Indore-Ujjain Metro Project: यह कंपनी पहले मुंबई मेट्रो, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और तुगलकाबाद जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में अपनी विशेषज्ञता दिखा चुकी है। इस सर्वे के तहत मिट्टी की गुणवत्ता और जमीन की मजबूती का परीक्षण किया जाएगा, जो मेट्रो की पटरियों और पिलरों के निर्माण के लिए जरूरी है।
Indore-Ujjain Metro Project: इंदौर-उज्जैन मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए भू-तकनीकी सर्वे का काम जयपुर की कंपनी सीईजी टेस्ट हाउस एंड रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है। यह कंपनी पहले मुंबई मेट्रो, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और तुगलकाबाद जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में अपनी विशेषज्ञता दिखा चुकी है। इस सर्वे के तहत मिट्टी की गुणवत्ता और जमीन की मजबूती का परीक्षण किया जाएगा, जो मेट्रो की पटरियों और पिलरों के निर्माण के लिए जरूरी है। कंपनी विभिन्न स्थानों पर खुदाई कर मिट्टी की जांच करेगी और तकनीकी रिपोर्ट तैयार कर मेट्रो कॉर्पोरेशन को सौंपेगी।
एलिवेटेड और अंडरग्राउंड रूट का मिश्रण
मेट्रो कॉर्पोरेशन के अनुसार, इंदौर-उज्जैन मेट्रो का ज्यादातर हिस्सा एलिवेटेड होगा, जिसमें सड़क के बीच डिवाइडर पर पिलर बनाए जाएंगे। वहीं, उज्जैन के नानाखेड़ा से रेलवे स्टेशन तक का हिस्सा अंडरग्राउंड होगा। डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार होने के बाद यह स्पष्ट होगा कि रूट का कितना हिस्सा जमीन के ऊपर और कितना नीचे होगा। 10 हजार करोड़ की अनुमानित लागत, डीपीआर जुलाई-अगस्त तक
डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) को दी गई है, जो जुलाई-अगस्त 2025 तक पूरी हो जाएगी। इस रिपोर्ट में मेट्रो रूट का नक्शा, स्टेशन, डिपो, पार्किंग, फंडिंग और लागत जैसे सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा। मीडिया के अनुसार, इस परियोजना पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
47 किमी लंबा रूट, 8 स्टेशन प्रस्तावित
प्रस्तावित मेट्रो रूट लगभग 47 किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें 8 स्टेशन बनाए जाएंगे। पहला स्टेशन इंदौर के लवकुश चौराहा क्षेत्र में और अंतिम स्टेशन उज्जैन के महाकाल लोक क्षेत्र में होगा। रूट का लगभग 70% हिस्सा सड़क की सेंट्रल लाइन पर बनाया जाएगा ताकि यातायात प्रभावित न हो।
इंदौर मेट्रो में भूमि अधिग्रहण की चुनौतियां
इंदौर में चल रही मेट्रो परियोजना के अंडरग्राउंड हिस्से का काम धीमा चल रहा है। भूमि अधिग्रहण में आ रही समस्याओं के कारण प्रगति प्रभावित हुई है, और हाई कोर्ट ने सरकार से इस मुद्दे पर जवाब भी मांगा है। इसके अलावा, मेट्रो स्टेशनों के पास पार्किंग सुविधा के लिए प्रशासन से जमीन की मांग की जा रही है ताकि यात्रियों को बेहतर सुविधा मिल सके।