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सपने में आए हनुमान, हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी तोड़ेंगे 300 साल पुरानी परंपरा,

Hanuman Garhi Rule: अयोध्या (Ayodhya), जो राम भक्ति और आध्यात्मिकता का केंद्र है, एक ऐसी घटना की साक्षी बनने जा रही है जो धार्मिक इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होगी। हनुमानगढ़ी (Hanuman Garhi ) मंदिर के मुख्य पुजारी, महंत प्रेम दास, (Mahant Prem Das) 300 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार मंदिर परिसर से बाहर निकलकर श्री राम मंदिर में रामलला के दर्शन करेंगे। यह ऐतिहासिक क्षण 30 अप्रैल, 2025 को अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर होगा। इस यात्रा को और भव्य बनाने के लिए एक शाही जुलूस की तैयारी की जा रही है, जिसमें हजारों भक्त, साधु-संत, और पशु जैसे हाथी, घोड़े, और ऊंट शामिल होंगे।

हनुमानगढ़ी की प्राचीन परंपरा

हनुमानगढ़ी मंदिर, जिसका इतिहास 10वीं शताब्दी से जुड़ा है, अयोध्या का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर शहर के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित है और इसे राम जन्मभूमि का रक्षक माना जाता है। परंपरा के अनुसार, हनुमानगढ़ी के गद्दी नशीन (मुख्य पुजारी) को अपने जीवनकाल में मंदिर के 52 बीघा परिसर से बाहर कदम नहीं रखना चाहिए। यह नियम इतना सख्त था कि पुजारी को अदालत में पेश होने के लिए भी परिसर छोड़ने की अनुमति नहीं थी। यदि कोई पुजारी इस नियम को तोड़ता, तो उसे गद्दी छोड़नी पड़ती थी। लेकिन महंत प्रेम दास का यह कदम इस प्राचीन परंपरा को एक नया मोड़ देने जा रहा है।

सपने में हनुमान जी का आदेश

महंत प्रेम दास ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से उन्हें स्वप्न में भगवान हनुमान के दर्शन हो रहे हैं। इन स्वप्नों में हनुमान जी उन्हें राम मंदिर में रामलला के दर्शन करने का आदेश दे रहे हैं। इस आध्यात्मिक अनुभव को उन्होंने निर्वाणी अखाड़ा के पंचायत के सामने रखा। 21 अप्रैल, 2025 को हुई एक विशेष बैठक में अखाड़ा के सभी संतों ने सर्वसम्मति से इस यात्रा को मंजूरी दे दी। इस निर्णय को न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, बल्कि यह भक्तों के बीच एकता और आस्था को और मजबूत करने वाला कदम भी है।

शाही जुलूस की भव्य तैयारी

30 अप्रैल को सुबह हनुमानगढ़ी के ‘वीआईपी गेट’ से यह शाही जुलूस शुरू होगा। महंत प्रेम दास हनुमान चिन्ह (हनुमान जी का पवित्र ध्वज) और 56 प्रकार के भोग लेकर राम मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। जुलूस में नागा साधु, साधु-संत, और हजारों भक्त शामिल होंगे। जुलूस की शोभा बढ़ाने के लिए हाथी, घोड़े, और ऊंट भी होंगे। यह जुलूस सरयू नदी के तट पर रुकेगा, जहां महंत प्रेम दास और अन्य साधु स्नान करेंगे। इसके बाद, राम मंदिर के सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए, वे चारपहिया वाहन से मंदिर में प्रवेश करेंगे। इस यात्रा को देखने के लिए अयोध्या में भारी भीड़ जुटने की उम्मीद है।

हनुमानगढ़ी और राम मंदिर का अटूट रिश्ता

हनुमानगढ़ी को अयोध्या का रक्षक माना जाता है। मान्यता है कि हनुमान जी यहां से राम जन्मभूमि की रक्षा करते हैं। यही कारण है कि राम मंदिर में दर्शन से पहले भक्त हनुमानगढ़ी में पूजा करते हैं। हनुमानगढ़ी के पुजारी का राम मंदिर में जाना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दो पवित्र स्थलों के बीच के अटूट रिश्ते को और मजबूत करता है। यह यात्रा राम और हनुमान की भक्ति की एकता का प्रतीक बनने जा रही है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

महंत प्रेम दास की यह यात्रा केवल एक धार्मिक घटना नहीं है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है। यह कदम अयोध्या के धार्मिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा। साथ ही, यह भक्तों के बीच एकता, आस्था, और समर्पण की भावना को और प्रबल करेगा। इस यात्रा को लेकर अयोध्या में उत्साह का माहौल है, और इसे एक ऐतिहासिक उत्सव के रूप में देखा जा रहा है।

इस परंपरा के टूटने के बाद कई लोग यह अनुमान लगा रहे हैं कि भविष्य में अन्य धार्मिक परंपराओं में भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। कुछ संतों का मानना है कि यह कदम आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन का प्रतीक है। वहीं, कुछ लोग इसे राम मंदिर आंदोलन के बाद अयोध्या में बढ़ती धार्मिक एकता के रूप में देख रहे हैं।

महंत प्रेम दास की यह यात्रा न केवल हनुमानगढ़ी और राम मंदिर के बीच के पवित्र रिश्ते को उजागर करती है, बल्कि यह अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाती है। 30 अप्रैल को होने वाला यह शाही जुलूस और रामलला के दर्शन का यह क्षण अयोध्या के इतिहास में एक अविस्मरणीय पल बनने जा रहा है। यह घटना न केवल भक्तों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक गर्व का विषय होगी।

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