आज हम सब जानते हैं, पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है, लेकिन कुछ 2-3 सौ वर्ष पहले ऐसा नहीं था, इटली के एक खगोलशास्त्री ने ऐसा दावा किया, लेकिन यह रूढ़िवादी चर्च के मान्यता के विरुद्ध था, जिसके बाद उसे चर्च का कोपभाजन बना, यह व्यक्ति थे गैलीलियो
प्रारंभिक जीवन
गैलीलियो गैलिली यूरोप के एक गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, इंजीनियर और भौतिकविज्ञानी थे, उनका जन्म 15 फरवरी 1564 को इटली के पीसा में हुआ था, पीसा जो अपनी झुकी हुई मीनार के लिए प्रसिद्ध है। उस समय यह एक प्रिंसिपल्टी डची ऑफ फ्लोरेंस के अंतर्गत आता था। उनका परिवार संगीतज्ञों का परिवार था, उनके पिता भी संगीतज्ञ ही थे। गैलीलियो बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे, चर्च पर उनकी आस्था भी थे, जिसके ही कारण वह बचपन में पादरी बनना चाहते थे, बाद में पिता की इच्छा से उन्होंने पीसा विश्वविद्यालय से चिकित्सा की पढ़ाई करना प्रारंभ कर दिया, हालांकि इसको बीच में हो छोड़ वह गणित पढ़ने लगे। आगे चलकर पीसा विश्वविद्यालय में उन्होंने अध्यापन कार्य भी किया, धर्मिक होने के बाद भी उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने उनकी धार्मिक मान्यताओं को नहीं माना और चर्च और उसके मतों का खंडन करते रहे।
चर्च से टकराव
गैलीलियो को आधुनिक विज्ञान की नींव रखने वाली व्यक्तियों के रूप में माना जाता है, पोलैंड में एक वैज्ञानिक हुए थे कॉपरनिकस जिन्होंने एक मत प्रतिपादित किया था कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है, लेकिन यह बात चर्च के विरोध के डर की वजह उन्होंने सार्वजनिक रूप सेव काभी नहीं कही, कॉपरनिकास ने रक दूरबीन का भी आविष्कार किया था। गैलीलियो ने इसी थ्योरी को आधार बनाकर एक किताब में यह दावा किया पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है, बस यह बात रुढ़िवादी चर्चों को नागवार गुजरी, क्योंकि बाइबल में यह लिखा था, पृथ्वी स्थिर है और अंतरिक्ष का केंद्र है, सूर्य समेत बाकी भौतिक तत्व पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं।
यह बात चर्च को बुरी लगी, और उनपर मुकदमा कर दिया गया और उन्हें चर्च के सामने पेश होने का आदेश दिया गया, और उन्हें इसके लिए रोम बुलाया गया, 1634 में वह रोम में चर्च के सामने उपस्थित हुए, और लगातार अपने लिखे हुए को सही कहने का दावा करते रहे और अड़े ही रहे, जिसके कारण चर्च ने उन्हे जेल में डाल दिया, आगे चलकर उन्होंने अपने लिखे के लिए माफी मांग ली, जिसके बाद उनकी सजा कम करके उन्हें घर पर ही नजरबंद कर दिया गया, उनकी लिखी हुई किताबों को भी छपने से रोक दिया गया, वहीं पर 8 जनवरी 1642 में 77 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया।
300 साल बाद चर्च ने मानी गलती
गैलीलियो की मृत्यु के करीब 350 वर्ष बाद 1992 में चर्च ने इस घटना पर खेद प्रकट किया और अपनी गलती भी मानी, पॉप जान पॉल ने माना चर्च गलत था और गैलीलियो सही थे।
खोज और आविष्कार
गैलीलियो ने हालैन्ड में निर्मित टेलिस्कोप के बारे में सुन रखा था, उन्होंने उसी को आधार पर और भी बेहतरीन दूरबीन का आविष्कार किया, इसके माध्यम से ही उन्होंने दावा किया, चाँद का सतह चिकना नहीं, बल्कि खुरदुरा और गड्ढेदार है, उन्होंने ने ही जुपिटर के चार उपग्रहों का पता लगाया और शनि ग्रह के वलय भी उन्होंने देखे। उन्होंने यह भी मत प्रतिपादित किया, लोहा हो या रुई, ऊपर से नीचे गिराए जाने के बाद दोनों एक ही गति से धरती पर आते हैं, लेकिन भारी चीज जल्दी नीचे गिरती है, यह हवा के के प्रतिरोध के कारण होता है, यह प्रयोग बाकायदे उन्होंने अपने छात्रों को कर के दिखाया था। इस एक्सपेरिमेंट के द्वारा उन्होंने यूरोप में अरस्तू के सिद्धांतों और खंडन किया था। इसके अलावा उन्होंने प्रकाश के गति मापने का भी प्रयास किया। गैलीलियो यह भी मानते थे, गणित ही ईश्वर की भाषा है।
विज्ञान में उनके योगदानों की वजह से ही अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग उन्हें आधुनिक विज्ञान का पिता कहते हैं।