गुजराती फलाहारी थालीपीठ रेसिपी : Gujarati Falahari Thalipeeth Recipe A Delicious & Healthy Fasting Delight

Gujarati Falahari Thalipeeth Recipe A Delicious & Healthy Fasting Delight – उपवास या व्रत के दौरान भोजन सीमित हो जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि स्वाद और पोषण से समझौता किया जाए। गुजरात की पारंपरिक रसोई में फलाहारी थालीपीठ एक ऐसा व्यंजन है जो व्रत में भी भरपूर स्वाद, संतुलन और संतुष्टि देता है। यह रेसिपी सिंघाड़े के आटे, साबूदाने और उबले आलू से बनती है जो ऊर्जा, स्वाद और पचने में हल्के होते हैं।

फलाहारी थालीपीठ क्या है-What is Falahari Thalipeeth ?
थालीपीठ मूल रूप से एक पारंपरिक महाराष्ट्रीयन व्यंजन है, जिसे अब गुजरात सहित अन्य राज्यों में भी व्रत अनुकूल रूप में तैयार किया जाता है। “फलाहारी थालीपीठ” उपवास में खाए जाने वाले विशेष आटे जैसे सिंघाड़ा, राजगिरा और साबूदाना के संयोजन से बनाया जाता है। इसे तवा या तंदूर पर सेंककर कम तेल में तैयार किया जाता है।

फलाहारी थालीपीठ बनाने कि सामग्री -Ingredients
(2-3 व्यक्तियों के लिए)सामग्री मात्रा

सिंघाड़ा आटा –1 कप
राजगिरा आटा (वैकल्पिक)- 2 बड़े चम्मच
साबूदाना –1/2 कप (भिगोया हुआ)
उबले आलू –2 मध्यम आकार के, मैश किए हुए
हरी मिर्च –2 बारीक कटी
अदरक –1 चम्मच कद्दूकस
सेंधा नमक स्वादानुसार
ताजा धनिया –2 बड़े चम्मच कटा हुआ
नींबू का रस-1 चम्मच (वैकल्पिक)
घी या मूंगफली का तेल सेंकने के लिए

फलाहारी थालीपीठ बनाने की‌विधि – Recipe-Instructions
साबूदाना को कम से कम 3-4 घंटे भिगो दें और छानकर हल्का-हल्का मैश कर लें ताकि वह थालीपीठ में अच्छी तरह मिल जाए। अब एक बड़ी परात में सिंघाड़ा आटा, मैश किया हुआ आलू, भिगोया साबूदाना, कटी मिर्च, अदरक, धनिया और सेंधा नमक डालें। थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए सख्त आटा गूंथ लें। नींबू रस भी स्वादानुसार मिला सकते हैं फिर केले के पत्ते या प्लास्टिक शीट पर थोड़ा घी लगाकर एक लोई रखें और हाथ से गोल व पतला फैलाएं। बीच में हल्का छेद करें ताकि सेंकते समय भाप निकल सके। गरम तवा पर थालीपीठ को धीरे-धीरे रखकर दोनों तरफ से घी लगाकर धीमी आंच पर सेंकें जब तक वो सुनहरा और कुरकुरा न हो जाए।

इस खास तरीके से परोसें-Serving Suggestionsफलाहारी थालीपीठ को दही, मूंगफली की चटनी या नारियल की चटनी के साथ गरमा गरम परोसें। चाहें तो एक कटोरी हर्बल चाय या साबूदाने की खिचड़ी के साथ थाली बना सकते हैं।

पोषण और स्वास्थ्य लाभ -Nutrition & Health Benefits

  • सिंघाड़ा आटा – पाचन में हल्का, आयरन और कैल्शियम से भरपूर होता है।
  • साबूदाना – ऊर्जा देता है और थकान दूर करता है।
  • उबले आलू – शरीर को ताजगी और संतुलन प्रदान करते हैं।
  • बिना प्याज-लहसुन की चटनी के साथ सेवन करने से यह पूरी तरह सात्विक व्यंजन बनता है।

महत्वपूर्ण टिप्स – Variations & Tips– राजगिरा आटे की जगह कुट्टू आटा इस्तेमाल कर सकते हैं। हरी सब्जियां जैसे गाजर, लौकी को कद्दूकस कर आटे में मिला सकते हैं (अगर व्रत में मान्य हों)। ज्यादा कुरकुरा बनाने के लिए तवा गर्म रखें और धीमी आंच पर सेंकें। यदि उपवास में टमाटर मान्य हो, तो थोड़ी सी चटनी बनाकर साथ रखें।

उपवास में क्यों उपयोगी है – Why is it Ideal for Fasting ?

  • यह व्यंजन ऊर्जा बढ़ाने वाला, हल्का और आसानी से पचने वाला है।
  • सिंघाड़ा और साबूदाना शरीर को ठंडक देते हैं।
  • बिना तेल में तला हुआ और बिना किसी भारी मसाले के यह व्यंजन स्वास्थ्यप्रद है।

पारंपरिकता-आधुनिकता का मेल – A Blend of Tradition & Health
फलाहारी थालीपीठ एक ऐसा व्यंजन है जो न केवल उपवास को स्वादपूर्ण बनाता है, बल्कि यह हमारे पारंपरिक पाक-कौशल की झलक भी देता है। आज जब हम स्वास्थ्य के प्रति सचेत होते जा रहे हैं, यह रेसिपी एक आदर्श उदाहरण है ,कम तेल, बिना तले, हाई फाइबर और ग्लूटन-फ्री।

विशेष – Conclusion – गुजराती फलाहारी थालीपीठ केवल उपवास में खाया जाने वाला भोजन नहीं, बल्कि यह एक संतुलित, पौष्टिक और पारंपरिक व्यंजन है जो हर उम्र के लोगों को पसंद आता है। अगली बार जब भी उपवास हो, तो इस स्वादिष्ट थालीपीठ को जरूर आजमाएं और स्वाद के साथ स्वास्थ्य का भी आनंद लें।

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