First Woman Wrestler, Hamida Banu, Google Doodle: अगर आपसे सवाल किया जाए समय अथवा दौर कैसा होता है तो आप क्या कहेंगे? यक़ीनन इसका जवाब दे पाना बड़ा मस्सक्कद का काम होगा. मगर हम आपसे कहे कि जो निरंतर परिवर्तनशील है वही समय(दौर) है तो? अगर विश्वास नहीं होता तो भूत और वर्तमान में महिलाओं की स्थिति पर जरा नजर डालिए। आप पाएंगे, पितृसत्तात्मक समाज में महिलाएं समय के हर चाल को धोबी पछाड़ देते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहीं और आज भी बढ़ रहीं हैं. हमने ‘धोबी पछाड़’ शब्द का प्रयोग किया है. इस शब्द से तो वाकिफ ही होंगे आप? ये शब्द पहलवानी के दांव-पेंच में प्रयोग में लाया जाता है. अब हम अचानक से पहलवानी या कुश्ती की बात क्यों करने लग गए? वो इसलिए क्यूंकि हाल ही में 4 मई 2024 को गूगल ने भारत की पहली महिला पहलवान हामिदा बानू को याद करने के लिए डूडल(Google Doodle) का सहारा लिया है. पहलवान हामिदा फिर से एक बार सुर्ख़ियों में हैं. ऐसे में आइए जानते हैं पहलवान हामिदा की पूरी कहानी.
पहलवान हमीदा का उदय
Hamida Banu the First Woman Wrestler: 1950 के दशक में भारतीय महिला पहलवान जब अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने की लड़ाई लड़ रही थी, तब एक महिला पहलवान इस जिम्मेदारी का बीड़ा उठा सबके सामने आई और एक घोषणा किया कि जो भी पुरुष पहलवान दंगल में उन्हें मात देगा उससे वो शादी कर लेंगी. महिला पहलवान के इस घोषणा के बाद मानो एक क्रान्ति सी आ गई. इसी महिला पहलवान का नाम था हामिदा बानो।
हामिदा के चुनौती को स्वीकार करते हुए बहुत से पहलवान दंगल में उतरे मगर उन्हें कोई भी पटखनी नहीं दे सका. वो रण में चंडी की भाँती अड़ी रहीं। पहलवान हामिदा को टक्कर देने सबसे पहले पटियाला कुश्ती चैम्पियन आए और उनके बाद कोलकाता के पर दोनों के हाथों ही हार की धुल के शिव और कुछ न लगा. अच्छी-खासी हाइट वाली हामिदा अब भारत की पहली महिला पहलवान बन गई थी. उनके करतबों को देख उनकी तुलना अमेरिका के मशहूर पहलवान अमेजॉन से किया जाने लगा. अब वो भारत की पहली महिला पहलवान के साथ-साथ ‘अलीगढ की अमेजॉन’ का खिताब भी अपने नाम कर चुकी थी.
गामा पहलवान ने लड़ने से किया मना
Wrestler Hamida Banu: हामिदा के आत्मविश्वास और खतरा मोल लेने आदत का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने लाहौर के खतरनाक गामा पहलवान से कुश्ती लड़ने की लिए भी इंकार नहीं किया. हालाँकि, बाद में गामा पहलवान ने यह कह कर उनसे कुश्ती लड़ने से मना कर दिया कि वह एक लड़की हैं और गामा लड़की के साथ कुश्ती नहीं लड़ सकते. फिर साल 1954 के अंत तक पहलवान हामिदा द्वारा यह दावा किया गया कि वो तब तक 320 दंगल जीत चुकी थी.
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यूरोप जाकर कुश्ती लड़ना चाहती थी हामिदा
उसी साल यानी 1954 में उन्होंने रूस के विख्यात पहलवान वेरा चिस्टिलीन को तुरंत मात दे दिया था. जिसके बाद उनके द्वारा एक और घोषणा किया गया कि अब वह भारत से बाहर यूरोप जाकर कुश्ती लड़ेंगी। हामिदा के इस फैसले से उनके कोच बहुत नाराज़ हुए और उनकी खूब पिटाई की. जिससे उनका एक पैर टूट गया. इसके बाद हामिदा अपना दूध का व्यापार कर जीवनयापन करने लगी. कुश्ती से दूर होने के कारण और बीमार हालात में कुछ दिनों बाद उनकी गुमनामी में ही मौत भी हो गई. लेकिन बताया जाता है कि जब वह कुश्ती लड़ रहीं थी उस दौरान उनका डाइट प्लान काफी तगड़ा रहता था.
हामिदा बानो की डाइट
Celebrating Hamida Banu: रिपोर्ट अनुसार, हामिदा प्रतिदिन 6 लीटर दूध, सवा दो लेटर फलों का जूस, 1 किलो मटन, 450 ग्राम मक्क्खन, 6 अंडे और लगभग एक किलो बादाम का सेवन करती थी. उनकी हाइट लगभग 5 फुट 3 इंच थी और उनका वजन लगभग 107 किलो के करीब था. आज के समय में भारत की पहली महिला पहलवान अब बस किस्सों का हिस्सा बन कर रह गई हैं.
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