बिहार के गया में उस वक्त हड़कंप मच गया जब मालगाड़ी के 8 डब्बे पटरी से उतर गए। हालांकि इस बात की गनीमत रही कि हादसे में किसी भी तरह के जान माल का नुकसान नहीं हुआ। जानकारी के मुताबिक यह घटना गया के रसूलपुर के पास हुई। पूर्व मध्य रेलवे की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) सरस्वती चंद्रा ने बताया कि इस घटना के बाद कई अधिकारी वहां पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।
रेल अधिकारियों ने बताया कि मामले की जांच चल रही है। घटना के बाद ट्रेन की आवाजाही प्रभावित नहीं हुई है। मामले में जांच के आदेश दे दिए गए है।
पिछले 3 साल में 131 रेल हादसे हुए
एक RTI में रेलवे ने बताया कि 7 जुलाई 2021 से 17 जून 2024 तक देश में 131 दुर्घटनाएं हुई है। इनमें से 92 ट्रेन डिरेल की घटना है। आपको बता दे कि इन दुर्घटनाओं में 64 पैसेंजर ट्रेन और 28 मालगाड़ी शामिल हैं, पिछले तीन सालों में हर महीने 2 पैसेंजर ट्रेन और 1 मालगाड़ी डिरेल हुई है.
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रेल कवच के लिए 1100 करोड़ रुपए आबंटित
भारतीय रेल ने अबकी बार रेल कवच के लिए करीब 1100 करोड़ रूपए आवंटित किए। रेलवे का दावा है कि सभी रुट पर रेल कवच के लिए जरूरत 45 हजार करोड़ से ज्यादा की है। इस बात पर विपक्ष का आरोप है कि इस हिसाब से हर रुट पर ट्रेन को टक्कर से बचाने के लिए सिस्टम लगाने में दशक लग जायेंगे।
कैसे काम करता है कवच
‘कवच’ को रेलवे (Indian Railways) द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। ‘शून्य दुर्घटना’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली का निर्माण किया गया। एटीपी को कवच नाम दिया गया है। कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को ऑटोमेटिक रूप से रोक देगी, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी। इस डिजिटल प्रणाली के कारण मानवी त्रुटियों जैसे कि लाल सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन अपने आप रुक जाएगी।