Site icon SHABD SANCHI

Ganesh Visarjan 2025 : तिथि- शुभ मुहूर्त, महत्व और परंपराएं,घर पर करें इकोफ्रेंडली विसर्जन

Ganesh Visarjan 2025 – गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे भारत में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दस दिनों तक भक्त अपने घरों और पंडालों में गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित करके पूजन-अर्चना करते हैं। इस महोत्सव का समापन, पूरे ग्यारह दिनों बाद,गणेश विसर्जन के दिन होता है और इसी दिन विघ्नहर्ता गणेश को विदाई दी जाती है। विसर्जन का यह अनुष्ठान भक्तों के लिए भावनाओं और परंपराओं से भरा होता है।

गणेश विसर्जन 2025 की तिथि
तारीख – 7 सितम्बर 2025 (रविवार)
अमावस्या तिथि प्रारंभ – सुबह 06:29 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – रात 08:08 बजे
विसर्जन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त – प्रातः 06:29 बजे से दोपहर 02:00 बजे तक स्थानीय पंडित-पुरोहितों द्वारा शुभ व अखंड मंगल दाई बताया गया है।

गणेश विसर्जन करने की विधि – सबसे पहले भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें,फूल, अक्षत, दूर्वा, प्रसाद और दीप अर्पित करें। नारियल व मिठाई अर्पण कर “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” का जयघोष करें।विसर्जन से पहले आरती करके परिवार के सभी सदस्य गणेश जी से आशीर्वाद दिलवाएं। मूर्ति को स्वच्छ जल (तालाब/नदी/कुंड/कृत्रिम टैंक) में श्रद्धा से विसर्जित करें। यदि घर पर विराजमान गणपति बप्पा की प्रतिमा मिट्टी की है और छोटी मूर्ति है तो उसे घर पर ही गमले या गार्डन में कृत्रिम कुंड बनाएं और घर पर ही विसर्जित करना उत्तम होगा क्योंकि यह श्रद्धा-आस्था से पूर्ण पर्यावरण के लिए भी उपयोगी तरीका है।

विसर्जन की परंपरा और विधि – विसर्जन के दिन भक्त प्रातःकाल उपवास रखें ,यदि पूर्ण उपवास संभव न हो तो फलाहार किया जा सकता है। गणपति की प्रतिमा का विधिवत पूजन कर नारियल, दूब और शमी पत्र अर्पित करें, प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाते समय घर में अक्षत बिखेरने की परंपरा है,उसे निभाएं। विसर्जन नंगे पैर करना शुभ माना जाता है इसलिए विसर्जन को जाते समय पेअर में जूते-चप्पल न पहनें,इसे जरूर करें। पर्यावरण की दृष्टि से मिट्टी की प्रतिमा का उपयोग सर्वोत्तम है। प्लास्टर ऑफ पेरिस या प्लास्टिक की मूर्तियों से बचना चाहिए। विसर्जन के बाद गणपति से सुख-समृद्धि और मंगलमय जीवन की प्रार्थना की जाती है।

विसर्जन के समय विशेष उपाय – विसर्जन के अवसर पर एक विशेष पूजा-विधि भी की जाती है। भोजपत्र या पीले कागज पर सबसे ऊपर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। इसके नीचे “ॐ गं गणपतये नमः” लिखकर अपनी सभी समस्याएं स्पष्ट रूप से लिखें। अंत में अपना नाम और पुनः एक स्वस्तिक बनाएं। इस कागज को मोड़कर रक्षा सूत्र से बांध लें और गणपति जी को समर्पित कर प्रतिमा के साथ विसर्जित करें। विश्वास है कि ऐसा करने से जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।

अनंत चतुर्दशी का महत्व – गणेश विसर्जन का दिन ही अनंत चतुर्दशी का भी पर्व होता है है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर मोक्ष और अनंत फल की प्राप्ति की कामना की जाती है। भक्त इस दिन अनंत व्रत रखते हैं और बिना नमक का भोजन करते हैं। व्रत के पारण के समय मीठे व्यंजन जैसे सेवईं या खीर का सेवन किया जाता है। पूजा के बाद सूत या रेशम का धागा, जिस पर 14 गांठें लगाई जाती हैं, कलाई पर बांधा जाता है। इसे “अनंत सूत्र” कहा जाता है, जो भगवान विष्णु के 14 लोकों का प्रतीक माना जाता है।

विशेष – गणेश विसर्जन केवल भगवान गणेश को विदा करने का अनुष्ठान ही नहीं है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आस्था और नई शुरुआत का प्रतीक है। भक्त गणपति बप्पा को नम आंखों से विदाई देकर अगले वर्ष उनके पुनः आगमन की कामना करते हैं और उन्हें पुनः पधारने का निमंत्रण देते हुए जलदी आने का आग्रह करते हैं….कि “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ”

Exit mobile version