ज्ञानवापी पर वाराणसी कोर्ट ने सुनाया फैसला!

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Gyanvapi case: ASI ने रिपोर्ट में लिखा कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर था. 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था, उसी समय ज्ञानवापी का स्ट्रक्चर तोड़ा गया था. कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया था. मूलरूप को प्लास्टर और चूने से छिपा दिया गया. 839 पेज की रिपोर्ट में ASI ने परिसर के प्रमुख स्थानों का जिक्र किया है.

ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में व्यास परिवार को पूजा का अधिकार मिल गया है. साल 1993 से तहखाने में पूजा-पाठ बंद था. 31 जनवरी को वाराणसी कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि 7 दिन के अंदर व्यास परिवार पूजा-पाठ कर सकता है. डीएम के निर्देश पर पुजारी की नियुक्ति की जाएगी। इससे पहले जिला जज ने व्यास तहखाना खोलने का आदेश जारी किया था. इसके बाद 17 जनवरी को व्यास जी के तहखाने को जिला प्रशासन ने कब्जे में ले लिया था. डीएम ने तहखाने की चाभी अपने पास रखी थी.

ASI की रिपोर्ट में क्या-क्या मिला?

What was found in Gyanvapi: ASI ने रिपोर्ट में लिखा कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर था. 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था, उसी समय ज्ञानवापी का स्ट्रक्चर तोड़ा गया था. कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया था. मूलरूप को प्लास्टर और चूने से छिपा दिया गया. 839 पेज की रिपोर्ट में ASI ने परिसर के प्रमुख स्थानों का जिक्र किया है.

सारे पिलर पहले मंदिर के थे

ज्ञानवापी की दीवारों, शिलापटों पर चार भाषाओं का जिक्र किया गया है. इसमें देवनागरी, कन्नड़, तेलुगु और ग्रंथ भाषाएं हैं. इसके अलावा, भगवान शिव के तीन नाम भी मिले हैं. यह नाम हैं जनार्दन, रूद्र और ओमेश्वर। मंदिर के सारे पिलर पहले मंदिर के थे, जिन्हें मॉडिफाई कर दोबारा इस्तेमाल किया गया.

गुंबद के अंदरूनी हिस्से को ज्यामितीय डिज़ाइन से सजाया है

परिसर के मौजूदा स्ट्रक्चर में सजाए गए मेहराबों के निचले सिरों पर उकेरी गई जानवरों की आकृतियां विकृत कर दी गई हैं. गुंबद के अंदरूनी हिस्से को ज्यामितीय डिजाइन से सजाया है. मंदिर के केंद्रीय कक्ष का मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम से था. इस द्वार को जानवरों और पक्षियों की नक्काशी और एक सजावटी तोरण से सजाया था.

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