गोविंद देव गिरि ने कहा कि मैं मुस्लिमों से हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि हिंदुओं को सौंप देना चाहिए। ये आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए थे. विदेशी हमलों में 3500 हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया था. हमारे ऊपर ये सबसे बड़े दाग हैं. लोगों में दुःख है. अगर वे इस दुःख को भाई चारे के साथ खत्म कर देते हैं तो भाईचारा बढ़ाने में मदद मिलेगी।
Govind Dev Giri’s statement on Mathura and Kashi: अयोध्या श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविन्द गिरि महाराज ने कहा है कि अयोध्या के बाद यदि ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि मंदिर हमें मुस्लिम भाईचारे से दे दें तो हम अन्य मंदिरों की ओर नहीं देखेंगे। देश का भविष्य होना चाहिए अतीत नहीं। हमें भविष्य में रहना है, अतीत में नहीं।
ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि हिंदुओं को सौंप देना चाहिए
Govind Dev Giri’s statement on Mathura and Kashi: गोविंद देव गिरि ने कहा कि मैं मुस्लिमों से हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि हिंदुओं को सौंप देना चाहिए। ये आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए थे. विदेशी हमलों में 3500 हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया था. हमारे ऊपर ये सबसे बड़े दाग हैं. लोगों में दुःख है. अगर वे इस दुःख को भाई चारे के साथ खत्म कर देते हैं तो भाईचारा बढ़ाने में मदद मिलेगी।
पुणे के आलंदी में उन्होंने कहा कि हमारे राम मंदिर का शांतिपूर्ण समाधान ढूंढ लिया। अब क्योंकि ऐसा युग शुरू हो गया है, तो हमें उम्मीद है कि अन्य मुद्दे भी शांतिपूर्ण तरीके से हल हो जाएंगे। मुस्लिम समुदाय के लोग शेष दो मंदिरों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए तैयार हैं लेकिन कुछ लोग इसका विरोध करते हैं.
75वें जन्मदिन पर पुणे पहुंचे गोविंद देव गिरि
पुणे में गोविंद देव गिरि के 75वें जन्मदिन समारोह के अवसर पर 4 से 11 फरवरी के बीच होने वाले विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन में पहुंचे। इन कार्यक्रमों में आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत और श्री श्री रविशंकर सहित अन्य लोग शामिल होंगे।
ज्ञानवापी में दो दिन में ढाई लाख लोग पहुंचे
अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में पीएम मोदी ने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की थी. इसके बाद वाराणसी की एक अदालत ने 31 जनवरी को ज्ञानवापी मस्जिद के सीलबंद तहखाने के अंदर पूजा करने की अनुमति दे दी थी. दो दिन में ही ढाई लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.
हालांकि कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने पूजा पर फ़ौरन रोक के लिए इलाहबाद हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन याचिका ख़ारिज कर दी गई. मामले की अगली सुनवाई 6 फ़रवरी को हाईकोर्ट में होगी। तब तक कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच व्यासजी के तहखाने में पूजा हो रही है.