Akshay Bam Join BJP: इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम ने जो बम फोड़ा उसमें बारूद कैलाश विजयवर्गीय ने भरी थी, और चिंगारी रमेश मेंदोला ने लगाई। कांग्रेस के इस बम को बीजेपी ने कांग्रेस के ऊपर ही प्रयोग कर दिया। लेकिन ये सब कुछ इतना आसान नहीं था. इसकी पटकथा लम्बे समय से लिखी जा रही थी और कांग्रेस को भनक तक नहीं लगी. आज हम इस वीडियो के माध्यम से आपको बताएंगे अक्षय बम को भगवा पट्टा पहनाए जाने के पीछे की इनसाइड स्टोरी
प्लानिंग कब से शुरू हुई थी?
Loksabha Chunav 2024; कांग्रेस पार्टी ने अक्षय बम को 16 मार्च 2024 को अपना उम्मीदवार डिक्लेयर किया. इसके बाद से ही बीजेपी ने अक्षय बम को अपने पाले में करने की पलानिंग शुरू कर दी थी. ऑपरेशन लोटस के हीरो कैलाश विजयवर्गीय ने दिल्ली मुख्यालय पर यह आईडिया ब्रेक किया। जब केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व ने हरी झंडी दे दी. इसके बाद अक्षय बम से संपर्क किया गया. मिली जानकारी के अनुसार पहली बार में ही अक्षय बम ने हामी भर दी. यानि अक्षय खुद भाजपा में शामिल होना चाहते थे. इसके बाद खजुराहो जाकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात की थी.
संगठन में चर्चा हुई, सभी की सहमति के बाद अक्षय बम से आठ दिन पहले इंदौर के एक नामी होटल के बंद कमरे में रणनीति बनी। बताया जाता है कि इस मीटिंग में अक्षय बम अकेले पहुंचे थे. उन्होंने आशंका जाहिर की, कि यदि टिकट वापस लिया तो कांग्रेस बवाल काट देगी। उन पर हमला भी हो सकता है. इसके बाद विधायक रमेश मेंदोला की एंट्री हुई.
पहले भारतीय जनता पार्टी इंदौर में सूरत जैसा घटनाक्रम रिपीट करना चाहती थी. जिसके लिए विधिवत सबको उसके हिस्से का काम भी बाट दिया गया था. मंत्री विजयवर्गीय ने इंदौर बीजेपी अध्यक्ष गौरव रणदिवे, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और आईडीए के पूर्व अध्यक्ष जय पाल सिंह चावड़ा को जिम्मेदारी दी इन तीनों नेताओं को निर्दलीय प्रत्याशियों को साधने का काम किया गया. लेकिन ये नेता अपने काम को बखूवी नहीं कर पाए. लिहाजा विजयवर्गीय अकेले पड़ गए. हालांकि, उन्होंने अपने दम पर अक्षय बम को साधा और अपने पाले में मिला लिया।
कांग्रेस को 440 वॉट का झटका देने से पहले यानी 28 अप्रैल को दिल्ली में मंथन हुआ. बैठक में कैलाश विजयवर्गीय शामिल हुए. उन्होंने पार्टी के राष्ट्रिय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश को पूरी जानकारी दी. मौजूदा परिस्तिथियों को देखते हुए बैठक में तय हुआ कि बीजेपी सूरत जैसा घटनाक्रम इंदौर में नहीं दोहराएगी। यानी यहां निर्दलीयों को अब अपने अपने पाले में नहीं लाया जाएगा। सिर्फ कांग्रेस प्रत्याशी बीजेपी ज्वाइन करेगा। और ऐसा हुआ भी अक्षय बम ने बीजेपी ज्वाइन कर ली.
अब समझते हैं अधूरे ऑपरेशन लोटस को, कुल मिलाकर इंदौर में ऑपरेशन लोटस अधूरा रहा. पहले बीजेपी ने कोशिश की थी कि सूरत की तरह कांग्रेस का प्रत्याशी हमारे पार्टी में आ ही जाए साथ ही जितने भी निर्दलीय प्रत्याशी हैं वो अपना नामांकन खींच लें. लेकिन यह काम अधूरा रह गया. इंदौर से मैदान- ए- चुनाव में 26 उम्मीदवार थे. 3 के नामांकन निरस्त हो गए. कांग्रेस सहित कुल 9 प्रत्याशी अपना नामांकन वापस ले लिया है. अब 14 कैंडिडेट्स चुनावी रण में है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि निर्दलीयों को साधने का जिम्मा गौरव रणदिवे, पुष्यमित्र भार्गव और जयपाल सिंह चावड़ा के पास था. जिसमें वो पूरी तरह एक्टिव नहीं हुए.
अब जयपाल सिंह चावड़ा की भूमिका समझते हैं. थोड़े पीछे चलें तो जयपाल सिंह चावड़ा की भी भूमिका पता चलती है. अक्षय बम की मुलाकात चावड़ा से भी हुई थी, लेकिन बात नहीं बनी। फिर उसके बाद भोपाल में अक्षय बम की मुलाकात मुख्यमंत्री मोहन यादव से हुई. सीएम की हरी झंडी के बाद फिर विजयवर्गीय ने कमान संभाली। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से फ़ोन पर बात की. पूरी प्लानिंग बनी। रणनीति यह थी की अक्षय बम कांग्रेस को इस बात की भनक तक नहीं लगने देंगे। इसके लिए वो सामान्य कार्य करते रहेंगे मतलब की अपने चुनावी अभियान में रहेंगे। सब कुछ ऐन वक्त पर 29 अप्रैल को होगा। यहां तक की 29 अप्रैल की सुबह भी अपने प्रचार और कांग्रेस नेताओं के साथ मीटिंग करेंगे। तय प्लान के हिसाब से बम ने यह सब किया।
एक खास बात ये भी रही कि कैलाश विजयवर्गीय ने अक्षय बम को समझाइश दी थी कि आपके पिता कट्टर कांग्रेसी हैं तो निर्णय सोच समझ कर लीजिएगा। इसके बाद अक्षय बम ने विजयवर्गीय की मुलाकात अपने पिता से भी करवाई थी.