अगले दिन सूरज निकलने के बाद होगा। बाजारों में शाम तक महिलाओं की भीड़ रही। गंगा स्नान कर घर लाने के लिए गंगा का जल भी लाया गया। मंगलवार को व्रत का नियम रहेगा।
पौराणिक कथा और महत्व
कहानी के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति बनाने के लिए कठोर तपस्या की थी। तभी से यह व्रत शुरू हुआ। कहा जाता है कि उस समय पार्वती की दोस्तें उन्हें ले जाने की कोशिश कर रही थीं। अंत में वह अपने मजबूत इरादे से भगवान शिव को पति बना सकीं। तभी से यह व्रत महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी लड़कियों के लिए भी है, ताकि उन्हें अच्छा साथी मिले।
तिलकामांझी महावीर मंदिर के पंडित आनंद झा बताते हैं कि इस व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। महिलाएं पूरे दिन और रात जागकर भक्ति करती हैं और व्रत पूरा करती हैं।
पूजन का तरीका
हरतालिका तीज का पूजा शाम को किया जाता है। इस दिन मिट्टी और बालू से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति बनाई जाती है। मूर्तियों को केले के पत्तों पर रखकर टेबल पर रखा जाता है। भगवान शिव का पूजन कर माता पार्वती को श्रृंगार का सामान दिया जाता है। व्रत कथा सुनाई जाती है।
पूजा में जरूरी सामान
मिट्टी और बालू, केले के पत्ते, फल-फूल, बेलपत्र, शमी का पेड़, धतूरा, फूल, माला, जनेऊ, धागा, कपड़े, माता गौरी का सामान, दीपक, कपूर, चंदन, सिंदूर, कुमकुम, कलश, पंचामृत आदि होते हैं।
हरितालिका तीज व्रत के नियम
यह व्रत बिना खाए-पीए किया जाता है। सूरज उगने से लेकर अगले सूरज तक कुछ भी नहीं खाया-पीया जाता। इस व्रत को एक बार शुरू करने के बाद सालों तक करना चाहिए।
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