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EMI से लेकर शिकायत निवारण तक: आम आदमी के लिए RBI decisions बड़े बदलाव

RBI decisions : भारतीय रिजर्व बैंक में आम जनता की सुविधा और वित्तीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई प्रकार की अहम फैसले लिए हैं। यह कदम न सिर्फ उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए बल्कि बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भी उठाया गया है। तो चलिए हम जानते हैं आरबीआई के फैसलों का असर कैसे पड़ेगा।

EMI चूकने पर मोबाइल लॉक की नई व्यवस्था

इसका सबसे बड़ा प्रस्ताव EMI से जुड़ा हुआ है। अब अगर कोई भी ग्राहक मोबाइल खरीद कर उसकी किस्त नहीं जमा करता है तो बैंक या फाइनेंस कंपनी उसके मोबाइल को लॉक कर पाएगी। इस दौरान फोन केवल एमरजैंसी कॉल्स के लिए ही काम किया जाएगा किस्त चुकाने के बाद ही मोबाइल अनलॉक होगा। यह सिस्टम ग्राहक की सहमति से एक थर्ड पार्टी ऐप के जरिए लागू किया जा रहा है।

ऋण वितरण में Expected Credit Loss मॉडल

RBI ने बैंकों को 2027 से Expected Credit Loss (ECL) ढांचे को लागू करने का निर्देश दे दिया है इसके तहत बैंक पहले से ही ऐसा अनुमान लगा पाएगा कि किन कर्ज के डूबने की संभावनाएं हैं। इससे बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता बढ़ेगी और ग्राहक के बैकग्राउंड की जांच भी सख्त हो पाएगी।

Basic Savings Account पर मुफ्त डिजिटल सुविधा

अब बुनियादी जमा खाता वाले ग्राहक को मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग सुविधा मुफ्त में मिल पाएगी। इससे डिजिटल लेनदेन को काफी बढ़ावा मिल पाएगा, केवल इतना ही नहीं छोटे-छोटे बैंक अकाउंट वाले लोग को भी ऑनलाइन सेवा के जरिए इसका लाभ मिल पाएगा।

ग्रामीण बैंकों को लोकपाल योजना से जोड़ा गया

गांव के सरकारी बैंक अब आरबीआई लोकपाल योजना के तहत शामिल हो जाएंगे यानी गांव और काशन के ग्राहक में बैंक की सेवाओं से जुड़कर अपनी शिकायत सीधे आरबीआई के ओम्बुड्समैन तक पहुंच सकेंगे इससे उपभोक्ताओं का अधिकार और भी ज्यादा मजबूत होंगे।

नए शहरी सहकारी बैंक खोलने की तैयारी

साल 2004 से रुक शहरी सहकारी बैंक के लाइसेंस पर फिर से विचार किया जा रहा है इससे नए बैंक खुल जाएंगे और आम लोगों तक सेवा पहुंचने का दायरा बढ़ जाएगा।

इन RBI decisions से साफ पता चल रहा है कि रिजर्व बैंक का उद्देश्य उपभोक्ताओं की सुविधा को बढ़ाना और फाइनेंशियल अनुशासन को और भी सख्त करना है।EMI लॉक करने की व्यवस्था और लोकपाल तक सीधे शिकायत देने की सुविधा से आम जनता को और ज्यादा सुविधाहोगी। हालांकि डेटा सुरक्षा और तकनीकी चुनौतियां भी सामने आ सकती है लेकिन यदि से संतुलित तरीके से लागू किया गया तो यह फैसला भारतीय बैंकिंग के लिए अच्छा कदम होगा।

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