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Ganesh Chaturthi celebration 2025 Magaj Recipe – गणपति बप्पा को खुश करने लगाइए मगज़ का भोग

Ganesh Chaturthi celebration 2025 Magaj Recipe – गणपति बप्पा को खुश करने लगाइए मगज़ का भोग – गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक अत्यंत प्रिय और महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान गणेश,सिद्धिदाता, बाधा-हरता, बुद्धि-प्रदायक की विधिपूर्वक स्थापना एवं आराधना का उत्सव है। यह पर्व भाद्रपद की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, और इस साल इसका दूसरा दिन गुरुवार, 28 अगस्त को पड़ रहा है। गुरुवार को व्रत, पूजा, और ज्ञान की दिन चर्या में लगने वाले विशेष अन्नों का आशीर्वाद माना जाता है। इसी पावन दिन पर, प्रभु गणेश को बेसन के मगज़ (सूखे मेवा‑मिश्रित बेसन) का भोग चढ़ाना समारोह को एक विशेष आध्यात्मिक और स्वाद‑मिश्रित आनंद प्रदान करता है। विशेष यह कि गुरूवार के दिन को गुरु अर्थात् बृहस्पति का दिन माना जाता है। बृहस्पति देव ज्ञानी, धर्म शिक्षक, और माता‑पिता, अध्यापकों जैसे गुरु तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस दिन का व्रत और पूजा व्यक्ति के जीवन में विद्या, ज्ञान, समृद्धि, और धर्म‑मार्ग की प्राप्ति के लिए शुभ माना गया है। ऐसे में इसकी धार्मिक महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है। गुरुवार का दिन, बुद्धि‑प्राप्ति एवम कार्य‑सिद्धि के देवता गणेश को बेसन के मगज़ का सप्रेम भोग लगाएं और अपनी मनोकामना की प्रार्थना करें। आइए जानें इसकी सरल विधि।

गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन (28 अगस्त गुरुवार) की विशेषता
इस वर्ष (2025) गणेश चतुर्थी पर्व में दूसरा दिन 28 अगस्त गुरुवार को पड़ता है। यह दिन माना जाता है कि इस दिन गणेश को जो भोग लगाया जाता है, वह विशेष फल‑दायी होता है,कार्य में सफलता, शिक्षा‑वर्धन, मानसिक संतुलन, और समाज में एकता की प्राप्ति संभव होती है। वर्षों से परम्परागत रूप से, इस दिन विशेष हल्के‑मिठास वाले, पोषक अन्न जैसे बेसन‑आधारित व्यंजन, सूखे मेवों से युक्त व्यंजन चढ़ाए जाते रहे हैं, जो स्वाद के साथ‑साथ ऊर्जा‑संतुलित और सुपाच्य होते हैं।
गुरुवार+गणेश चतुर्थी का संयोजन विशिष्ट आध्यात्मिकता का मिश्रण प्रस्तुत करता है,गुरू की शिक्षा‑संकेत, बृहस्पति कृपा, बुद्धि‑प्राप्ति, और गणेश की बाधा‑निवारण शक्ति सब एक साथ।

घर पर सरल, स्वादिष्ट और शुद्ध मगज़ का भोग सामग्री और विधि
बेसन – 4 कप
सूखे मेवे (कटा हुआ) – कुल ½ कप (बादाम, काजू, पिस्ता, किशमिश, अखरोट, खसखस — सुविधा अनुसार)
घी – 2-3 बड़े चम्मच (शुद्ध देसी घी)
गुलाब जल – 1 चम्मच (वैकल्पिक, खुशबू हेतु)
चुटक भर पीला खाने का रंग या थोड़ी केसर (केसर के धागे 4-5) – रंग और पवित्रता के लिए (वैकल्पिक)
ठंडा पानी – आवश्यकता अनुसार (आधा कप से कम)
छोटी इलायची – ½ छोटा चम्मच शक्कर या भूरा 4 कप (स्वाद‑संतुलन हेतु, वैकल्पिक)

मगज़ बनाने की विधि – (सरल चरणों में)
सभी मेवे (बादाम, काजू, पिस्ता) को बारीक काट लें या मोटा कुट लें।अगर केसर डालना है, तो उसे आधे चम्मच गर्म दूध या पानी में भिगो दें। मध्यम आंच पर गर्म करें, इसमें १ बड़ा चम्मच घी डालें, थोड़ा ठंडा होने दें। पैन में बेसन डालें और बेहद धीमी आंच पर, निरंतर चलाते हुए हल्का गुलाबी होने तक भूनें,यह लगभग 15-30 मिनट में हो जाएगा। ध्यान रखें रंग गहरा ना हो, इसे छौंक‑जैसी बनावट छोड़नी चाहिए। भुने हुए बेसन में बाकी का घी, कटे मेवे, किशमिश, खसखस आदि मिलाएं। मध्यम आंच पर चलाते हुए 1-2 मिनट और पकाएं। आखिर में इसमें इलायची पाउडर, खाने का रंग चुटकीभर, गुलाब जल, तथा केसर (यदि उपयोग कर रहे हों) डालें। सभी सामग्री को अच्छी तरह मिलाएं। यदि मीठा प्रिय हो, तो अब शुगर या गुड़ मिलकर धीमी आंच पर मिलाएं, जब तक गुड़ या शुगर पिघल ना जाए, पर बेसन गीला ना हो जाए। धीरे से करें ताकि मिश्रण गाढ़ा रहे और चढ़ाने योग्य बन जाए। गैस बंद करें और मिश्रण को ठंडा होने दें। मगज़ को भोग लगाने,सुंदर तश्तरी पर शुद्ध घी से हल्का लेप करें, फिर उसमें बेसन‑मगज़ का मिश्रण सजाएं। ऊपर से किशमिश या पिस्ता सजावट के लिए रख सकते हैं या छोटे छोटे लड्डू बनाकर चढ़ाएं।

स्वाद का संतुलन ध्यान रखें – बहुत मीठा न हो, बेसन‑मगज़ की सुखी मिठास ही पर्याप्त होती है, विशेष रूप से भोग के लिए।

गणेश उत्सव में पर्यावरण संरक्षण हेतु सकारात्मक संदेश
गणेश उत्सव हमारी परंपरा, एकता और आनंदवर्धक समय का उत्सव है; वहीं, यह हमारे लिए एक अवसर भी है कि हम प्रति‑वर्ष अनुशासित और जिम्मेदार रूप से प्रकृति से प्रेम करें। प्लास्टिक की सजावट, गुलाबी, रंग‑रोगन, और वेस्ट के कारण इस उत्सव में बहुत हानि होती है। अपनी सजावट को प्राकृतिक रंगों, कपड़े, कागज, फूल, और मिट्टी‑के बने वस्तुओं से सीमित रखें। बेसन और सूखे मेवे,ये स्थानीय रूप से उपलब्ध, पौष्टिक, और पर्यावरण‑अनुकूल होते हैं। खेतों से थोक में बीज, मेवा, घी खरीदें, जहां कम पैकेजिंग हो। इको‑फ्रेंडल बैग या कम्पोस्ट पुट्टी घर पर रखें; पूजा के बाद शुद्ध फूल, घी, बेसन आदि को कम्पोस्ट में डालें,यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक है। पड़ोसियों और समुदाय को संदेश दें “गणपति बाप्पा का आगमन हमें आनंद दे, लेकिन उनकी विदाई को हम प्रकृति के प्रति प्रेम और सम्मान दिखाने का अवसर बनाएं। बच्चों से कहें कि वे मिट्टी के गणेश, फूल‑माला, प्राकृतिक रंगीनी, और ग्रह‑दोस्त सजावट तैयार करें,इससे उन्हें पर्यावरण की शिक्षा भी मिलेगी और उत्सव में रचनात्मक भागीदारी भी।

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