कुछ पाकर खोना है कुछ खोकर पाना है जीवन का मतलब तो आना ही जाना है
दो पल के जीवन से इक उम्र चुरानी है,
एक प्यार का नग्मा है मौजों की रवानी है जिंदगी और कुछ भी नही तेरी मेरी कहानी है।
Lyricist Santosh Anand Birthday, Biography In Hindi: जिंदगी जीने का सलीका सीखता ये गीत अपने तजुर्बों से लिखा है संतोष आनंद जी ने , वो एक गीतकार हैं, जिन्होंने 1970 के दशक में कमियाबी हासिल की, 1975 और 1983 में दो बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार अर्जित किया । उन्हें 2016 में यश भारती पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। बुलंदशहर के सिकंदराबाद में 5 मार्च 1929 को जन्में संतोष आनंद ने पुस्तकालय का अध्ययन किया अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से।
Santosh Anand Story In Hindi
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1970 में फिल्म पूरब और पश्चिम से की थी । इस फिल्म का साउंडट्रैक कल्याणजी-आनंदजी द्वारा तैयार किया गया था । उन्होंने 1974 की फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के लिए भी गीत दिए , जिसकी संगीत रचना भी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने की थी । ,इसके अलावा इसमें “और नहीं बस और नहीं” “मैं ना भूलूंगा” गीत शामिल थे।
उन्होंने फिल्म क्रांति के लिए गाने लिखे जिनमें जिंदगी की न टूटे लड़ी और चना ज़ोर गरम बाबू मैं लाई मज़ेदार काफी लोकप्रिय हुए,ये फिल्म भी उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म थी। उसी वर्ष, उन्होंने फिल्म प्यासा सावन में “तेरा साथ है तो” और “मेघा रे मेघा रे” जैसे गाने लिखे । 1982 में, उन्होंने फिल्म प्रेम रोग में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत के तहत ही “मोहब्बत है क्या चीज़” गीत लिखा । इस गीत के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार के दूसरे और आखिरी फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने 26 फिल्मों में कुल 109 गाने लिखे हैं।
बता दें कि बुलंदशहर के सिकंदराबाद में 5 मार्च 1929 को जन्मे संतोष आनंद ने फिल्म ‘शोर’ के लिए सबसे यादगार गाना ‘एक प्यार का नगमा है’ लिखा तो वहीं उन्होंने ‘जिंदगी की न टूटे लड़ी’ और ‘मोहब्बत है क्या चीज’ जैसे शानदार गाने भी लिखे।
आज संतोष कम ही हमें कहीं नज़र आते हैं पर जब कभी किसी संगीत के मंच में नज़र आते हैं तो उसी जोश के साथ जिंदगी की कठिनाइयों और मुश्किलों को मात देते हुए लगते हैं और हम सबको जीने का नया हौसला देते हैं।
उनके ज्यादातर गीत लता मंगेशकर द्वारा गाए गए थे । अनुराधा पौडवाल ने भी उनके लिए जुनून (1992) और तहलका (1992) जैसी फिल्मों में गाने गाए। पुरुष गायकों की बात करें तो मुकेश , महेंद्र कपूर और मोहम्मद अज़ीज़ ने उनके लिखे गाने गाए जो बेहद मशहूर भी हुए ।
1974 में, फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के गीत- मैं न भूलूंगा और 1983 में प्रेमरोग फिल्म गीत मुहब्बत हैं, क्या चीज के लिए संतोष आनंद को फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आज के दिन की उन्हे हार्दिक शुभकामनाएं वो ऐसे ही हमारा मार्गदर्शन करते रहें , स्वस्थ रहें।