Hariyalika Teej Vrat Katha In Hindi: हरितालिका तीज नारी शक्ति, भक्ति और संकल्प का उत्सव है। यह व्रत माता पार्वती के अटूट तप और उनके शिव से मिलन की गाथा को समर्पित है। लेकिन इस व्रत के साथ जुड़ी एक ऐसी कथा भी है, जो न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि हमें जीवन के वास्तविक मूल्य और सही कर्मों की ओर भी मार्गदर्शन करती है। आज हम आपके लिए लाए हैं एक प्रेरणादायक प्रसंग, जिसमें माता पार्वती के एक सहज से प्रश्न पर भगवान शिव ने उन्हें ऐसा उत्तर दिया, जो प्रत्येक मानव को अपने जीवन में आत्मचिंतन करने के लिए बाध्य कर देता है।
Hariyalika Teej Vrat Katha In Hindi
जब एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से प्रश्न किया….
“प्रभु – मैंने देखा है कि जो लोग पहले से ही दुःखी हैं, उन्हें आप और दुःख देते हैं, जबकि जो सुखी हैं, वे सुखी ही रहते हैं ऐसा क्यों ?
भगवान शिव मुस्कराए और बोले – “इसका उत्तर तुम स्वयं अनुभव करके जानोगी। चलो, धरती पर चलते हैं”
धरती पर शिव-पार्वती का मानवीय रूप – शिव-पार्वती ने एक साधारण मनुष्य-पति-पत्नी का रूप लिया और गांव के पास डेरा जमाया। शाम का समय हुआ, भगवान शिव ने माता से कहा, “पार्वती हम अब इंसान हैं, इसलिए भोजन स्वयं बनाना होगा। मैं सामग्री लाने जाता हूं, तुम चूल्हा तैयार करो। माता पार्वती चूल्हा बनाने के लिए बाहर गईं और कुछ जर्जर मकानों की टूटी ईंटों से चूल्हा बना लाईं। जब लौटीं तो देखा, शिवजी बिना सामग्री के लौट आए। उन्होंने आश्चर्य से पूछा “प्रभु – आप तो कुछ लाए ही नहीं, भोजन कैसे बनेगा ?

शिवजी ने बताया जीवन का गूढ़ रहस्य
भगवान शिव मुस्कराए और बोले “पार्वती, अब तुम्हें सामग्री की आवश्यकता नहीं है, लेकिन बताओ,ये ईंटें तुमने कहां से लाई ? माता बोलीं गांव के कुछ जर्जर मकान थे, जिनकी दीवारें पहले से ही खराब थीं, वहीं से ईंटें ले आई। भगवान शिव गंभीर हुए और बोले – पार्वती, तुम्हारे पास ये विकल्प भी था कि तुम किसी सुंदर, सुरक्षित मकान से ईंटें निकालतीं। माता ने विनम्रता से उत्तर दिया प्रभु – वे घर सुंदर और मजबूत थे, उनकी सुंदरता को बिगाड़ना उचित नहीं लगा।
भगवान शिव का उत्तर – कर्म और प्रारब्ध का रहस्य
शिवजी बोले “यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है, जो घर पहले से कमजोर थे, तुमने उन्हीं से ईंटें लीं – क्योंकि वे पहले ही जर्जर थे। वैसे ही, जो लोग जीवन में पहले से ही कमजोर और परेशान हैं, उनके कर्म भी वैसे ही रहे हैं और जो अपने कर्मों से अपने जीवन को सुंदर, मजबूत और सजीव बनाते हैं, वे सुखी रहते हैं। उनका जीवन ऐसा होता है कि कोई दुख की एक ईंट भी नहीं निकाल सकता।
सीख-जीवन में हमेशा अच्छे कर्म और सही रास्ते का चयन करें
यह कथा हमें यह सिखाती है कि – हमारे सुख-दुख का मूल कारण हमारे अपने कर्म होते हैं। दूसरों को दोष देने से बेहतर है, हम अपने कर्मों को सुधारें,अगर हम अपने जीवन की ‘इमारत’ को सही सोच, परिश्रम, ईमानदारी और निःस्वार्थ सेवा से मजबूत बनाएं, तो कोई भी परिस्थिति हमें हिला नहीं सकती। हमेशा सकारात्मक सोचें और सही रास्ते का चयन करें, यही स्थायी सुख और आत्मिक शांति का मार्ग है।

हरितालिका तीज का संदेश
हरितालिका तीज न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि नारी का संकल्प, भक्ति और तप किस तरह ईश्वर को भी झुका सकता है। माता पार्वती की तरह हमें भी जीवन में संयम, धैर्य और आत्मबल के साथ अपने उद्देश्य की ओर बढ़ना चाहिए।
इस प्रेरणादायक प्रसंग के माध्यम से भगवान शिव ने यह स्पष्ट कर दिया कि जीवन में अच्छे कर्म ही सुख का कारण हैं और गलतियों या दुर्भाग्य का दोष दूसरों को देना आत्मवंचना है। अगर हम जीवन में सही मार्ग पर चलें, तो न केवल हमारा जीवन सुंदर होगा, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।
महत्वपूर्ण और अनुकरणीय विचार
- हमेशा अच्छे कर्म करें – वे ही जीवन की नींव होते हैं।
- सही रास्ते का चयन करें – चाहे राह कठिन हो, लेकिन वह स्थायी सुख देती है।
- नकारात्मकता से दूर रहें – नकारात्मक सोच जीवन की दीवारें कमजोर कर देती है।
- दूसरों की सुंदरता न बिगाड़ें – दूसरों के श्रम और सुख का सम्मान करें।