Indian Railway News: भारतीय रेलवे की शानदार पहल देखने को मिली है. गौरतलब है कि, ट्रेनों की हवा जल्द ही संक्रमण के खतरे से पूरी तरह मुक्त होगी. बता दें कि, सर्दी, गर्मी हो या बारिश, यात्री बेफिक्र यात्रा का आनंद उठा सकेंगे. ऐसा इसलिए कि रेलवे वायरलेस रोबोटिक अल्ट्रावायलेट UV-C कीटाणुशोधन तकनीक की मदद लेगी. इससे ट्रेन के कोच में यदि हानिकारक कीटाणु हैं, तो उनको खत्म किया जा सकेगा.
कई ट्रेनों में सफल परीक्षण के बाद अन्य जगहों को भी निर्देश
यह नई पहल दिल्ली रेल मंडल की कई प्रमुख ट्रेनों में सफल होने के बाद रेलवे बोर्ड ने सभी जोन को इसे अपनाने का निर्देश दिया है. वायरलेस रोबोटिक अल्ट्रावायलेट यूवी-सी कीटाणुशोधन तकनीक का हरियाणा के गुड़गांव की कंपनी मेसर्स ग्रीनस्काइज एविएशन प्रालि ने दिल्ली की कई ट्रेनों में 90 दिनों का ट्रायल किया है.
जीवाणु भार में 99.99℅ की कमी आई है
गौरतलब है कि, इससे जीवाणु भार में 99.99% की कमी आई, दरअसल, त्वरित और सटीक स्वच्छता प्राप्त करने के लिए कीटाणुशोधन रोबोट विकसित किया गया है. रोबोट एक डिजिटल प्रणाली से लैस है. इस रोबोट में एक मोबाइल प्लेटफार्म और एक पराबैंगनी-सी (यूवी-सी कीटाणुशोधन बैटन) शामिल है. अल्ट्रासोनिक सेंसर की एक श्रृंखला का भी इसमें उपयोग हुआ है.
पराबैंगनी किरणों से सूक्ष्मजीव होते निष्क्रिय
यह टेकनिक प्रौद्योगिकी सतहों और हवा में मौजूद सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय करती है. ट्रेन के कोच को संक्रमणमुक्त करने में मददगार है. इस उपकरण से निकली पराबैगनी किरणें 254 नैनोमीटर तरंगदैर्ध्य पर बैक्टीरिया, वायरस के DNA-RNA को नुकसान पहुंचाती हैं, इससे लक्षित स्थान संक्रमणमुक्त हो जाता है.
इस तकनीक से ट्रेन के तापमान, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग को एकीकृत किया जा सकता है, नतीजतन प्रसारित हवा को लगातार स्वच्छ कर रोगजनक कीटाणुओं के वायुजनित संचरण को कम करने में मदद मिलती है. यह शुष्क रसायनरहित प्रक्रिया है, इससे कोई हानिकारक अवशेष भी नहीं निकलता.
यह है बोर्ड का आदेश
बोर्ड के पर्यावरण एवं हाउसकीपिंग मैनेजमेंट के निदेशक अजय झा ने सभी प्रधान मुख्य अभियांत्रिकी अभियंताओं को पत्र भेजा है, कहा है कि क्षेत्रीय रेलवे को सलाह दी जाती है कि वे RDSO (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन) के साथ परामर्श करें.
विशेषज्ञों की राय
कोच कीटाणुशोधन के लिए UV-C प्रौद्योगिकी को अपनाना अच्छा कदम है. आधुनिक RO में भी अल्ट्रावायलेट तकनीक होती है, जो पानी में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और अन्य सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय करती है. अल्ट्रावायलेट तकनीक सूक्ष्मजीवों का प्रभाव कम करने में सहायक हैं. हवा में सूक्ष्मजीवों की गतिशीलता कम होने से संक्रमण की संभावना कम होगी.

