Haritalika Teej 2025 Aarti Lyrics In Hindi: हरतालिका तीज पर माता पार्वती और भगवान शिव की आरती की जाती है। माता पार्वती की आरती “जय पार्वती माता” और भगवान शिव की आरती “ॐ जय शिव ओमकारा” गाई जाती है। इन आरतीयों के साथ, भक्त माता पार्वती और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।
बहुत बार पूजन में इतनी व्यस्तता हो जाती है कि भक्त आरती के अंतरे भूल जाते हैं और इस तरह उसी वक्त आरती पुस्तक खोजनें और उसका पेज निकालने में समय लगता है और पूजा पाठ में व्यवधान उत्पन्न होता है।
इस बात को ध्यान में रखकर यहां एक ही साथ माता पार्वती और भगवान शिव की आरती दी जा रही है ताकि पूजा के समय अपने मोबाइल सेट पर हरितालिका पूजा खोजते ही दोनों आरतियां एक साथ सामने आ जाएं और भक्त आसानी से पूरी आस्था के साथ माता पार्वती जी और भगवान भोलेनाथ की आरती गायन कर सकें जो इस प्रकार हैं।
माता पार्वती की आरती- Haritalika Teej 2025 Aarti Mata Parvati ki Aarati
जय पार्वती माता, मइया – जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता – 2 ..मइया जय पार्वती माता…।
अरि कुल पद्म विनाशिनी, जय सेवक त्राता – मइया 2
जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता …जय पार्वती माता…।
सिंह को वाहन साजे, कुण्डल है साधा- मइया – 2
देव दूत जहं गावत, नृत्य करत तईथा …जय पार्वती माता…।
सत्युग शील सुसुंदर, जग सती कहलाता- मइया – 2
हेमांचल घर जन्मी, मन सखियन संगजता। …जय-जय पार्वती माता…।
शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्याता-मइया -2
सहस भुजा तनु धरिके, चक्र लियो हाता…. जय पार्वती माता…..।
सृष्टि रूप तुही जननी, शिव संग रंगराचा – मइया -2
नंदी भृंगी बीन लह,सारा मदमाता…जय पार्वती माता….।
देवन अरज करत है, भक्तन चित ध्याता – मइया-2
श्री प्रताप आरती को , जो मइया की गाता …..जय पार्वती माता…।
जय पार्वती माता मइया ,जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता मइया जय पार्वती माता…।

शिव जी की आरती – Haritalika Teej 2025 Aarti Shiv Ji Ki Arati
ॐ जय शिव ओंकारा-Om Jai Shiv Omkara Lyrics in Hindi
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
*एकानन चतुरानन, पञ्चानन राजे-2
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे-2
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी-2
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे-2
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी-2
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकरी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका-2
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा-2
भांग धतूरा भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला-2
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ जी,नन्दी ब्रह्मचारी-2
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी की आरति जो कोइभी गावे-2
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥ओम जय शिव ओंकारा-स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥