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Gurugram Restaurants: गुरुग्राम में माउथ फ्रेशनर खाने से लोगों को हुई खून की उल्टियां

Gurugram Restaurants

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Gurugram Restaurants: ड्राई आइस, ऐसा बर्फ जो आम बर्फ से 40 गुना ज्यादा ठंढा होता है. ऐसे में जरा सोचिए कि क्या होगा अगर आप इसे माउथ फ्रेशनर समझ खा लें. कुछ ऐसी ही खबर आ रही है हरियाणा के गुरुग्राम से. जहां, एक रेस्तरां में कुछ लोगों ने ड्राई आइस को चूइंगम समझ कर खा लिया। जिसके बाद उन्हें खून की उल्टियां होने लगी. आननफानन में उन्हें पास के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहाँ इलाज की प्रक्रिया अभी भी जारी है. चिकित्सकों के अनुसार दो लोगों की कंडीशन काफी क्रुशल है. 

Restaurant Mouth Freshener News: रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना La Forestta Cafe रेस्त्रां का है, जिसके खिलाफ अब FIR दर्ज करा दी गई है. पुलिस एक टीम इस मामले की जांच में जुटी हुई है. पर सवाल यह है कि लोगो द्वारा ड्राई आइस खाने से खून की उल्टियां क्यों होने लगी और क्या इससे उनकी जान भी जा सकती है? इन सवालोमन का जवाब जानने से पहले ये जानते हैं कि आखिर ये ड्राई आइस क्या चीज होती है? 

आसान भाषा में ड्राई आइस आम आइस से काफी अलग होती है और ठंढी भी और सबसे जरूरी बात कि इसे पानी को जमा कर नहीं बनाया जाता, इसे रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से बनाया जाता है. अब आपको रासायनिक भाषा में बताए तो ड्राई आइस, कार्बन डाइऑक्साइड का सॉलिड फॉर्म होता है. अधिकांशतः जिसका इस्तेमाल कूलिंग एजेंट के रूप में किया जाता है. पर वर्तमान समय में इसका उपयोग आम जीवन में भी होने लगा है. जैसे मेडिकल और फ़ूड इंडस्ट्री में. चिकित्सकों के सलाह अनुसार यह आइस जितना उपयोगी सिद्ध होता है उतना ही खतरनाक भी है. 

खतरनाक इसलिए क्योंकि यह आम बर्फ से काफी ठंढा होता है. फ्रीज में जमे बर्फ की बाटी करे तो उसका तापमान जहां माइनस 2 से 3 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है तो वहीं, ड्राई आइस का तापमान माइनस 80 तक पहुंच जाता है. सामन्य तापमान के संपर्क में आने पर यह गलने के बजाय सीधा ऊर्ध्वपातित होने लगता है यानी सॉलिड फॉर्म में तुरंत गैसियस फॉर्म में बदल जाता है. ऐसे में युः समझना आसान है कि जिन लोगों ने इसे माउथ फ्रेशनर के तौर पर खाया है उनकी तबियत क्यों इतनी बिगड़ गई है. 

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इसे बाने की क्या प्रक्रिया होती है? 

ड्राई आइस को बनाने के लिए सबसे पहले कार्बन डाइऑक्साइड को 109 डिग्री फेरेनाइट पर ठेंगा किया जाता हैं और फिर उसे कंप्रेस यानी दबा कर उस पर इतना जोर डाला जाता है कि उसके गैस मोलेक्युल्स, सॉलिड में कन्वर्ट हो जाते हैं. जिसके बाद इन्हे शेप देने का काम किया जाता है. 

ड्राई आइस का इस्तेमाल कहाँ होता है? 

फ़ूड इंडस्ट्री से लेकर मेडिकल इंडस्ट्री तक इस ड्राई आइस का इस्तेमाल होता आया है. पर आज के दिनों में इसका प्रयोग और भी कसाहेतरों में होने लगा है. जैसे की फोटशूट, थिएटर, फिल्म मेकिंग, आदि. 

कितना खतरनाक होता है ड्राई आइस? 

ड्राई आइस को लेकर लोगों में सबसे बड़ा मिथ यह होता है की उसके अंदर का कार्बन डाइऑक्साइड लोगो को नुक्सान पहुंचाता है. हालांकि ऐसा नहीं होता। नुक्सान इसका टेम्प्रेचर पहुंचाता है. अत्यधिक ठंढा होने के कारण जब मानव का शरीर इससे सीधे संपर्क में आता है तो कोशिकाएं मरने लग जाती हैं. जिससे की जान जाने का खतरा भी होता है. 

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