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GST On UPI Payment Above 2000! अब यूपीआई में भी लगेगा जीएसटी, फटाफट से जानें

GST On UPI Payment Above 2000 Hindi News

GST On UPI Payment Above 2000 Hindi News

GST On UPI Payment Above 2000 Hindi News | हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा था कि भारत सरकार 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई (Unified Payments Interface) ट्रांजैक्शन पर 18% जीएसटी (Goods and Services Tax) लगाने की योजना बना रही है।

इस खबर ने छोटे व्यापारियों, दैनिक उपभोक्ताओं और डिजिटल भुगतान पर निर्भर लोगों के बीच चिंता पैदा कर दी। हालांकि, वित्त मंत्रालय ने इन दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए स्थिति स्पष्ट कर दी है। आइए, इस मुद्दे की सच्चाई और इसके पीछे के तथ्यों को समझते हैं।

क्या थी अफवाह? | GST On UPI Payment Above 2000

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल थी कि सरकार 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि यह कदम डिजिटल लेनदेन को औपचारिक कर संरचना के दायरे में लाने और जीएसटी संग्रह बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है। इससे छोटे व्यवसायियों, फ्रीलांसरों और मध्यम वर्ग के परिवारों पर अतिरिक्त बोझ पड़ने की आशंका जताई जा रही थी। कुछ लोगों ने इसे डिजिटल भुगतान की बढ़ती लोकप्रियता पर अंकुश लगाने की कोशिश के रूप में भी देखा।

सरकार ने जारी किया ऑफिसियल स्टेटमेंट | GST On UPI Payment Above 2000 Official Statement

18 अप्रैल, 2025 को वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर इन दावों को “पूरी तरह झूठा, भ्रामक और बेबुनियाद” बताया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सरकार के पास 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

मंत्रालय ने यह भी बताया कि जीएसटी केवल कुछ विशिष्ट शुल्कों, जैसे मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR), पर लागू होता है, जो कुछ भुगतान उपकरणों (जैसे क्रेडिट कार्ड) के उपयोग पर लगाया जाता है। हालांकि, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 30 दिसंबर, 2019 की गजट अधिसूचना के माध्यम से जनवरी 2020 से व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) यूपीआई लेनदेन पर MDR को पूरी तरह हटा दिया है। चूंकि यूपीआई लेनदेन पर वर्तमान में कोई MDR नहीं लिया जाता, इसलिए इन पर कोई जीएसटी भी लागू नहीं होता।

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