Gastrointestinal Disease : पाचन में आ रही समस्या तो हो सकता है पेट फ्लू

Gastrointestinal Disease : शरीर में ऊर्जा का संचार पाचन तंत्र के दुरुस्त होने पर सुचारु रूप से होता है। ऐसे में अगर आपके पाचन में समस्या आ रही है तो इसे हल्के में ना लें। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। हर साल 60 से 70 मिलियन लोग पाचन रोग से ग्रसित रहते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाचन क्रिया खराब होने का संकेत जठरांत्रिय बीमारियाँ हैं। इस लेख में आप जानेंगे कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल या पाचन संबंधी बीमारियाँ क्या होती हैं और कैसे पहचाना जा सकता है।

जठरांत्रिय बीमारियाँ क्या हैं? (Gastrointestinal Disease)

जठरांत्रिय बीमारियाँ (Gastrointestinal Disease) पाचन संबंधी बीमारियों को कहते हैं। ये पाचन तंत्र खराब होने पर सक्रिय होती हैं। सामान्य भाषा में इसे ‘पेट फ्लू’ भी कहा जाता है। कुछ चिकित्सक इसे पेट में कीड़े पड़ना बताते हैं। ये आंतें, गला और पेट को संक्रमित करती हैं। जठरांत्रिय बीमारियाँ (GI) अलग-अलग प्रकार की हो सकती हैं। इनमें वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस, फूड पॉइज़निंग और कब्ज की समस्या शामिल है।

जठरांत्रिय बीमारियों के लक्षण

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) बीमारियों के लक्षण सामान्य होते हैं। इसे पहचानना आसान होता है। यह पेट की समस्या से जुड़ी बीमारियां हैं। इसमें मतली आना, दस्त होना, मल त्यागने में परेशानी होना और बुखार जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इसके साथ ही कई बार इसके लक्षणों में मल में खून आना, दैनिक शारीरिक आदतों में बदलाव होना, मल का सिकुड़ना, पेट में दर्द, लगातार वजन कम होना शामिल है।

जठरांत्रिय बीमारियों के प्रकार (Gastrointestinal Disease)

पेट के पाचन तंत्र से जुड़ी जठरांत्रिय बीमारियां कई प्रकार की हो सकती हैं। इनमें वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस (पेट फ्लू), खाद्य विषाक्तता, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण, कब्ज, मॉर्निंग सिकनेस शामिल हैं। इनके लक्षण भी भिन्न-भिन्न होते हैं।

वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस (पेट फ्लू)

पाचन संबंधित बीमारी वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस को पेट फ्लू के नाम से जाना जाता है। हालांकि यह फ्लू नहीं होता है। लोग केवल इसे फ्लू से जोड़कर देखते हैं। फ्लू श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। जबकि वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस आंतों को संक्रमित करने वाला रोग है। यह दूषित भोजन और पानी के सेवन से फैलता है। आमतौर पर एक दूसरे के संपर्क में आने से यह रोग कई व्यक्तियों को जाता है। उल्टी करना, पतले दस्त होना, ऐंठन होना, हल्का बुखार आना और जी मिचलाना इसके मुख्य लक्षण हैं।

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खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning)

खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning) भी जठरांत्रिय बीमारियों का एक प्रकार है। गर्मियों के मौसम में यह ज्यादातर लोगों में पाया जाता है। यह भोजन के अपच और सड़न से होती है। दूषित भोजन खाने के 8 से 12 घंटे के बीच में ही इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसकी शुरुआत पेट की ऐंठन के साथ होती है। बाद में जी मिचलाना, उल्टी आना, दस्त बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। वक्त पर अगर इलाज न किया जाए तो यह दो से एक हफ्ते तक रह सकता है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण ( Gastrointestinal Infection)

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण पेट में भोजन के साथ बैक्टीरिया और परजीवियों के प्रवेश की वजह से होता है। ये विषैले कीटाणु पेट के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मार्ग में बस जाते हैं। इसमें भी दस्त, पेट की परेशानी, उल्टी करना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई बार इसमें सोने में कठिनाई, बेचैनी और खुजली जैसे लक्षण भी अनुभव किए गए हैं।

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कब्ज़ (Constipation)

कब्ज एक सामान्य समस्या है। मगर गंभीर लक्षणों के कारण इसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों में शामिल किया गया है। यह अधिक डेयरी उत्पाद या चिकनने पदार्थ खाने से होता है। इस दौरान शरीर में फाइबर और पानी की अधिक कमी हो जाती है। इसके लक्षणों में मल त्यागने में समस्या होती है और आंतों में सूजन हो जाती है।

जठरांत्र संबंधी बीमारियों का इलाज

जठरांत्र संबंधी बीमारियों (Gastrointestinal Disease) के लक्षण दिखाई देने पर रोगी को गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट के पास इलाज के लिए जाने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही रोगी को ज्यादातर आराम करना चाहिए और तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए। इस दौरान रोगी को BRAT आहार का पालन करना चाहिए। इसमें केला, चावल, सेब की चटनी और टोस्ट आदि शामिल हैं। इसमें खासकर ऐसे पदार्थ लिए जाते हैं जिन्हें पचाना आसान होता है। ऐसे रोगियों को चिकने पदार्थ खाने से बचना चाहिए।

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