Generation Z Nepal: सुशीला कार्की-पूर्व छात्रा BHU बन सकती हैं नेपाल की PM,Gen-Z सपोर्ट में-नेपाल की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आने वाला है। देश में युवाओं के ताकतवर ‘जनरेशन जेड’ आंदोलन ने जिस नेता को अपना समर्थन दिया है, वह भारत के प्रतिष्ठित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से शिक्षित और नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। सुशीला कार्की का नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। यह नियुक्ति न सिर्फ नेपाल में बदलाव का संकेत दे रही है बल्कि इससे भारत-नेपाल संबंधों पर भी गहरे प्रभाव की उम्मीद है। हालाकि, उनके सार्वजनिक जीवन की उपलब्धियों के साथ एक विवाद भी जुड़ा है जो एक बार फिर समाचारों के गर्म बाजार में चर्चा का विषय बना हुआ है और वो है उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी का 1973 में एक विमान अपहरण का मामला, जिसके लिए उन्हें भारत में आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया था। यह कहानी है एक ऐसी दृढ़निश्चयी महिला की है जो न्यायपालिका की शीर्ष पर पहुंची और अब राजनीति के सबसे ऊंचे पद तक पहुंचने की संभावनाओं के शीर्ष पर हैं।
जनरेशन ज़ेड का मिला सपोर्ट – नेपाल की मौजूदा परिस्थितियां इन दिनों ऐतिहासिक राजनीतिक परिवर्तन की साक्षी बन रही हैं। देश में सत्ता परिवर्तन की लहर चलाने वाले युवा आंदोलनकारियों ने जिस शख्सियत पर भरोसा जताया है, वह कोई नया चेहरा नहीं, बल्कि न्यायपालिका में अपनी अमिट छाप छोड़ चुकी एक दिग्गज व्यक्तित्व हैं-सुशीला कार्की। भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका नेपाल की अगली अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चयन ‘लगभग तय’ ही माना जा रहा है। यह नियुक्ति न सिर्फ नेपाल के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
BHU की भूतपूर्व छात्रा, यानी भारत से रिश्तेदारी – सुशीला कार्की का भारत, विशेष रूप से वाराणसी, से गहरा संबंध रहा है क्योंकि उन्होंने वर्ष 1973-74 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर (मास्टर्स) की डिग्री हासिल की। BHU, जो भारत के शैक्षणिक इतिहास का एक प्रमुख केंद्र रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि बीएचयू ने सुशीला कार्की के व्यक्तित्व और विचारों को ढालने में अहम भूमिका निभाई है। यह शैक्षणिक पृष्ठभूमि भविष्य में भारत-नेपाल संबंधों के लिए एक सकारात्मक आधार प्रदान कर सकती है।

न्यायपालिका में एक ऐतिहासिक सफर – सोशल मीडिया पर चल रहे समाचारों के अनुसार भारत में शिक्षा पूरी करने के बाद, सुशीला कार्की ने नेपाल की न्यायिक सेवा में अपना करियर शुरू किया। उनका सफर नेपाल के इतिहास में दर्ज हो गया जब वह देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं,उन्होंने महिलाओं को लेकर तानी गई न केवल एक कांच की छत को तोड़ा बल्कि अपनी सख्त और निष्पक्ष छवि से न्यायपालिका में एक नया मानक स्थापित किया। उनकी छवि भ्रष्टाचार के प्रति सहनशीलता न रखने वाली न्यायाधीश के रूप में रही है। हालांकि, उनका कार्यकाल विवादों से अछूता नहीं रहा। 2017 में, उन पर कार्यपालिका में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया, जिसके बाद संसद में उनके खिलाफ महाभियोग चलाया गया और उन्हें पद से निलंबित कर दिया गया। यह घटना नेपाल की राजनैतिक-न्यायिक जटिलताओं को उजागर करती है लेकिन इसने सुशीला कार्की की दृढ़ता को भी रेखांकित किया।
विवादों से घिरे रहे पति लेकिन अपने दामन को रखा पाक-साफ़ – सुशीला कार्की के निजी जीवन का एक पहलू अक्सर सुर्खियों में रहा है – उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी का राजनीतिक और विवादित इतिहास। श्री सुबेदी नेपाली कांग्रेस पार्टी के युवा विंग के एक सक्रिय नेता रहे हैं। सबसे बड़ा विवाद 10 जून, 1973 का है, जब दुर्गा प्रसाद सुबेदी और उनके सहयोगियों ने नेपाल के एक विमान का अपहरण (हाईजैक) कर लिया। इस विमान में 22 यात्री सवार थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपहरणकर्ताओं ने 32 लाख रुपये की नकदी से भरा एक बैग भी विमान में रखा, जिसे बाद में तत्कालीन विपक्षी नेता गिरिजा प्रसाद कोइराला को सौंपा गया। इस कार्रवाई का उद्देश्य तत्कालीन राजा महेंद्र की सरकार को उखाड़ फेंकना बताया गया था और इस घटना के बाद, अपहरणकर्ता वाराणसी भाग गए। जबकि बाद में, भारत में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल (इमरजेंसी) के दौरान, दुर्गा प्रसाद सुबेदी को वाराणसी के नगवां इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया। यह ऐतिहासिक तथ्य कार्की के व्यक्तिगत जीवन की जटिलताओं में भी खूब को काब़िज रखने की महारत और जीवटता का गवाह है।
जनरेशन जेड आंदोलन और कार्की का उदय – हाल के महीनों में, नेपाल में ‘जनरेशन जेड’ (Gen-Z) के नेतृत्व में एक शक्तिशाली जन आंदोलन उभरा है। यह युवा आंदोलन देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, अक्षम शासन और स्थापित राजनीतिक दलों के प्रति असंतोष के विरोध में खड़ा हुआ है। इस आंदोलन ने एक ऐसे अंतरिम नेतृत्व की मांग की, जो निष्पक्ष हो और जिसकी साख निर्विवाद हो,ऐसे में सुशीला कार्की का नाम सबसे विश्वसनीय विकल्प के तौर पर उभरा है। उनकी न्यायिक पृष्ठभूमि, भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख और गैर-राजनीतिक छवि ने युवाओं का भरोसा जीता और यही वजह है कि उन्हें जेन-ज़ेड का सपोर्ट मिला। BHU से उनका शिक्षित होना भी भारत-नेपाल संबंधों के प्रति एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है जिसके चलते कयास लगाए जा रहे हैं कि उनका नेतृत्व न केवल नेपाल बल्कि भारत-नेपाल के रिश्तों में भी नए बदलाव ला सकता है।

प्राथमिकताएं और चुनौतियां – मीडिया से बातचीत में, सुशीला कार्की ने खुद को इस ‘चुनौतीपूर्ण भूमिका’ के लिए तैयार बताया है साथ ही उन्होंने अपनी तात्कालिक प्राथमिकताएं स्पष्ट की हैं।
शहीदों के परिवारों को सम्मान और सहायता-आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजा और सम्मान देना उनकी सबसे पहली प्राथमिकता होगी।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली-एक स्थिर और पारदर्शी वातावरण बनाना ताकि नए चुनाव कराए जा सकें।
युवाओं की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व – उनकी सरकार का मुख्य एजेंडा उन युवाओं की उम्मीदों और मांगों को पूरा करना होगा, जिन्होंने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। हालाकि, उनके सामने कई चुनौतियां होंगी – एक विभाजित राजनीतिक लैंडस्केप को संभालना, अर्थव्यवस्था को सुधारना और एक ऐसी व्यवस्था की नींव रखना जो भ्रष्टाचार से पूर्ण रूपेण मुक्त हो।
विशेष-सुशीला कार्की का नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनना केवल एक सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि एक प्रतीकात्मक क्रांति है। यह एक ऐसी व्यवस्था के खिलाफ युवा आकांक्षाओं की जीत है, जिस पर भ्रष्टाचार और स्थिरता का आरोप लगता रहा है। एक महिला का देश के सर्वोच्च स्पथान पर पहुंचना नेपाल के लैंगिक समानता के सफर में एक मील का पत्थर साबित होगा, भले ही उनके पति का अतीत विवादों से घिरा रहा हो, लेकिन कार्की ने अपने करियर में हमेशा निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखा है। BHU जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से शिक्षा ने उन्हें एक वैश्विक नजरिया दिया है। यदि वह सफलतापूर्वक देश को नए चुनावों तक ले जाती हैं, तो न केवल नेपाल, बल्कि पूरा दक्षिण एशिया एक नए प्रजातांत्रिक मॉडल की ओर देखेगा, जहां युवा शक्ति और इंस्टीट्यूशनल इंटेग्रिटी सत्ता का आधार बनेगी,उनका नेतृत्व नेपाल के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में जाना जा सकता है बशर्ते कि वह दिन आने के बाद कि अंततः ऊंट किस पाले बैठा।