Halshashthi Puja Vidhi, Harchhath Mata Ki Aarti: हरछठ पूजा, जिसे हलषष्ठी या ललही छठ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में माताओं द्वारा संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान बलराम और षष्ठी माता को समर्पित है, जिन्हें संतानों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं और आरती के माध्यम से देवी का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस लेख में हम हरछठ पूजा की विधि, आरती, मंत्र और महत्व और उसके विस्तार उजागर किया गया है।
हरछठ पूजा का महत्व | Harchhath Pooja Importance
हरछठ पूजा भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत के मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश राज्यों में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान बलराम का जन्म हुआ था, जो हल और मूसल के अस्त्र धारण करते हैं। षष्ठी माता को संतान की रक्षक देवी माना जाता है, जो बच्चों को बीमारियों और संकटों से बचाती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से संतान की आयु बढ़ती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
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हरछठ पूजा की सरल विधि | Harchhath Pooja Vidhi
हरछठ पूजा में निम्नलिखित विधि का पालन किया जाता है । सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लेकर षष्ठी माता और भगवान बलराम की पूजा करें और आरती से पहले मां दुर्गा के मंत्रों से तीन बार पुष्प अर्पित करें। शंख, घड़ियाल, ढोल और नगाड़े बजाकर देवी की जय-जयकार करें।घी या कपूर की बत्ती जला कर जिसमें छ: की संख्या में या छः बातियों वाला एक दीपक जलाकर आरती करें।
हरछठ पूजा की आरती ( संस्कृत में ) | Harchhath Mata Aarti In Sanskrit
जय षष्ठी माते, जय हलषष्ठी माते।
करुणामयि गुणशीले, तिथिशीलेऽभयदे।
कंसभगिन्या पूज्ये, चन्द्रललितसुतदे।
वैदर्भ्याऽपि सुपूज्ये, नष्टपुत्रदात्रे। क्रीडनकेन भवाब्धे, पूज्ये सौख्यवरे।
महिषीदुग्धप्रभाऽऽर्चे, वरदे धर्मधरे। वरुणेनादियुगेऽस्मिन्, हरिश्चद्रकुलदे।
गायन्तीति मनुष्याः, तीरे चाम्बुवरे।
आरती का अर्थ ( हिंदी में ) – हे षष्ठी माता – आप करुणामयी, गुणवान और अभय देने वाली हैं। आप कंस की बहन हैं और चंद्रवंशीय पुत्रों को जन्म देती हैं। आप वैदर्भी (सत्यभामा) द्वारा भी पूजी जाती हैं और जिनके पुत्र खो गए हैं, उन्हें पुत्र प्रदान करती हैं। आप संसार रूपी सागर से सुख और वरदान देती हैं। भैंस के दूध से बने प्रसाद से आपकी पूजा होती है और आप धर्म की रक्षा करती हैं। वरुण देव ने भी आपकी आराधना की थी। मनुष्य आपके जल के किनारे आपकी स्तुति करते हैं और आप सभी को सुख – सम्पति ,धन-धान्य,यश – कीर्ति ,वैभव , और सुन्दर काया प्रदान करने वाली हैं – अतः मुझे भी हलषष्ठी पूजा का शुभफल दीजिए।
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हरछठ पूजा का विशेष प्रसाद – महुआ के पत्तों पर भोजन परोसा जाता है। जिसे सबसे पहले व्रती महिलाएं पारण करती हैं साथ ही भैंस का दही-दूध, व घी की परहर चावल की पूड़ी और मालपुआ का भोग लगाया वितरण किया जाता है। हलषष्ठी पूजा में गाय का दूध-दही और घी निवेदन है जबकि भैंस के दूध,दही,घी व मक्खन का प्रयोग अनिवार्य होता है।
विशेष – हरछठ पूजा एक ऐसा पावन पर्व है, जो माताओं की संतान के प्रति अटूट श्रद्धा को दर्शाता है। इस व्रत को करने से संतान की आयु लंबी होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। यदि आप भी अपने बच्चों की सुरक्षा और खुशहाली चाहती हैं, तो पूर्ण विधि-विधान से हरछठ पूजा का व्रत रखें और षष्ठी माता का आशीर्वाद प्राप्त करें।